डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, लंदन
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Wed, 30 Jun 2021 05:21 PM IST
सार
साइबर शक्ति के क्षेत्र में चीन अभी अमेरिका से कम से कम एक दशक पीछे है। ब्रिटेन स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) ने दोनों देशों की साइबर शक्ति के अपने विश्लेषण के आधार पर कहा है कि इस क्षेत्र में चीन की क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया है। आईआईएसएस ने कहा है कि सुरक्षा और खुफिया विश्लेषण की कमजोर क्षमताओं के कारण चीन की असली ताकत का अब तक गलत अंदाजा लगाया गया है।
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
हाल में हैकिंग की बढ़ी घटनाओं के कारण पश्चिमी देशों में ऑनलाइन जासूसी एक गर्म विषय रही है। बीते दिसंबर में अमेरिकी अधिकारियों ने रूस पर बड़े पैमाने पर हैकिंग करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि रूसी एजेंसी एसवीआर ने सोलरविंड्स सॉफ्टवेयर हैक करके अमेरिका के सरकारी और कई कंपनियों के डाटाबेस में घुसपैठ की। तीन महीने बाद माइक्रोसॉफ्ट का ई-मेल सॉफ्टवेयर हैक हुआ। इसका आरोप चीनी हैकरों पर लगाया गया।
अब अपने ताजा अध्ययन में आईआईएसएस के अनुसंधानकर्ताओं ने अलग-अलग देशों की साइबर क्षमताओं कि एक इंडेक्स तैयार की है। इसमें विभिन्न देशों की रैंक तय की गई है। इसके लिए देशों की डिजिटल अर्थव्यवस्था की शक्ति, खुफिया और सुरक्षा तंत्र की मजबूती, सैनिक कार्रवाइयों के साथ साइबर सुविधाओं के जुड़ाव आदि जैसी कसौटियों को आधार बनाया गया है। आईआईएसएस ने कहा है कि चीन और रूस के पास साइबर हमले करने की क्षमता है।
इसके साथ ही वे ऑनलाइन जासूसी करने में भी सक्षम हैं। लेकिन अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में उनकी साइबर सुरक्षा काफी कमजोर है। इस कारण कुल साइबर शक्ति के लिहाज से वे पश्चिमी देशों से काफी पीछे हैं। आईआईएसएस की रैंकिंग में अमेरिका को पहले स्थान पर रखा गया है। उसे सर्वोच्च श्रेणी की साइबर शक्ति करार दिया गया है। वहीं, चीन, रूस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस और इस्राइल को द्वितीय श्रेणी की साइबर शक्ति बताया गया है।
भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, उत्तर कोरिया, ईरान और वियतनाम को साइबर शक्ति की तृतीय श्रेणी में रखा गया है। आईआईएसएस में साइबर, अंतरिक्ष और भावी युद्ध मामलों के विशेषज्ञ ग्रेग ऑस्टिन के मुताबिक चीन की डिजिटल प्रगति के बारे में छपने वाली मीडिया रिपोर्टों के कारण उसकी साइबर क्षमता के बारे में अतिशयोक्तिपूर्ण धारणा बनी है। सच ये है कि साइबर सुरक्षा के कौशल में किसी भी पैमाने पर वह कई दूसरे देशों से बदतर स्थिति में है।
ऑस्टिन का कहना है कि सूचना युग वैश्विक शक्ति संतुलन को नया रूप दे रहा है। इसलिए परंपरागत रूप से शक्तिशाली रहे भारत और जापान जैसे देश इस क्षेत्र में बाकी देशों से पिछड़ रहे हैं। साइबर क्षमता के लिहाज से वे अभी तीसरी श्रेणी में हैं। जबकि इस्राइल और ऑस्ट्रेलिया जैसे छोटे देश अपने आधुनिक साइबर कौशल के कारण दूसरी श्रेणी में पहुंच गए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में इस स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
वैसे आईआईएसएस का कहना है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों पर रैनसमवेयर हमलों (फिरौती के लिए साइबर हमलों) का खतरा हाल के समय में बढ़ा है। इस रिपोर्ट के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी जीसीएचक्यू के पूर्व निदेशक रॉबर्ट हैनिगन ने कहा कि मैं इस रिपोर्ट के कई निष्कर्षों से सहमत हूं, लेकिन यह मान लेना कि साइबर शक्ति के क्षेत्र में रूस और चीन की मौजूदा कमजोरी आगे भी ऐसे ही बनी रहेगी, सही निष्कर्ष नहीं होगा।
विस्तार
हाल में हैकिंग की बढ़ी घटनाओं के कारण पश्चिमी देशों में ऑनलाइन जासूसी एक गर्म विषय रही है। बीते दिसंबर में अमेरिकी अधिकारियों ने रूस पर बड़े पैमाने पर हैकिंग करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि रूसी एजेंसी एसवीआर ने सोलरविंड्स सॉफ्टवेयर हैक करके अमेरिका के सरकारी और कई कंपनियों के डाटाबेस में घुसपैठ की। तीन महीने बाद माइक्रोसॉफ्ट का ई-मेल सॉफ्टवेयर हैक हुआ। इसका आरोप चीनी हैकरों पर लगाया गया।
अब अपने ताजा अध्ययन में आईआईएसएस के अनुसंधानकर्ताओं ने अलग-अलग देशों की साइबर क्षमताओं कि एक इंडेक्स तैयार की है। इसमें विभिन्न देशों की रैंक तय की गई है। इसके लिए देशों की डिजिटल अर्थव्यवस्था की शक्ति, खुफिया और सुरक्षा तंत्र की मजबूती, सैनिक कार्रवाइयों के साथ साइबर सुविधाओं के जुड़ाव आदि जैसी कसौटियों को आधार बनाया गया है। आईआईएसएस ने कहा है कि चीन और रूस के पास साइबर हमले करने की क्षमता है।
इसके साथ ही वे ऑनलाइन जासूसी करने में भी सक्षम हैं। लेकिन अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में उनकी साइबर सुरक्षा काफी कमजोर है। इस कारण कुल साइबर शक्ति के लिहाज से वे पश्चिमी देशों से काफी पीछे हैं। आईआईएसएस की रैंकिंग में अमेरिका को पहले स्थान पर रखा गया है। उसे सर्वोच्च श्रेणी की साइबर शक्ति करार दिया गया है। वहीं, चीन, रूस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस और इस्राइल को द्वितीय श्रेणी की साइबर शक्ति बताया गया है।
भारत तीसरी श्रेणी की साइबर शक्ति
भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, उत्तर कोरिया, ईरान और वियतनाम को साइबर शक्ति की तृतीय श्रेणी में रखा गया है। आईआईएसएस में साइबर, अंतरिक्ष और भावी युद्ध मामलों के विशेषज्ञ ग्रेग ऑस्टिन के मुताबिक चीन की डिजिटल प्रगति के बारे में छपने वाली मीडिया रिपोर्टों के कारण उसकी साइबर क्षमता के बारे में अतिशयोक्तिपूर्ण धारणा बनी है। सच ये है कि साइबर सुरक्षा के कौशल में किसी भी पैमाने पर वह कई दूसरे देशों से बदतर स्थिति में है।
ऑस्टिन का कहना है कि सूचना युग वैश्विक शक्ति संतुलन को नया रूप दे रहा है। इसलिए परंपरागत रूप से शक्तिशाली रहे भारत और जापान जैसे देश इस क्षेत्र में बाकी देशों से पिछड़ रहे हैं। साइबर क्षमता के लिहाज से वे अभी तीसरी श्रेणी में हैं। जबकि इस्राइल और ऑस्ट्रेलिया जैसे छोटे देश अपने आधुनिक साइबर कौशल के कारण दूसरी श्रेणी में पहुंच गए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में इस स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
वैसे आईआईएसएस का कहना है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों पर रैनसमवेयर हमलों (फिरौती के लिए साइबर हमलों) का खतरा हाल के समय में बढ़ा है। इस रिपोर्ट के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी जीसीएचक्यू के पूर्व निदेशक रॉबर्ट हैनिगन ने कहा कि मैं इस रिपोर्ट के कई निष्कर्षों से सहमत हूं, लेकिन यह मान लेना कि साइबर शक्ति के क्षेत्र में रूस और चीन की मौजूदा कमजोरी आगे भी ऐसे ही बनी रहेगी, सही निष्कर्ष नहीं होगा।
Source link
Share this:
-
Click to share on Facebook (Opens in new window)
-
Like this:
Like Loading...
america, China, Cyber power, cyber power index, cyber power india, iiss, international institute for strategic studies, World Hindi News, World News in Hindi, अमेरिका, चीन, साइबर शक्ति
-
आगे बढ़ने की होड़: चीन से वैज्ञानिक प्रतिस्पर्धा के लिए अमेरिका में कानून पारित
-
कोवाक्सिन खरीद पर बवाल: भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर ब्राजील ने रद्द किया सौदा, भारत बायोटेक ने दिया ये जवाब
-
Coronavirus Update Today 30 June: चंद मिनटों में सुनिए कोरोना वायरस से जुड़ी हर खबर