संयुक्त राष्ट्र महासभा की छठी समिति के समक्ष तिरुमूर्ति ने पेश किया मसौदा
भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने इस मसौदे की घोषणा करते हुए कहा कि यह हरित ऊर्जा कूटनीति के एक नए युग की शुरुआत करेगा। उन्होंने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के लिए एक और मील का पत्थर। यूएनजीए में प्रस्ताव पेश करते हुए उन्होंने कहा, महासभा में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने से गठबंधन और यूएन के बीच एक नियमित और अच्छी तरह से परिभाषित सहयोग प्रदान करने में मदद मिलेगी।
इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा वृद्धि और विकास को लाभ होगा। इस अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के करीब 80 सह प्रायोजक देश भी हैं। तिरुमूर्ति ने कहा कि आईएसए तकनीकी हस्तांतरण, सौर ऊर्जा के भंडारण और सदस्य देशों को वित्तीय मदद के साथ परियोजना लेआउट जैसे कुछ सवालों के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है।
भारत-फ्रांस ने 2015 में शुरू किया गठबंधन
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) को भारत व फ्रांस ने साझा रूप से 2015 में पेरिस में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (कॉप-21) के 21वें सम्मेलन में शुरू किया था। इसका मकसद सदस्य देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख चुनौतियों का साथ मिलकर समाधान निकलना है। यूएनजीए गैर-सदस्य देशों, विश्व संगठनों व अन्य संस्थाओं को स्थायी पर्यवेक्षक का दर्जा दे सकती है।
गठबंधन के सह-प्रायोजकों में कई देश शामिल
आईएसए के सह-प्रायोजकों में अल्जीरिया, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, कंबोडिया, कनाडा, चिली, क्यूबा, डेनमार्क, मिस्र, फिजी, फिनलैंड, आयरलैंड, इटली, जापान, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, ओमान, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस शामिल हैं। सऊदी अरब, त्रिनिदाद, टोबैगो, यूएई और ब्रिटेन जैसे देश भी इसमें शामिल हैं।