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Tata-Air India Deal: सुब्रमण्यम स्वामी की एयर इंडिया के विनिवेश को चुनौती, हाई कोर्ट 6 जनवरी को सुनाएगा फैसला

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बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Tue, 04 Jan 2022 02:44 PM IST

सार

केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका का विरोध किया, जिसमें एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया और अधिकारियों द्वारा दी गई मंजूरी को रद्द करने की मांग की गई थी।

सुब्रमण्यम स्वामी एयर इंडिया विनिवेश
– फोटो : Social Media

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केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका का विरोध किया, जिसमें एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया और अधिकारियों द्वारा दी गई मंजूरी को रद्द करने की मांग की गई है। केंद्र ने इस दुर्भावनापूर्ण बताया है। सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि याचिका तीन गलत धारणाओं पर आधारित थी और इस पर किसी विचार की आवश्यकता नहीं है।

अदालत 6 जनवरी को सुनाएगी आदेश
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सुब्रमण्यम स्वामी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एयरएशिया की ओर से मामले में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की दलीलें सुनीं। दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखते हुए पीठ ने कहा कि वह याचिका पर 6 जनवरी को एक आदेश पारित करेगी। 

सरकार की ओर से दी गईं ये दलीलें
केंद्र सरकार ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की अर्जी का ये कहते हुए विरोध किया कि टाटा संस पूरी तरह से भारतीय कंपनी है, जिसने इंडियन एयरलाइंस एयर इंडिया को खरीदा है, लिहाजा सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप पूरी तरह गलत है। बता दें कि स्वामी ने एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने और अधिकारियों द्वारा इसे दी गई मंजूरी पर रोक लगाने के अनुरोध के साथ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

स्वामी के वकील ने किया ये अनुरोध
स्वामी ने अधिवक्ता सत्य सबरवाल के माध्यम से दायर याचिका में अधिकारियों की भूमिका और कार्यशैली की सीबीआई जांच कराने और इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने का भी अनुरोध किया है। गौरतलब है कि पिछले साल अक्तूबर में केंद्र सरकार ने टाटा संस की एक कंपनी द्वारा एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के 100 फीसदी शेयरों के साथ-साथ ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस में 50 फीसदी हिस्सेदारी के लिए पेश की गई उच्चतम बोली को स्वीकार किया था।

विस्तार

केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका का विरोध किया, जिसमें एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया और अधिकारियों द्वारा दी गई मंजूरी को रद्द करने की मांग की गई है। केंद्र ने इस दुर्भावनापूर्ण बताया है। सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि याचिका तीन गलत धारणाओं पर आधारित थी और इस पर किसी विचार की आवश्यकता नहीं है।

अदालत 6 जनवरी को सुनाएगी आदेश

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सुब्रमण्यम स्वामी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एयरएशिया की ओर से मामले में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की दलीलें सुनीं। दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखते हुए पीठ ने कहा कि वह याचिका पर 6 जनवरी को एक आदेश पारित करेगी। 

सरकार की ओर से दी गईं ये दलीलें

केंद्र सरकार ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की अर्जी का ये कहते हुए विरोध किया कि टाटा संस पूरी तरह से भारतीय कंपनी है, जिसने इंडियन एयरलाइंस एयर इंडिया को खरीदा है, लिहाजा सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप पूरी तरह गलत है। बता दें कि स्वामी ने एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने और अधिकारियों द्वारा इसे दी गई मंजूरी पर रोक लगाने के अनुरोध के साथ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

स्वामी के वकील ने किया ये अनुरोध

स्वामी ने अधिवक्ता सत्य सबरवाल के माध्यम से दायर याचिका में अधिकारियों की भूमिका और कार्यशैली की सीबीआई जांच कराने और इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने का भी अनुरोध किया है। गौरतलब है कि पिछले साल अक्तूबर में केंद्र सरकार ने टाटा संस की एक कंपनी द्वारा एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के 100 फीसदी शेयरों के साथ-साथ ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस में 50 फीसदी हिस्सेदारी के लिए पेश की गई उच्चतम बोली को स्वीकार किया था।

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