बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Fri, 19 Nov 2021 05:35 PM IST
सार
Insurance Policy Survey: ज्यादातर कंपनियां अभी भी दावे का निपटान करते समय मूल कागजी दस्तावेज मांगती हैं। इस वजह से करीब 82 फीसदी बीमा खरीदार अपने पॉलिसी दस्तावेजों की भौतिक प्रति रखना पसंद करते हैं।
आज हर क्षेत्र में डिजिटलीकरण देखने को मिल रहा है। कोरोना काल में इसमें तेज इजाफा हुआ है, लेकिन बढ़ते डिजिटलीकरण के बाद भी बीमा पॉलिसी लेने वाले लोगों के रुख में समय के मुताबिक बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। एक सर्वे में सामने आया है कि वर्तमान में 82 फीसदी खरीदार ऐसे हैं जो ऑनलाइन बीमा होने के बावजूद भी पॉलिसी के कागजी दस्तावेजों को अपने पास रखना पसंद करते हैँ।
सर्वे में यह बड़ी वजह आई सामने
बॉम्बे मास्टर प्रिंटर्स एसोसिएशन (बीएमपीए) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है। खरीदारों के इस रुख का पता लगाया गया तो सामने आया कि ज्यादातर कंपनियां अभी भी दावों का निपटान करते समय बीमा पॉलिसी के मूल कागजी दस्तावेज की मांग करती हैं। ऐसे में देरी से बचने के लिहाज से ऑनलाइन बीमा कराने वाले खरीदार भी पॉलिसी के मूल दस्तावेजों को अपने पास रखना ज्यादा बेहतर मानते हैँ।
पांच हजार से ज्यादा लोगों की राय ली गई
इस सर्वे में लगभग 5,900 लोगों से राय को शामिल किया गया। इसमें शामिल करीब 56 फीसदी लोग 18 से 40 वर्ष, 28 फीसदी 41 से 60 वर्ष और 14 फीसदी लोग 60 वर्ष और उससे अधिक की आयु के थे। इनसे बीमा पॉलिसी और इसकी मूल कॉपी की उपयोगिता पर लोगों से सवाल पूछे गए। सर्वे के अंत में टीम ने पाया कि करीब 82 फीसदी खरीदारों ने डिजिटल प्रति की जगह भौतिक प्रति को प्राथमिकता दी।
जीडीपी में बीमा कंपनियों का योगदान बढ़ा
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले एक साल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बीमा कंपनियों के योगदान में तेज इजाफा हुआ है। ऐसे में कंपनियों द्वारा खरीदारों को उनके निवेश के बारे में सुरक्षित महसूस कराना चाहिए। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) को खरीदारों के हित में धारा 4 को बहाल करने और पॉलिसी दस्तावेज की भौतिक प्रतियां जल्द से जल्द जारी करने पर विचार करना चाहिए।
विस्तार
आज हर क्षेत्र में डिजिटलीकरण देखने को मिल रहा है। कोरोना काल में इसमें तेज इजाफा हुआ है, लेकिन बढ़ते डिजिटलीकरण के बाद भी बीमा पॉलिसी लेने वाले लोगों के रुख में समय के मुताबिक बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। एक सर्वे में सामने आया है कि वर्तमान में 82 फीसदी खरीदार ऐसे हैं जो ऑनलाइन बीमा होने के बावजूद भी पॉलिसी के कागजी दस्तावेजों को अपने पास रखना पसंद करते हैँ।
सर्वे में यह बड़ी वजह आई सामने
बॉम्बे मास्टर प्रिंटर्स एसोसिएशन (बीएमपीए) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है। खरीदारों के इस रुख का पता लगाया गया तो सामने आया कि ज्यादातर कंपनियां अभी भी दावों का निपटान करते समय बीमा पॉलिसी के मूल कागजी दस्तावेज की मांग करती हैं। ऐसे में देरी से बचने के लिहाज से ऑनलाइन बीमा कराने वाले खरीदार भी पॉलिसी के मूल दस्तावेजों को अपने पास रखना ज्यादा बेहतर मानते हैँ।
पांच हजार से ज्यादा लोगों की राय ली गई
इस सर्वे में लगभग 5,900 लोगों से राय को शामिल किया गया। इसमें शामिल करीब 56 फीसदी लोग 18 से 40 वर्ष, 28 फीसदी 41 से 60 वर्ष और 14 फीसदी लोग 60 वर्ष और उससे अधिक की आयु के थे। इनसे बीमा पॉलिसी और इसकी मूल कॉपी की उपयोगिता पर लोगों से सवाल पूछे गए। सर्वे के अंत में टीम ने पाया कि करीब 82 फीसदी खरीदारों ने डिजिटल प्रति की जगह भौतिक प्रति को प्राथमिकता दी।
जीडीपी में बीमा कंपनियों का योगदान बढ़ा
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले एक साल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बीमा कंपनियों के योगदान में तेज इजाफा हुआ है। ऐसे में कंपनियों द्वारा खरीदारों को उनके निवेश के बारे में सुरक्षित महसूस कराना चाहिए। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) को खरीदारों के हित में धारा 4 को बहाल करने और पॉलिसी दस्तावेज की भौतिक प्रतियां जल्द से जल्द जारी करने पर विचार करना चाहिए।
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