टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रदीप पाण्डेय
Updated Wed, 06 Apr 2022 02:50 PM IST
सार
कोई भी यूजर अब सरकार द्वारा स्वीकृत पहचान पत्र का इस्तेमाल करके चुटकियों में प्लेटफॉर्म पर अपनी प्रोफाइल को सेल्फ-वेरिफाई करा सकता है। कू ने कहा है कि महज 30 सेकेंड में यूजर्स का अकाउंट वेरिफाई होगा।
घरेलू माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo App (कू एप) ने सेल्फ-वेरिफिकेशन फीचर लॉन्च किया है। नए फीचर के साथ ही कू यह ऐसा करने वाला दुनिया का पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया है। कोई भी यूजर अब सरकार द्वारा स्वीकृत पहचान पत्र का इस्तेमाल करके चुटकियों में प्लेटफॉर्म पर अपनी प्रोफाइल को सेल्फ-वेरिफाई करा सकता है। कू ने कहा है कि महज 30 सेकेंड में यूजर्स का अकाउंट वेरिफाई होगा।
यूजर्स को मिलेगा ग्रीन टिक
कू ने कहा है कि वह सेल्फ-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया के बाद हरे रंग का टिक (Green Tick) यूजर के अकाउंट को सेल्फ-वेरिफाई होने के रूप में पहचान देगा। इस फीचर के अंतर्गत यूजर्स को सरकारी पहचान पत्र का नंबर दर्ज करना होगा और फिर फोन पर आने वाले ओटीपी को दर्ज करना होगा। इसके बाद अकाउंट महज 30 सेकेंड में हरे रंग के टिक के साथ वेरिफाई हो जाएगा। Koo ने कहा है कि वह वेरिफिकेशन से जुड़ी किसी भी जानकारी को स्टोर नहीं करता है।
नए फीचर की लॉन्चिंग पर Koo के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा, “सोशल मीडिया पर विश्वास और सुरक्षा को बढ़ावा देने में Koo सबसे आगे है। स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन प्रणाली शुरू करने वाला दुनिया का पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म होने पर हमें बहुत गर्व है। यूजर्स हमारी सुरक्षित सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से कुछ सेकेंड में सेल्फ-वेरिफिकेशन हासिल कर सकते हैं। यह यूजर्स को अधिक प्रामाणिकता देने और प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अधिकांश सोशल मीडिया मंच यह ताकत केवल कुछ खातों को देते हैं। Koo App ऐसा पहला मंच है जिसने अब हर यूजर को समान विशेषाधिकार प्राप्त करने का अधिकार दिया है।’
स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन से जुड़े प्रश्न
- क्या Koo App यूजर की कोई जानकारी स्टोर करता है?
- नहीं, Koo App यूजर से संबंधित कोई भी जानकारी स्टोर नहीं करता है। सरकार द्वारा स्वीकृत थर्ड पार्टी की सेवा का इस्तेमाल जानकारी के सत्यापन के लिए किया जाता है।
- क्या प्रमाणीकरण के बाद मेरे पहचान पत्र का विवरण Koo App पर दिखाई देता है?
- नहीं, इसका इस्तेमाल केवल यूजर्स की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए किया जाता है।
- क्या अन्य यूजर्स को मेरे नाम और पहचान पत्र की जानकारी प्राप्त होगी?
- नहीं। यूजर के प्रोफाइल पर विवरण वही रहता है जो सत्यापन से पहले हुआ करता था।
- क्या Koo App पर सरकार द्वारा स्वीकृत पहचान पत्र की जानकारी दर्ज करना सुरक्षित है?
- हां। Koo App पर स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकशन प्रक्रिया सुरक्षित है। यह सत्यापन प्रक्रिया सरकार द्वारा अधिकृत थर्ड-पार्टी द्वारा की जाती है। Koo App यूजर्स के डेटा को स्टोर नहीं करता है।
- यूजर को ऐसा क्यों करना चाहिए?
- एक यूजर जो अपनी प्रोफाइल को वेरिफाई करता है, उसकी पहचान एक प्रामाणिक यूजर के रूप में की जाती है, जो बदले में उनके विचारों और राय को अधिक विश्वसनीयता प्रदान करता है। स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन, मंच पर असल आवाजों को बढ़ावा देता है। यह उन्हें सत्यापन का वही विशेषाधिकार भी देता है जो अन्य सोशल मीडिया पर केवल कुछ प्रतिष्ठित खातों के लिए उपलब्ध था।
विस्तार
घरेलू माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo App (कू एप) ने सेल्फ-वेरिफिकेशन फीचर लॉन्च किया है। नए फीचर के साथ ही कू यह ऐसा करने वाला दुनिया का पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया है। कोई भी यूजर अब सरकार द्वारा स्वीकृत पहचान पत्र का इस्तेमाल करके चुटकियों में प्लेटफॉर्म पर अपनी प्रोफाइल को सेल्फ-वेरिफाई करा सकता है। कू ने कहा है कि महज 30 सेकेंड में यूजर्स का अकाउंट वेरिफाई होगा।
यूजर्स को मिलेगा ग्रीन टिक
कू ने कहा है कि वह सेल्फ-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया के बाद हरे रंग का टिक (Green Tick) यूजर के अकाउंट को सेल्फ-वेरिफाई होने के रूप में पहचान देगा। इस फीचर के अंतर्गत यूजर्स को सरकारी पहचान पत्र का नंबर दर्ज करना होगा और फिर फोन पर आने वाले ओटीपी को दर्ज करना होगा। इसके बाद अकाउंट महज 30 सेकेंड में हरे रंग के टिक के साथ वेरिफाई हो जाएगा। Koo ने कहा है कि वह वेरिफिकेशन से जुड़ी किसी भी जानकारी को स्टोर नहीं करता है।
नए फीचर की लॉन्चिंग पर Koo के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा, “सोशल मीडिया पर विश्वास और सुरक्षा को बढ़ावा देने में Koo सबसे आगे है। स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन प्रणाली शुरू करने वाला दुनिया का पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म होने पर हमें बहुत गर्व है। यूजर्स हमारी सुरक्षित सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से कुछ सेकेंड में सेल्फ-वेरिफिकेशन हासिल कर सकते हैं। यह यूजर्स को अधिक प्रामाणिकता देने और प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अधिकांश सोशल मीडिया मंच यह ताकत केवल कुछ खातों को देते हैं। Koo App ऐसा पहला मंच है जिसने अब हर यूजर को समान विशेषाधिकार प्राप्त करने का अधिकार दिया है।’
स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन से जुड़े प्रश्न
- क्या Koo App यूजर की कोई जानकारी स्टोर करता है?
- नहीं, Koo App यूजर से संबंधित कोई भी जानकारी स्टोर नहीं करता है। सरकार द्वारा स्वीकृत थर्ड पार्टी की सेवा का इस्तेमाल जानकारी के सत्यापन के लिए किया जाता है।
- क्या प्रमाणीकरण के बाद मेरे पहचान पत्र का विवरण Koo App पर दिखाई देता है?
- नहीं, इसका इस्तेमाल केवल यूजर्स की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए किया जाता है।
- क्या अन्य यूजर्स को मेरे नाम और पहचान पत्र की जानकारी प्राप्त होगी?
- नहीं। यूजर के प्रोफाइल पर विवरण वही रहता है जो सत्यापन से पहले हुआ करता था।
- क्या Koo App पर सरकार द्वारा स्वीकृत पहचान पत्र की जानकारी दर्ज करना सुरक्षित है?
- हां। Koo App पर स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकशन प्रक्रिया सुरक्षित है। यह सत्यापन प्रक्रिया सरकार द्वारा अधिकृत थर्ड-पार्टी द्वारा की जाती है। Koo App यूजर्स के डेटा को स्टोर नहीं करता है।
- यूजर को ऐसा क्यों करना चाहिए?
- एक यूजर जो अपनी प्रोफाइल को वेरिफाई करता है, उसकी पहचान एक प्रामाणिक यूजर के रूप में की जाती है, जो बदले में उनके विचारों और राय को अधिक विश्वसनीयता प्रदान करता है। स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन, मंच पर असल आवाजों को बढ़ावा देता है। यह उन्हें सत्यापन का वही विशेषाधिकार भी देता है जो अन्य सोशल मीडिया पर केवल कुछ प्रतिष्ठित खातों के लिए उपलब्ध था।
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