अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Sun, 15 Aug 2021 03:44 AM IST
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
– फोटो : PTI
देश की आजादी को 75 वर्ष तक झूठा मानने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आखिर मान लिया है कि भारत अब स्वतंत्र है। माकपा 74 साल बाद पहली बार धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाएगी। पार्टी की शीर्षस्थ संस्था सेंट्रल कमेटी ने फैसला किया है कि 15 अगस्त के दिन पूरे देश में माकपा के सभी कार्यालयों पर झंडारोहण होगा और आजादी का जश्न मनाया जाएगा।
माकपा की सेंट्रल कमेटी के सदस्य और पूर्व सांसद सुजान चक्रवर्ती ने हाल ही में कमेटी की एक बैठक में यह प्रस्ताव रखा था, जिसे कमेटी ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। वामपंथी विचारक और वरिष्ठ अधिवक्ता दीपक सिंह के मुताबिक, अब तक वाम दलों का मानना था कि संविधान सभा का गठन ब्रिटिश संसद ने किया था। इसलिए उसका बनाया संविधान भी हमारा नहीं हो सकता। इसी कारण कामरेड हसन मोहानी ने संविधान सभा से त्यागपत्र भी दे दिया था। तभी से वामदल पंद्रह अगस्त पर झंडारोहण के बजाय विभिन्न विषयों पर विचार गोष्ठियां आयोजित करते रहे हैं।
हालांकि सुजान चक्रवर्ती के मुताबिक, पार्टी पहली बार स्वतंत्रता दिवस समारोह नहीं मना रही है। उनका कहना है कि 15 अगस्त 1947 को तत्कालीन मद्रास प्रेसिडेंसी के वेल्लोर में कामरेड एके गोपालन ने झंडारोहण किया था। उसके बाद भी हम लोग अपने जिला कार्यालय में प्रदेश कार्यालय और राष्ट्रीय कार्यालय पर स्वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण करते आए हैं। लेकिन 75वें स्वतंत्रता दिवस पर इसे धूमधाम से मनाने का फैसला किया है।
घटते जनाधार ने बदला रुख
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि माकपा के रुख में बदलाव का कारण उसका घटता जनाधार है। पश्चिम बंगाल में 34 साल तक राज करने वाली माकपा 2019 के आम चुनाव में बुरी तरह हारी और हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली। इसके चलते उसे बदलाव की तरफ मुड़ना पड़ रहा है।
विस्तार
देश की आजादी को 75 वर्ष तक झूठा मानने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आखिर मान लिया है कि भारत अब स्वतंत्र है। माकपा 74 साल बाद पहली बार धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाएगी। पार्टी की शीर्षस्थ संस्था सेंट्रल कमेटी ने फैसला किया है कि 15 अगस्त के दिन पूरे देश में माकपा के सभी कार्यालयों पर झंडारोहण होगा और आजादी का जश्न मनाया जाएगा।
माकपा की सेंट्रल कमेटी के सदस्य और पूर्व सांसद सुजान चक्रवर्ती ने हाल ही में कमेटी की एक बैठक में यह प्रस्ताव रखा था, जिसे कमेटी ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। वामपंथी विचारक और वरिष्ठ अधिवक्ता दीपक सिंह के मुताबिक, अब तक वाम दलों का मानना था कि संविधान सभा का गठन ब्रिटिश संसद ने किया था। इसलिए उसका बनाया संविधान भी हमारा नहीं हो सकता। इसी कारण कामरेड हसन मोहानी ने संविधान सभा से त्यागपत्र भी दे दिया था। तभी से वामदल पंद्रह अगस्त पर झंडारोहण के बजाय विभिन्न विषयों पर विचार गोष्ठियां आयोजित करते रहे हैं।
हालांकि सुजान चक्रवर्ती के मुताबिक, पार्टी पहली बार स्वतंत्रता दिवस समारोह नहीं मना रही है। उनका कहना है कि 15 अगस्त 1947 को तत्कालीन मद्रास प्रेसिडेंसी के वेल्लोर में कामरेड एके गोपालन ने झंडारोहण किया था। उसके बाद भी हम लोग अपने जिला कार्यालय में प्रदेश कार्यालय और राष्ट्रीय कार्यालय पर स्वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण करते आए हैं। लेकिन 75वें स्वतंत्रता दिवस पर इसे धूमधाम से मनाने का फैसला किया है।
घटते जनाधार ने बदला रुख
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि माकपा के रुख में बदलाव का कारण उसका घटता जनाधार है। पश्चिम बंगाल में 34 साल तक राज करने वाली माकपा 2019 के आम चुनाव में बुरी तरह हारी और हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली। इसके चलते उसे बदलाव की तरफ मुड़ना पड़ रहा है।
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