इस मौके पर संस्थान ने बुधवार को ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया और इसकी घोषणा के लिए संस्थान के निदेशक और अनुसंधानकर्ता मौजूद रहे। आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रोफेसर वीके तिवारी ने कहा, ‘‘यह कदम ऐसे कठिन समय उठाया जा रहा है जब कोविड-19 का संक्रमण तेजी से फैल रहा है जिसे आम भाषा में संक्रमण की दूसरी लहर कहा जा रहा है, पहले से अधिक तेजी से इसके फैलने का खतरा बना हुआ है।’’
तिवारी ने कहा,‘‘ इससे भी अधिक कोविरैप के व्यावसायिकरण से भारत में स्वदेशीकरण की शुरुआत होगी और भारतीय बाजार में सस्ते स्वास्थ्य उत्पाद उपलब्ध होंगे। साथ ही वैश्विक बाजार में जो खाई है उसे भरने के लिए इस तरह की तकनीक की जरूरत है।’’
Global Launch of IIT Kharagpur’s COVIRAP-Nucleic acid-based Point-of-Care Testing Device for #COVID19 and beyond. Test result received in 45mins~ without requiring any separate RNA extraction facilityhttps://t.co/cz3eqlskAC#COVIDEmergency2021 #COVIDSecondWave (1/n) pic.twitter.com/6w0CvQkTSR
— IIT Kharagpur🇮🇳 #StaySafe (@IITKgp) April 21, 2021
चक्रवर्ती ने बताया कि अनुसंधान टीम ने ‘आइसोथर्मल न्यूक्लिक एसिड’जांच प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर कोविरैप का अद्यतन संस्करण तैयार किया जिससे सार्स-कोव-2 (सामान्य भाषा में कोरोना वायरस) सहित विषाणुओं के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।
इसके जरिये कोविड-19 की जांच सीधे व्यक्ति की लार के नमूने और टीम द्वारा तैयार पोर्टेबल उपकरण से की जा सकती है, इसमें अलग से आरएनए (विषाणु की आनुवांशिकी पदार्थ) निकालने की सुविधा की जरूरत नहीं होती। उन्होंने बताया कि मरीज का नमूना लेने के महज 45 मिनट में नतीजे आ जाते हैं। त्वरित नतीजे के लिए इस किट के साथ मुफ्त मोबाइल एप को भी पूरक के तौर तैयार किया गया है।
चक्रवर्ती ने बताया कि जांच के दौरान नाक और मुंह से नमूने लिए जाते हैं और उसे घोल में डालकर पतला किया जाता है व इसके बाद प्रतिक्रियाशील द्रव्य (जिसकी आपूर्ति पहले ही तैयार स्वरूप में होती है) डालकर पोर्टेबल उपकरण में जांच की जाती है और बिना व्यक्तिगत हस्तक्षेप स्वत: ही नतीजे आ जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने क्षेत्र में इसका प्रशिक्षण अकुशल कर्मियों की मदद से गुणवत्ता से समझौता किए बिना किया। सभी नमूनों के एकत्र करने और उनकी जांच करने की प्रक्रिया पोर्टेबल उपकरण से कहीं भी जा सकती है और इसके लिए अधिक प्रशिक्षण देने की जरूरत नहीं होती, इसलिए यह प्रौद्योगिकी समुदाय स्तर पर जांच के लिए कारगर है ताकि समय रहते महामारी का पता लगाया जा सके।’’
चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘यह समुदाय स्तर पर संक्रमण को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है।’’अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया है कि कोविरैप में उन समस्याओं का समाधान है जिसका सामना इसी तरह की अन्य जांच में करना पड़ता है। इस प्रौद्योगिकी को आईआईटी खड़गपुर के नाम पेटेंट करने के लिए अमेरिका और भारत सहित विभिन्न देशों में आवेदन किया गया है।
