माघ माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है
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Gupt Navratri: हिंदी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष चार नवरात्रि मनाई जाती है। प्रथम माघ महीने और तीसरी आषाढ़ माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती है और वहीं दूसरी चैत्र महीने में मनाई जाने वाली चैत्र नवरात्रिऔर चौथी और अंतिम अश्विन महीने में मनाई जाती है, जिसे अश्विन नवरात्रि या शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इस साल माघ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी को शुरु होकर 10 फरवरी को समाप्त होगी। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की देवी की पूजा-उपासना की जाती है। इन दोनों नवरात्रि में तंत्र जादू-टोना सीखने वाले साधक कठिन भक्ति कर माता को प्रसन्न करते हैं। गुप्त नवरात्रि को तंत्र साधना के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्रि के दौरान ग्रहों के खास योग बन रहे हैं, जिसके कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं क्या है वो खास योग-
19 साल बाद गुप्त नवरात्रि में राहु अपनी मित्र राशि वृषभ में स्थित है।
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19 साल बाद राहु अपने मित्र राशि में स्थित
गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से आरंभ है। इस बार 19 साल बाद गुप्त नवरात्रि में राहु अपनी मित्र राशि वृषभ में स्थित है। इससे पूर्व 19 वर्ष पूर्व 2 फरवरी 2003 को गुप्त नवरात्रि के आरंभ में राहु वृषभ राशि में स्थित थे। वर्तमान में सूर्य और शनि भी एक साथ मकर राशि में स्थित हैं। मकर के स्वामीग्रह भी शनि है तो तंत्र साधकों के अनुसार सूर्य-शनि के एक साथ एक ही राशि में होने तंत्र क्रियाएं आसानी पूर्वक हो जाएंगी। गुप्त नवरात्रि में जो लोग तंत्र साधन करते हैं उनका इसको विशेष फल प्राप्त होगा।
गुप्त नवरात्रि को तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली नवरात्रि माना गया है।
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गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। इसे तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली नवरात्रि माना गया है। मान्यता है कि इस नवरात्रि में की जाने वाली विशेष पूजा कई प्रकार के कष्टों को दूर होते हैं। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक महाविद्याओं को भी सिद्ध करने के लिए मां दुर्गा की उपासना की जाती है।
कई साधक आत्मसुख की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना करते हैं।
गुप्त नवरात्रि में साधना से लाभ
गुप्त नवरात्रि में माता की आराधना से कोर्ट में विजय, संतान सुख, मारण, उच्चाटन, मोहन, आकर्षण आदि कई लाभ होते हैं। राजनीतिक सफलता के लिए पद प्राप्ति एवं कई साधक आत्मसुख की प्राप्ति के लिए इनकी आराधना करते हैं। इस बार गुप्त नवरात्रि इसलिए भी खास है क्योंकि इस दौरान देवी सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी भी 5 फरवरी को मनाया जाएगा।
गुप्त नवरात्रि पर पूजा गुप्त रखने से उसके लाभ और प्रभाव में वृद्धि होती है।
गुप्त नवरात्रि में करते हैं 10 महाविद्याओं की पूजा
गुप्त नवरात्रि पर पूजा और व्रत रखने वाले अपनी पूजा गुप्त को रखते हैं। इसके पीछे धारणा है कि पूजा गुप्त रखने से उसके लाभ और प्रभाव में वृद्धि होती है। इस नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इसमें मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की पूजा का विधान है।