हिंदी सिनेमा में अपनी दमदार भूमिकाओं के लिए मशहूर ओम प्रकाश की आज पुण्यतिथि है। साल 1998 में ओमप्रकाश इस दुनिया को अलविदा कह गए। पांच दशक तक पर्दे पर अपनी कलाकारी दिखाने वाले ओम प्रकाश ने अपनी कॉमिक टाइमिंग से अच्छे-अच्छे कॉमेडियनों को भी पीछे छोड़ दिया था। उनका जन्म 19 दिसंबर 1919 को जम्मू में हुआ था। ओमप्रकाश ने 12 साल की उम्र में क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया था। उन्हें सगीत के अलावा थियेटर व फिल्मों में दिलचस्पी थी।
Entertainment
Death Anniversary: वो एक्टर जिसने एक विधवा औरत पर रहम खाकर की थी उसकी बेटी से शादी
ओमप्रकाश को ‘दासी’ फिल्म के जरिये पहला ब्रेक मिला, इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। ओमप्रकाश ने अपने करियर में आजाद,मिस मैरी, हावड़ा ब्रिज, दस लाख, प्यार किए जा, खानदान, साधु और शैतान, गोपी, दिल दौलत दुनिया समेत कई फिल्मों में काम किया। हर फिल्म में उनका किरदार पहले से जुदा होता था। वे डायरेक्टर भी रहे। राजकपूर और नूतन जैसे स्टार्स को उन्होंने ‘कन्हैया’ में डायरेक्ट किया था।
ओम प्रकाश की लव स्टोरी भी बड़ी मजेदार थी। एक किस्सा शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे एक सिख लड़की से प्यार हो गया था लेकिन लड़की के घरवाले मेरे खिलाफ थे क्योंकि मैं हिंदू था। मेरी मां उनके घर बात भी करने गई लेकिन उसके घरवाले नहीं मानें। इसके बाद जो कुछ हुआ उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
एक दिन ओमप्रकाश पान की दुकान पर खड़े थे तभी एक विधवा महिला आई और अपनी बड़ी बेटी से शादी करने के लिए ओमप्रकाश से मिन्नतें करने लगी। ओमप्रकाश की आत्मकथा के मुताबिक महिला ने कहा कि वो विधवा हैं और उनकी चार बेटियां हैं जिनमें सबसे बड़ी 16 साल की है। वो मुझे दामाद बनाना चाहती थीं। इस बारे में मेरी मां से भी उनकी बात हो चुकी थी। उन्होंने मेरे आगे अपना पल्लू फैलाया और विनती की कि मैं उनकी बेटी से शादी कर लूं। फिर क्या था मैंने अपने प्यार को भुला दिया और उस महिला की लड़की से शादी कर ली।
एक्टिंग के साथ-साथ ओम प्रकाश ने फिल्म निर्माण में भी हाथ आजमाया। ओमप्रकाश ने ही फिल्मों में गेस्ट रोल का चलन शुरू किया था। उन्होंने 60 के दशक में फिल्म संजोग, जहांआरा और गेटवे आफ इंडिया जैसी फिल्में बनाईं। आखिरी दिनों में वे बीमार रहने लगे थे और जानते थे कि नहीं बचेंगे। ओम प्रकाश को दिल का दौरा पड़ने पर उन्हें मुंबई में ही लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां वह कोमा में चले गए। 21 फरवरी, 1998 को उन्होंने आखिरी सांस ली।