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Budget 2022: कोरोना ने बढ़ाया बीमा का महत्व, इंश्योरेंस कंपनियों को वित्त मंत्री से ये बड़ी उम्मीदें

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बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Sun, 30 Jan 2022 03:26 PM IST

सार

Union Budget 2022 Insurance Sector Expectations:  देश का बजट पेश होने की तारीख बेहद नजदीक है। इस बीच तमाम सेक्टर अपनी-अपनी मांगों को सामने रख रहे हैं। इस क्रम में बीमा क्षेत्र को भी बजट में कई बड़े एलान होने की आस है। लाइफ इंश्योरेंस को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी से बाहर किया जा सकता है और इंश्योरेंस सेक्टर के लिए कोई एक लिमिट बढ़ाई जा सकती है।

केंद्रीय बजट 2022
– फोटो : अमर उजाला

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देश का बजट पेश होने की तारीख बेहद नजदीक है। मंगलवार 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट 2022 पेश करेंगी। इस बीच तमाम सेक्टर अपनी-अपनी मांगों को सामने रख रहे हैं। इस क्रम में बीमा क्षेत्र को भी बजट में कई बड़े एलान होने की आस है। लाइफ इंश्योरेंस को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी से बाहर किया जा सकता है और इंश्योरेंस सेक्टर के लिए कोई एक लिमिट बढ़ाई जा सकती है। 

जीएसटी कम करने से होगा फायदा
इस क्षेत्र की मांग है कि लाइफ इंश्योरेंस और मेडिक्लेम इंश्योरेंस दोनों को नई कैटेगरी के तहत जोड़ा जा सकता है या फिर 80सी की लिमिट का ओवरआल बढ़ाया जा सकता है। ऐसा होने पर लगभग ज्यादातर करदाताओं को बड़ा फायदा होगा। इस बार के बजट में इंश्योरेंस/मेडिक्लेम प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी कम करने की उम्मीद भी करदाताओं को है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस मांग को सरकार की ओर से बजट 2022 में शामिल किया जा सकता है। बीमा प्रीमियम पर लगाए जा रहे 18 फीसदी जीएसटी को कम करेगी, ताकि कवर की कुल लागत आबादी के लिए वहनीय बनी रहे। पॉलिसी प्रीमियम पर 5 फीसदी का जीएसटी अधिक लोगों को बीमा योजनाओं को चुनने के लिए प्रोत्साहित करेगा। 

80डी में बदलाव होगा फायदेमंद
इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को उम्मीद हैं कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80डी के तहत कोई इंडिविजुअल अपने और अपने परिवार के लिए मेडिकल क्लेम प्रीमियम पर 25000 रुपये के डिडक्शन का क्लेम कर सकता है। इस लिमिट को बढ़ाकर 50,000 से बढ़ाकर 75000 रुपये किया जाना चाहिए। चिकित्सा खर्च में आ रही बढ़ोतरी और गंभीर बीमारियों के बढ़ते मामलों की वजह से निम्न आय वर्ग के लिए इस तरह की छूट की जरुरत है। टैक्स डिडक्शन लिमिट में बढ़ोतरी से देश में हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। सना इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट के सह संस्थापक श्रीनाथ मुखर्जी, का कहना है कि सरकार को स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी दरें कम करने का एलान करना चाहिए, क्योंकि चिकित्सा सेवाओं पर या तो शून्य जीएसटी है या कम दर है। उस राशि का उपयोग इसके बजाय उच्च कवरेज खरीदने के लिए किया जा सकता है।

विस्तार

देश का बजट पेश होने की तारीख बेहद नजदीक है। मंगलवार 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट 2022 पेश करेंगी। इस बीच तमाम सेक्टर अपनी-अपनी मांगों को सामने रख रहे हैं। इस क्रम में बीमा क्षेत्र को भी बजट में कई बड़े एलान होने की आस है। लाइफ इंश्योरेंस को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी से बाहर किया जा सकता है और इंश्योरेंस सेक्टर के लिए कोई एक लिमिट बढ़ाई जा सकती है। 

जीएसटी कम करने से होगा फायदा

इस क्षेत्र की मांग है कि लाइफ इंश्योरेंस और मेडिक्लेम इंश्योरेंस दोनों को नई कैटेगरी के तहत जोड़ा जा सकता है या फिर 80सी की लिमिट का ओवरआल बढ़ाया जा सकता है। ऐसा होने पर लगभग ज्यादातर करदाताओं को बड़ा फायदा होगा। इस बार के बजट में इंश्योरेंस/मेडिक्लेम प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी कम करने की उम्मीद भी करदाताओं को है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस मांग को सरकार की ओर से बजट 2022 में शामिल किया जा सकता है। बीमा प्रीमियम पर लगाए जा रहे 18 फीसदी जीएसटी को कम करेगी, ताकि कवर की कुल लागत आबादी के लिए वहनीय बनी रहे। पॉलिसी प्रीमियम पर 5 फीसदी का जीएसटी अधिक लोगों को बीमा योजनाओं को चुनने के लिए प्रोत्साहित करेगा। 

80डी में बदलाव होगा फायदेमंद

इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को उम्मीद हैं कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80डी के तहत कोई इंडिविजुअल अपने और अपने परिवार के लिए मेडिकल क्लेम प्रीमियम पर 25000 रुपये के डिडक्शन का क्लेम कर सकता है। इस लिमिट को बढ़ाकर 50,000 से बढ़ाकर 75000 रुपये किया जाना चाहिए। चिकित्सा खर्च में आ रही बढ़ोतरी और गंभीर बीमारियों के बढ़ते मामलों की वजह से निम्न आय वर्ग के लिए इस तरह की छूट की जरुरत है। टैक्स डिडक्शन लिमिट में बढ़ोतरी से देश में हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। सना इंश्योरेंस ब्रोकर्स प्राइवेट के सह संस्थापक श्रीनाथ मुखर्जी, का कहना है कि सरकार को स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी दरें कम करने का एलान करना चाहिए, क्योंकि चिकित्सा सेवाओं पर या तो शून्य जीएसटी है या कम दर है। उस राशि का उपयोग इसके बजाय उच्च कवरेज खरीदने के लिए किया जा सकता है।

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