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साझा बैठक: भारत-अमेरिका ने कहा- अफगानिस्तान में सुरक्षित पनाहगाहें न बनाएं आतंकी

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भारत और अमेरिकी अधिकारियों ने आतंकवाद से निपटने को लेकर हुई साझा वार्ता के समापन पर तालिबान से यह सुनिश्चित करने को कहा कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल सुरक्षित आतंकी पनाहगाह के रूप में ना हो। दोनों पक्षों ने आतंकवाद रोधी सहयोग की पुन: पुष्टि करते हुए कानून प्रवर्तन, सूचना साझेदारी और आतंकवाद रोधी चुनौतियों पर सामरिक सहयोग को और विस्तार देने का संकल्प लिया।

भारत-अमेरिकी साझा बयान में कहा गया कि वाशिंगटन में 26 और 27 अक्तूबर को हुई बैठक के दौरान अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत सरकार और भारतीयों के साथ खड़े होने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा प्रतिबंधित अल-कायदा, आईएस, लश्कर-ए-ताइबा, जैश-ए-मोहम्मद समेत सभी आतंकी गुटों के विरुद्ध संगठित कार्रवाई की मांग की।

दोनों पक्षों ने यूएनएससी संकल्प के मुताबिक तालिबान से अपील की कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अब कभी भी किसी देश पर हमला करने, आतंकी पनाह या हमलों की योजना बनाने अथवा उनकी आर्थिक मदद के लिए न किया जाए।

आतंकवाद के हर स्वरूप पर रोक की चर्चा
दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान के घटनाक्रमों और वहां से उभरने वाले किसी भी संभावित आतंकवादी खतरे के बारे में करीबी विचार-विमर्श जारी रखने का संकल्प किया। यूएनएससी के प्रस्ताव 2396 (2017) के अनुरूप, दोनों देशों के अधिकारियों ने आतंकवादियों के आवागमन पर रोक लगाने के तरीकों पर भी चर्चा की।

बैठक में भारतीय विदेश मंत्रालय में आतंकवाद रोधी संयुक्त सचिव महावीर सिंघवी और अमेरिका की तरफ से आतंक-रोधी विदेश मंत्रालय के कार्यवाहम समन्वयक जॉन टी. ग्रॉडफ्रे ने अपने-अपने प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया।

साइबर डोमेन का गलत उपयोग कर रहे आतंकी गुटों से निपटें : भारत
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सोशल मीडिया पर नफरत भरे भाषणों से निपटने के लिए सदस्य देशों की भूमिका पर जोर दिया।

भारत ने कहा, सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले भाषणों, भेदभाव, शत्रुता, हिंसा की भावना भड़काने वालों पर सदस्य देश साइबर डोमेन का गलत इस्तेमाल करने वाले आतंकी गुटों से निपटने में मदद कर सकते हैं। इससे नफरत का असर खत्म किया जा सकता है।

यूएन में भारत के स्थायी मिशन काउंसलर प्रतीक माथुर ने सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा के इस्तेमाल, भेदभाव, शत्रुता व हिंसा पर रोक लगाने संबंधी वर्चुअल एरिया फॉर्मूला बैठक में कहा, ‘एडवांस टेक्नोलॉजी की प्रगति का एक दूसरा पहलू- शांति भंग करना, हिंसा भड़काना और सामाजिक सद्भाव को बाधित करना भी है।

सूचना व संचार प्रौद्योगिकी ने सामाजिक नजदीकी लाने के साथ विश्व को एक ‘ग्लोबल फैमिली’ में बदलने में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन इसका इस्तेमाल भेदभावपूर्ण विचारों और हिंसक कट्टरता के अलावा आतंकवाद बढ़ाने में भी हो रहा है जिसे तत्काल रोकना जरूरी है।

अफगानिस्तान को 14.4 करोड़ डॉलर की मानवीय मदद देगा अमेरिका
अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के अधीन गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहे लोगों की मदद के लिए अमेरिका 14.4 करोड़ डॉलर देगा। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि सहायता स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय और गैर-सरकारी मानवीय संगठनों को सीधे प्रदान की जाएगी, जिनमें शरणार्थियों से जुड़ा संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त, यूनिसेफ, विश्व आव्रजन संगठन और डब्ल्यूएचओ शामिल हैं।

ब्लिंकेन ने कहा, इस कोष के जरिये क्षेत्र के 1.8 करोड़ से अधिक जरूरतमंदों को सीधे मदद दी जाएगी, जिसमें पड़ोसी देशों में पनाह लेने वाले अफगानिस्तान के शरणार्थी भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा, इसी के साथ अफगानिस्तान व इस क्षेत्र में अफगानिस्तानी शरणार्थियों के लिए कुल अमेरिकी मानवीय सहायता 2021 में बढ़कर लगभग 47.4 करोड़ डॉलर हो गई, जो किसी भी राष्ट्र द्वारा दी गई सबसे अधिक आर्थिक मदद है। विदेश मंत्री ने कहा कि इस मानवीय मदद से अफगानिस्तान के लोगों को लाभ होना चाहिए न कि तालिबान को।

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