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यूक्रेन विवाद: अमेरिका का परमाणु युद्धाभ्यास शुरू, युद्ध भड़का तो निपटने के लिए शुरू किया ग्लोबल लाइटनिंग अभ्यास

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एजेंसी, वाशिंगटन/कीव।
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 01 Feb 2022 02:02 AM IST

सार

यह सैन्य अभ्यास ऐसे वक्त में शुरू किया गया है जब बाल्टिक सागर में रूसी नौसेना अपने जंगी जहाजों के साथ यहां जोरदार युद्धाभ्यास कर रही है। रूस ने क्षेत्र में एक लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं। अब दोनों तरफ से सैन्य जमावड़े के कारण क्षेत्रीय हालात बेहद तनावपूर्ण हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन
– फोटो : ANI

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यूक्रेन सीमा पर रूसी सैनिकों के जमावड़े के बाद अमेरिका और पश्चिमी देश एकजुट हो गए हैं। क्षेत्र में युद्ध के हालात के बीच अमेरिका ने परमाणु बम गिराने का अभ्यास शुरू किया है। यह ग्लोबल लाइटनिंग अभ्यास, अमेरिकी एटमी हथियारों का जिम्मा संभालने वाले रणनीतिक कमांड ने शुरू किया है जिसका मकसद अमेरिकी सैन्य तैयारियों को परखना है।

यह सैन्य अभ्यास ऐसे वक्त में शुरू किया गया है जब बाल्टिक सागर में रूसी नौसेना अपने जंगी जहाजों के साथ यहां जोरदार युद्धाभ्यास कर रही है। रूस ने क्षेत्र में एक लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं। अब दोनों तरफ से सैन्य जमावड़े के कारण क्षेत्रीय हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। इससे पहले अप्रैल 2021 में अमेरिका के आखिरी बार हुए ग्लोबल लाइटनिंग अभ्यास में अमेरिकी सेना ने रूस के साथ काल्पनिक तनाव के दौरान परमाणु बम गिराने का अभ्यास किया था।

हालांकि मौजूदा अभ्यास के दौरान किसी परमाणु बम या उसकी लांचिंग का अभ्यास नहीं किया जाएगा। लेकिन अमेरिकी रणनीतिक न्यूक्लियर कमांड और कंट्रोल के सर्किट परमाणु युद्ध योजना के मुताबिक निर्णय क्षमता का परीक्षण करेंगे। यह योजना पहले आतंकियों से निपटने के लिए केंद्रित होती रही है लेकिन महाशक्तियों की प्रतिस्पर्धा पर पहली बार जोर दिया गया है।

बेहद आक्रामक है अमेरिकी रणनीति
ताजा परमाणु हमले की अभ्यास योजना में कहा गया है कि यदि अमेरिका पर एटमी हमला होता है तो कुछ सैनिकों को वह जरूर बचा लेगा। ये बचे हुए सैनिक दुश्मन देश पर तब तक परमाणु हमले करेंगे जब तक कि उनका आखिरी सैनिक खत्म नहीं हो जाता। मौजूदा युद्धाभ्यास इसी सोच के साथ शुरू किया जा रहा है। पश्चिमी देशों में अमेरिका की इस रणनीति को बेहद आक्रामक माना जा रहा है।

यूक्रेन की नाटो सदस्यता से कमजोर होंगे रिश्ते : लावरोव
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि यूक्रेन के उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने से रूस और गठबंधन के रिश्ते गंभीर रूप से कमजोर होंगे। उन्होंने कहा, हर कोई समझता है कि यूक्रेन (नाटो में शामिल होने के लिए) तैयार नहीं है और नाटो की सुरक्षा को मजबूत करने में कोई योगदान नहीं देगा। लावरोव ने कहा, यूक्रेन की नाटो सदस्यता बहुत अच्छी नहीं रहेगी।

यूक्रेन के आम लोग नकली बंदूकों से कर रहे युद्धाभ्यास
रूस-यूक्रेन में युद्धविराम के बाद भी तनाव इस हद तक फैला है कि आम यूक्रेनी नागरिक भी अपनी मर्जी से सेना के साथ मिलकर नकली बंदूकों से किसी भी हमले के खतरे का सामना करने का अभ्यास कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन के कई शहरों में प्रादेशिक रक्षा बलों ने सैन्य अभ्यास में नागरिक भागीदारी बढ़ाने के लिए बाकायदा होर्डिंग्स लगाए हैं जिन पर लिखा है, जानिए कि अपने घर की रक्षा कैसे करें। इस अभ्यास में सेना भी लोगों को प्रशिक्षण दे रही है।

विस्तार

यूक्रेन सीमा पर रूसी सैनिकों के जमावड़े के बाद अमेरिका और पश्चिमी देश एकजुट हो गए हैं। क्षेत्र में युद्ध के हालात के बीच अमेरिका ने परमाणु बम गिराने का अभ्यास शुरू किया है। यह ग्लोबल लाइटनिंग अभ्यास, अमेरिकी एटमी हथियारों का जिम्मा संभालने वाले रणनीतिक कमांड ने शुरू किया है जिसका मकसद अमेरिकी सैन्य तैयारियों को परखना है।

यह सैन्य अभ्यास ऐसे वक्त में शुरू किया गया है जब बाल्टिक सागर में रूसी नौसेना अपने जंगी जहाजों के साथ यहां जोरदार युद्धाभ्यास कर रही है। रूस ने क्षेत्र में एक लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं। अब दोनों तरफ से सैन्य जमावड़े के कारण क्षेत्रीय हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। इससे पहले अप्रैल 2021 में अमेरिका के आखिरी बार हुए ग्लोबल लाइटनिंग अभ्यास में अमेरिकी सेना ने रूस के साथ काल्पनिक तनाव के दौरान परमाणु बम गिराने का अभ्यास किया था।

हालांकि मौजूदा अभ्यास के दौरान किसी परमाणु बम या उसकी लांचिंग का अभ्यास नहीं किया जाएगा। लेकिन अमेरिकी रणनीतिक न्यूक्लियर कमांड और कंट्रोल के सर्किट परमाणु युद्ध योजना के मुताबिक निर्णय क्षमता का परीक्षण करेंगे। यह योजना पहले आतंकियों से निपटने के लिए केंद्रित होती रही है लेकिन महाशक्तियों की प्रतिस्पर्धा पर पहली बार जोर दिया गया है।

बेहद आक्रामक है अमेरिकी रणनीति

ताजा परमाणु हमले की अभ्यास योजना में कहा गया है कि यदि अमेरिका पर एटमी हमला होता है तो कुछ सैनिकों को वह जरूर बचा लेगा। ये बचे हुए सैनिक दुश्मन देश पर तब तक परमाणु हमले करेंगे जब तक कि उनका आखिरी सैनिक खत्म नहीं हो जाता। मौजूदा युद्धाभ्यास इसी सोच के साथ शुरू किया जा रहा है। पश्चिमी देशों में अमेरिका की इस रणनीति को बेहद आक्रामक माना जा रहा है।

यूक्रेन की नाटो सदस्यता से कमजोर होंगे रिश्ते : लावरोव

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि यूक्रेन के उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने से रूस और गठबंधन के रिश्ते गंभीर रूप से कमजोर होंगे। उन्होंने कहा, हर कोई समझता है कि यूक्रेन (नाटो में शामिल होने के लिए) तैयार नहीं है और नाटो की सुरक्षा को मजबूत करने में कोई योगदान नहीं देगा। लावरोव ने कहा, यूक्रेन की नाटो सदस्यता बहुत अच्छी नहीं रहेगी।

यूक्रेन के आम लोग नकली बंदूकों से कर रहे युद्धाभ्यास

रूस-यूक्रेन में युद्धविराम के बाद भी तनाव इस हद तक फैला है कि आम यूक्रेनी नागरिक भी अपनी मर्जी से सेना के साथ मिलकर नकली बंदूकों से किसी भी हमले के खतरे का सामना करने का अभ्यास कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन के कई शहरों में प्रादेशिक रक्षा बलों ने सैन्य अभ्यास में नागरिक भागीदारी बढ़ाने के लिए बाकायदा होर्डिंग्स लगाए हैं जिन पर लिखा है, जानिए कि अपने घर की रक्षा कैसे करें। इस अभ्यास में सेना भी लोगों को प्रशिक्षण दे रही है।

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