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यूएई : एक भारतीय प्रवासी ने 54 दिनों में दुर्लभ व घातक जीवाणु संक्रमण को दी मात, डॉक्टरों ने बताया चमत्कार
सार
दुर्लभ और घातक जीवाणु बीमारी से संक्रमित यूएई में 42 वर्षीय एक भारतीय प्रवासी नितेश सदानंद मडगांवकर (ड्राइवर) गोवा के रहने वाले हैं। उनको सीपेसिया सिंड्रोम नामक जीवाणु संक्रमण का पता उसके 75 फीसदी तक फैल जाने के बाद लगा। डॉक्टरों का कहना है कि नितेश का ठीक होना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
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डॉक्टरों ने कहा, नितेश मडगांवकर का ठीक होना चमत्कार से कम नहीं
यूएई में गोवा के रहने वाले भारतीय प्रवासी ड्राइवर नितेश सदानंद मडगांवकर को सीपेसिया सिंड्रोम नामक जीवाणु संक्रमण का पता उसके 75 फीसदी तक फैल जाने के बाद लगा। डॉक्टरों का कहना है कि नितेश का ठीक होना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
सीपेसिया सिंड्रोम एक घातक स्थिति है जो कई अंगों को विफल करने के साथ साझा श्वसन प्रणाली को भी प्रभावित करती है। 27 साल से यूएई में रहने वाले मडगांवकर अगस्त के अंतिम सप्ताह में छुट्टी के बाद अबू धाबी लौटे और क्वारंटीन रहने के दौरान उन्हें बुखार व कमजोरी हो गई।
बुखार आने के दो दिन बाद 28 अगस्त को उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें निमोनिया होने का पता लगा। बाद में हालत बिगड़ने पर उन्हें सीपेसिया सिंड्रोम का इलाज दिया गया। यह एक दुर्लभ जीवाणु है जो शरीर में कई फोड़े, सांस में दिक्कत और सूंघने व भूख लगने की ताकत खत्म कर देता है।
फेफड़ों के घाव, जिगर के फोड़े खत्म हुए
नितेश मडगांवकर का इलाज पुर्जील मेडिकल सिटी के विशेषज्ञ नियास खालिद और जॉर्जी कोशी की टीम ने किया। खालिद ने कहा, उसे ठीक होने में चार सप्ताह लग गए। अब उसके फेफड़ों में घाव और जिगर में फोड़े खत्म हो गए हैं। उसे जीवाणु संक्रमण को मात देने में 54 दिन लग गए। मडगांवकर ने दोबारा जीवन मिलने पर डॉक्टरों को धन्यवाद कहा।
विस्तार
डॉक्टरों ने कहा, नितेश मडगांवकर का ठीक होना चमत्कार से कम नहीं
यूएई में गोवा के रहने वाले भारतीय प्रवासी ड्राइवर नितेश सदानंद मडगांवकर को सीपेसिया सिंड्रोम नामक जीवाणु संक्रमण का पता उसके 75 फीसदी तक फैल जाने के बाद लगा। डॉक्टरों का कहना है कि नितेश का ठीक होना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
सीपेसिया सिंड्रोम एक घातक स्थिति है जो कई अंगों को विफल करने के साथ साझा श्वसन प्रणाली को भी प्रभावित करती है। 27 साल से यूएई में रहने वाले मडगांवकर अगस्त के अंतिम सप्ताह में छुट्टी के बाद अबू धाबी लौटे और क्वारंटीन रहने के दौरान उन्हें बुखार व कमजोरी हो गई।
बुखार आने के दो दिन बाद 28 अगस्त को उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें निमोनिया होने का पता लगा। बाद में हालत बिगड़ने पर उन्हें सीपेसिया सिंड्रोम का इलाज दिया गया। यह एक दुर्लभ जीवाणु है जो शरीर में कई फोड़े, सांस में दिक्कत और सूंघने व भूख लगने की ताकत खत्म कर देता है।
फेफड़ों के घाव, जिगर के फोड़े खत्म हुए
नितेश मडगांवकर का इलाज पुर्जील मेडिकल सिटी के विशेषज्ञ नियास खालिद और जॉर्जी कोशी की टीम ने किया। खालिद ने कहा, उसे ठीक होने में चार सप्ताह लग गए। अब उसके फेफड़ों में घाव और जिगर में फोड़े खत्म हो गए हैं। उसे जीवाणु संक्रमण को मात देने में 54 दिन लग गए। मडगांवकर ने दोबारा जीवन मिलने पर डॉक्टरों को धन्यवाद कहा।