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मलयालम चैनल पर पाबंदी: सुप्रीम कोर्ट ने मांगा केंद्र सरकार से जवाब, 'मीडियावन' ने दी रोक को चुनौती
पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Thu, 10 Mar 2022 12:56 PM IST
सार
मलयालम न्यूज चैनल ‘मीडियावन’ ने इस मामले में केरल हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के पाबंदी के फैसले को बरकरार रखा है। केंद्र ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर इस चैनल के प्रसारण पर रोक लगाई है।
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केरल के एक मलयालम न्यूज चैनल के प्रसारण पर केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई रोक का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मलयालम न्यूज चैनल ‘मीडियावन’ ने इस मामले में केरल हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के पाबंदी के फैसले को बरकरार रखा है। केंद्र ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर इस चैनल के प्रसारण पर रोक लगाई है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से जवाब मांगा। इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल हैं।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी, दुष्यंत दवे व हुजेफा अहमदी चैनल की ओर से पेश हुए। उन्होंने अपनी दलीलों में कहा कि यह ताकत के घोर दुरुपयोग का मामला है। रोहतगी ने कहा कि लाइसेंस का नवीनीकरण कराने के लिए सुरक्षा मंजूरी की जरूरत नहीं है और यह चैनल पिछले 12 सालों से चल रहा है। चैनल को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। यह छोटा क्षेत्रीय चैनल है और उसके सैकड़ों कर्मचारी हैं, जिनके परिवार का इससे दाना पानी चलता है। इसलिए इसे अंतरिम राहत दी जाए। 2019 में इस चैनल के 2.5 करोड़ दर्शक थे।
इसके बाद कोर्ट ने मामले की आगे सुनवाई अगले मंगलवार को तय कर दी।
विस्तार
मलयालम न्यूज चैनल ‘मीडियावन’ ने इस मामले में केरल हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के पाबंदी के फैसले को बरकरार रखा है। केंद्र ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर इस चैनल के प्रसारण पर रोक लगाई है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से जवाब मांगा। इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल हैं।
पीठ ने सरकार से वह रिकॉर्ड मांगा है, जिसके आधार पर हाईकोर्ट ने पाबंदी के आदेश को उचित माना था। केंद्र से नोटिस का 15 मार्च तक जवाब मांगा गया है। इस विशेष अनुमति याचिका में शीर्ष कोर्ट से अंतरिम राहत प्रदान करने का आग्रह किया गया है।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी, दुष्यंत दवे व हुजेफा अहमदी चैनल की ओर से पेश हुए। उन्होंने अपनी दलीलों में कहा कि यह ताकत के घोर दुरुपयोग का मामला है। रोहतगी ने कहा कि लाइसेंस का नवीनीकरण कराने के लिए सुरक्षा मंजूरी की जरूरत नहीं है और यह चैनल पिछले 12 सालों से चल रहा है। चैनल को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। यह छोटा क्षेत्रीय चैनल है और उसके सैकड़ों कर्मचारी हैं, जिनके परिवार का इससे दाना पानी चलता है। इसलिए इसे अंतरिम राहत दी जाए। 2019 में इस चैनल के 2.5 करोड़ दर्शक थे।
इसके बाद कोर्ट ने मामले की आगे सुनवाई अगले मंगलवार को तय कर दी।