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मद्रास हाईकोर्ट: पुराने रिकॉर्ड से मौजूदा आरोप मजबूत नहीं कर सकते

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एजेंसी, चेन्नई
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 13 Aug 2021 03:10 AM IST

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मद्रास हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि किसी कर्मचारी के पुराने खराब रिकॉर्ड तभी देखे जा सकते हैं, यदि मौजूदा आरोप सही साबित हो जाए। मौजूदा आरोप मजबूत करने के लिए पुराने रिकॉर्ड का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए।

जस्टिस एस वैद्यनाथन की एकल पीठ ने यह निर्णय हाल ही में कांचीपुरम में तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम (विल्लूपुरम) लिमिटेड के प्रबंधन की एक अपील को निस्तारित करते हुए दिया। इस अपील में विशेष संयुक्त आयुक्त (श्रम) के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। संयुक्त आयुक्त ने 29 अक्तूबर, 2019 के अपने आदेश में एक ड्राइवर को एक गंभीर सड़क दुर्घटना का जिम्मेदार मानते हुए उसकी सेवाएं खत्म करने के निगम के 17 दिसंबर, 2018 के निर्णय को खारिज कर दिया था।

निगम प्रबंधन ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। जस्टिस वैद्यनाथन ने सुनवाई में गौर किया कि श्रम आयुक्त ने इस आधार पर निर्णय दिया था कि ड्राइवर आर बक्तावत्सलम के ऊपर लगे आरोपों के पक्ष में कोई सबूत नहीं है। निगम ने यह कार्रवाई महज इस आधार पर की थी कि ड्राइवर पहले भी दो अन्य दुर्घटना कर चुका है और सजा भी पा चुका है।

जस्टिस वैद्यनाथन ने अपने फैसले में कहा कि मौजूदा आरोप सही साबित होने की स्थिति में ही पुराना रिकॉर्ड देखा जा सकता है। इस मामले में मौजूदा आरोप साबित नहीं हुआ है, इसलिए पुराना रिकॉर्ड देखने की आवश्यकता ही नहीं है। इसके साथ ही जज ने ड्राइवर को 16 अगस्त से दोबारा काम पर नियुक्त किए जाने का आदेश देते हुए निगम की अपील खारिज कर दी।

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मद्रास हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि किसी कर्मचारी के पुराने खराब रिकॉर्ड तभी देखे जा सकते हैं, यदि मौजूदा आरोप सही साबित हो जाए। मौजूदा आरोप मजबूत करने के लिए पुराने रिकॉर्ड का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए।

जस्टिस एस वैद्यनाथन की एकल पीठ ने यह निर्णय हाल ही में कांचीपुरम में तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम (विल्लूपुरम) लिमिटेड के प्रबंधन की एक अपील को निस्तारित करते हुए दिया। इस अपील में विशेष संयुक्त आयुक्त (श्रम) के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। संयुक्त आयुक्त ने 29 अक्तूबर, 2019 के अपने आदेश में एक ड्राइवर को एक गंभीर सड़क दुर्घटना का जिम्मेदार मानते हुए उसकी सेवाएं खत्म करने के निगम के 17 दिसंबर, 2018 के निर्णय को खारिज कर दिया था।

निगम प्रबंधन ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। जस्टिस वैद्यनाथन ने सुनवाई में गौर किया कि श्रम आयुक्त ने इस आधार पर निर्णय दिया था कि ड्राइवर आर बक्तावत्सलम के ऊपर लगे आरोपों के पक्ष में कोई सबूत नहीं है। निगम ने यह कार्रवाई महज इस आधार पर की थी कि ड्राइवर पहले भी दो अन्य दुर्घटना कर चुका है और सजा भी पा चुका है।

जस्टिस वैद्यनाथन ने अपने फैसले में कहा कि मौजूदा आरोप सही साबित होने की स्थिति में ही पुराना रिकॉर्ड देखा जा सकता है। इस मामले में मौजूदा आरोप साबित नहीं हुआ है, इसलिए पुराना रिकॉर्ड देखने की आवश्यकता ही नहीं है। इसके साथ ही जज ने ड्राइवर को 16 अगस्त से दोबारा काम पर नियुक्त किए जाने का आदेश देते हुए निगम की अपील खारिज कर दी।

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