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बायो हाईब्रिड: वैज्ञानिकों ने मानव हृदय की कोशिकाओं से तैयार की ‘कृत्रिम मछली’, तीन महीने तक रही जिंदा

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एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 15 Feb 2022 02:06 AM IST

सार

हार्वर्ड जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज (एसईएएस) में डिजीज बायोफिजिक्स की टीम के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में इंसानी हृदय की कोशिकाओं (सेल) को बनाया था। उसी की मदद से कृत्रिम मछली तैयार को तैयार किया गया।

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वैज्ञानिकों ने पहली बार मानव हृदय की कोशिकाओं से ‘कृत्रिम मछली’ बनाने के सफल प्रयोग को अंजाम दिया है। इस मछली में जलीय जीव वाले सभी गुण पाए गए। इसी के साथ वैज्ञानिकों ने मशीन और मानव कोशिकाओं के सामंजस्य (बायो हाईब्रिड रोबोट) का रास्ता साफ कर लिया है।

हार्वर्ड जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज (एसईएएस) में डिजीज बायोफिजिक्स की टीम के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में इंसानी हृदय की कोशिकाओं (सेल) को बनाया था। उसी की मदद से कृत्रिम मछली तैयार को तैयार किया गया। वैज्ञानिकों ने पहले पेपर, प्लास्टिक, जिलेटिन और हार्ट सेल की दो स्ट्रिप से मछली की आकृति बनाई गई। एक स्ट्रिप की मसल्स सिकुड़ने से दूसरी स्ट्रिप फैलती थी। इससे मछली आसानी से तरल में तैर पाती थी।

प्रो. पार्कर के अनुसार मछली का तैरना काफी लयबद्ध तरीके से होता था। तरल में पोषक तत्व डाले गए। वैज्ञानिकों का कहना था कि उन्हें मछलियों के ज्यादा दिन तक जिंदा रहने के बारे में ज्यादा भरोसा नहीं था। उन्होंने इन्क्युबेटर को बंद कर दिया। जब तीन माह के बाद उन्होंने इन्क्युबेटर को खोला तो पाया कि ये मछलियां आराम से तैर रही थीं।

कृत्रिम जानवर बनाना था उद्देश्य
वैज्ञानिकों ने कहा कि इसे बनाने के पीछे वैज्ञानिकों का उद्देश्य प्रयोगशाला में कृत्रिम (आर्टिफिशियल) जानवर बनाना था। रोबोटिक मछली को बनाने से पहले हमने जेब्राफिश का अध्ययन किया। इसके बाद आर्टिफिशियल मछली के दोनों किनारों पर कार्डियोमायोसाइट्स लगाकर उसे गति दी गई है। इसके तैरने के लिए इसमें विद्युत स्वायत्त पेसिंग नोड लगाया गया, जो एक पेसमेकर के समान है। 

बच्चों में काम आएगा कृत्रिम हृदय
प्रोफेसर किट पार्कर ने कहा कि उनकी टीम एक आर्टिफिशियल हार्ट (कृत्रिम हृदय) बनाने की दिशा में भी काम कर रही है, जिसे बच्चों में जरूरत पड़ने पर लगाया जा सके। हमने कृत्रिम मछली से चूहे की हृदय कोशिकाओं से सिंथेटिक स्टिंगरे और जेलीफिश बनाने का काम भी लगभग पूरा कर लिया है। 

कृत्रिम तरीके से बनाए जा सकते हैं ह्यूमन हार्ट टिश्यू
प्रो. पार्कर ने कहा कि इस प्रयोग से यह स्पष्ट हो गया है कि कृत्रिम हार्ट टिश्यू को बनाया जा सकता है। जन्म के बाद मानव शिशु के दिल में जितनी संख्या में मांसपेशियां होती हैं वो जिंदगी भर उतनी ही रहती हैं। कोई बीमारी या हार्ट अटैक के बाद शरीर दिल की कमजोर या नष्ट मांसपेशियों को दुरुस्त नहीं कर सकता है। प्रयोग के दौरान मछली का तैरना दरअसल, दिल की कोशिकाओं का संकुचन और फैलाव था। हमने पाया कि स्टेम सेल टेक्नोलॉजी कृत्रिम हार्ट टिश्यू को बनाने में कारगर साबित हुई है।

विस्तार

वैज्ञानिकों ने पहली बार मानव हृदय की कोशिकाओं से ‘कृत्रिम मछली’ बनाने के सफल प्रयोग को अंजाम दिया है। इस मछली में जलीय जीव वाले सभी गुण पाए गए। इसी के साथ वैज्ञानिकों ने मशीन और मानव कोशिकाओं के सामंजस्य (बायो हाईब्रिड रोबोट) का रास्ता साफ कर लिया है।

हार्वर्ड जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज (एसईएएस) में डिजीज बायोफिजिक्स की टीम के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में इंसानी हृदय की कोशिकाओं (सेल) को बनाया था। उसी की मदद से कृत्रिम मछली तैयार को तैयार किया गया। वैज्ञानिकों ने पहले पेपर, प्लास्टिक, जिलेटिन और हार्ट सेल की दो स्ट्रिप से मछली की आकृति बनाई गई। एक स्ट्रिप की मसल्स सिकुड़ने से दूसरी स्ट्रिप फैलती थी। इससे मछली आसानी से तरल में तैर पाती थी।

प्रो. पार्कर के अनुसार मछली का तैरना काफी लयबद्ध तरीके से होता था। तरल में पोषक तत्व डाले गए। वैज्ञानिकों का कहना था कि उन्हें मछलियों के ज्यादा दिन तक जिंदा रहने के बारे में ज्यादा भरोसा नहीं था। उन्होंने इन्क्युबेटर को बंद कर दिया। जब तीन माह के बाद उन्होंने इन्क्युबेटर को खोला तो पाया कि ये मछलियां आराम से तैर रही थीं।

कृत्रिम जानवर बनाना था उद्देश्य

वैज्ञानिकों ने कहा कि इसे बनाने के पीछे वैज्ञानिकों का उद्देश्य प्रयोगशाला में कृत्रिम (आर्टिफिशियल) जानवर बनाना था। रोबोटिक मछली को बनाने से पहले हमने जेब्राफिश का अध्ययन किया। इसके बाद आर्टिफिशियल मछली के दोनों किनारों पर कार्डियोमायोसाइट्स लगाकर उसे गति दी गई है। इसके तैरने के लिए इसमें विद्युत स्वायत्त पेसिंग नोड लगाया गया, जो एक पेसमेकर के समान है। 

बच्चों में काम आएगा कृत्रिम हृदय

प्रोफेसर किट पार्कर ने कहा कि उनकी टीम एक आर्टिफिशियल हार्ट (कृत्रिम हृदय) बनाने की दिशा में भी काम कर रही है, जिसे बच्चों में जरूरत पड़ने पर लगाया जा सके। हमने कृत्रिम मछली से चूहे की हृदय कोशिकाओं से सिंथेटिक स्टिंगरे और जेलीफिश बनाने का काम भी लगभग पूरा कर लिया है। 

कृत्रिम तरीके से बनाए जा सकते हैं ह्यूमन हार्ट टिश्यू

प्रो. पार्कर ने कहा कि इस प्रयोग से यह स्पष्ट हो गया है कि कृत्रिम हार्ट टिश्यू को बनाया जा सकता है। जन्म के बाद मानव शिशु के दिल में जितनी संख्या में मांसपेशियां होती हैं वो जिंदगी भर उतनी ही रहती हैं। कोई बीमारी या हार्ट अटैक के बाद शरीर दिल की कमजोर या नष्ट मांसपेशियों को दुरुस्त नहीं कर सकता है। प्रयोग के दौरान मछली का तैरना दरअसल, दिल की कोशिकाओं का संकुचन और फैलाव था। हमने पाया कि स्टेम सेल टेक्नोलॉजी कृत्रिम हार्ट टिश्यू को बनाने में कारगर साबित हुई है।

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