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पुलिसवाले का किरदार निभाकर जगदीश राज ने बनाया रिकॉर्ड, हॉलीवुड के कास्टिंग डायरेक्टर ने की थी मदद

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अभिनय की दुनिया में कब कौन किस किरदार में दर्शकों को भा जाए इसका अंदाजा खुद उस अभिनेता को भी नहीं होता। लेकिन कभी कभी इतिहास रचने वालों का इतिहास ही उनके अतीत को धुंधला कर देता है। ऐसे ना जानें कितने ही ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने अपने अभिनय के दम पर एक खास किरदार के लिए जगह बनाई और दुनिया से विदा लेने के बाद भी उनकी छाप रह गई। उन्हीं में से एक हैं जगदीश राज खुराना, जिनके बारे में आज कम ही लोग जानते हैं।
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पुलिसवाले का किरदार निभाकर जगदीश राज ने बनाया रिकॉर्ड, हॉलीवुड के कास्टिंग डायरेक्टर ने की थी मदद

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अभिनय की दुनिया में कब कौन किस किरदार में दर्शकों को भा जाए इसका अंदाजा खुद उस अभिनेता को भी नहीं होता। लेकिन कभी कभी इतिहास रचने वालों का इतिहास ही उनके अतीत को धुंधला कर देता है। ऐसे ना जानें कितने ही ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने अपने अभिनय के दम पर एक खास किरदार के लिए जगह बनाई और दुनिया से विदा लेने के बाद भी उनकी छाप रह गई। उन्हीं में से एक हैं जगदीश राज खुराना, जिनके बारे में आज कम ही लोग जानते हैं।




हिंदी सिनेमा में चढ़ते सूरज को सलाम करने और डूबते सूरज से किनारा कर लेने वालों के किस्से जब सुनाए जाते हैं, तो उनमें अभिनेता नवीन निश्चल का नाम खासतौर से लिया जाता है। एक जमाना था जब नवीन निश्चल ने फिल्म परवाना में अमिताभ बच्चन के साथ एक फ्रेम में खड़े होने से इंकार कर दिया था, फिर गुरबत के ऐसे दिन भी आए जब काम पाने के लिए उन्होंने उन्हीं अमिताभ बच्चन की मदद ली और फिल्म देशप्रेमी में उनके साथी कलाकार के तौर पर कम किया।




मल्लिका-ए-तरन्नुम नूरजहां, मौसिकी की दुनिया का वो चमकता नाम हैं, जिसकी दमक आज भी फीकी नहीं पड़ी है। गायिकी के इतिहास में दुनिया को ये नाम आज भी याद है। नूजहां से जुड़े वैसे तो कई किस्से हैं, जो अबतक अनसुने और अनकहे हैं, लेकिन एक घटना ऐसी है जो उनके नाम से लिपटी है। जब-जब नूरजहां का जिक्र होता है, लोग इसे लोग दोहरा ही देते हैं। वैसे तो नूर की शोहरत, आवाज और नाम की कोई सीमा नहीं थी, लेकिन वो ब्रिटिश भारत में पैदा हुई थीं जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। 




बॉलीवुड कलाकारों की जिंदगी देखने में जितनी खूबसूरत लगती है उतनी ही समय के साथ बदसूरत भी हो जाती है। कुछ ऐसी ही जिंदगी रही अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री साधना शिवदासानी की। साधना 60 के दशक की मशहूर अभिनेत्री और ट्रेंड सेटर मानी जानी थीं। साधना कट हेयरस्टाइल तो आज भी महिलाओं का पसंद हुआ करता है। साधना ने वैसे तो अपने फिल्मी करियर में कई हिट फिल्में दीं, लेकिन एक फिल्म ऐसी आई, जिसने उन्हें अलग पहचान दिलाई। यह फिल्म थी ‘लव इन शिमला’। 1960 में रिलीज फिल्म ने अभिनेत्री के साधना कट को एक खास पहचान दिला दी और लोकप्रिय कर दिया था। 




दोस्तों आज बात होगी हिंदी सिनेमा की दिग्गज शख्सियत रहे महमूद की…महमूद साहब ने हर तरह से दर्शकों का मनोरंजन किया…वो नाचते थे,गाते थे,अदाकारी करते थे जिसको देखकर बड़े-बड़े स्टार जलन महसूस करते थे…आखिर जलें भी क्यों न…उस जमाने में ऐसे बिरले एक्टर होते थे जो नाच लें, गा लें और अपनी कॉमेडी से दर्शकों को हंसा हंसाकर लोटपोट कर दें…उन्होंने चार दशक के फिल्मी करियर में तकरीबन 300 फिल्मों में काम किया…




आज हम बॉलीवुड के ऐसे विलेन की बात करेंगे, जिसकी एंट्री पर दर्शकों के रोंगटे खड़े हो जाते थे। भारतीय सिनेमा में कुछ ऐसे विलेन निकलकर आए, जिन्होंने साबित किया कि खलनायिकी महज एक नकारात्मक किरदार नहीं बल्कि पटकथा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 




आज के एपिसोड में हम बात करेंगे अपने जमाने के मशहूर अभिनेता और ‘जंपिंग जैक’ के खिताब से नवाजे जाने वाले जीतेंद्र की। जितेंद्र ने अपने करियर में एक नहीं बल्कि कई तरह के किरदारों को जिया है। 60 से 90 के दशक तक हिंदी सिनेमा में अपनी धाक जमाने वाले जितेंद्र की चर्चाएं उनके अनोखे पहनावे के लिए भी तो होती थीं। हिंदी सिनेमा के ये एक ऐसे इकलौते अभिनेता हैं, जिन्होंने अपने पूरे करियर में 80 रीमेक फिल्मों में काम किया। 




हिन्दी सिनेमा जगत में यूं तो अपने दमदार अभिनय से कई सितारों ने दर्शकों के दिलों पर राज किया, लेकिन राजकुमार ने न सिर्फ दर्शकों का दिल जीता, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री ने भी उन्हें ‘राजकुमार’ माना।




दोस्तों आज हम बात करेंगे अपने जमाने के मशहूर शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार शकील बदायूंनी की….शकील महान गीतकारों में से एक माने जाते हैं।  उन्होंने हिंदी सिनेमा को जो गीत बख्शे हैं उन्हें गुनगुनाकर आज की युवा पीढ़ी भी मोहब्बत की कहानी लिखती है। उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मे शकील बदायूंनी का नाम शकील अहमद था। समय के साथ न कला मरती है और न ही कलाकार। सिर्फ एक जिक्र छेड़ देने भर से ही पूरा दौर दोहरा जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है शकील बदायूंनी की…




भारत में बेहतरीन गायक-गायिकाओं की कमी नहीं रही है। जैसे-जैसे बोलती फिल्मों का चलन शुरू हुआ वैसे-वैसे गायकों की मांग बढ़ने लगी। उसी दौर की एक गायिका थीं शमशाद बेगम। शमशाद बेगम के गाए हुए गाने आज भी गुनगुनाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महान गायिकाओं में शुमार शमशाद बेगम के पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी गाना गाए। जी हां, कुछ ऐसी ही थी शमशाद बेगम की जिंदगी…सुनिए इस पॉडकास्ट में….

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