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द्रोणाचार्य पुरस्कार: केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा- हमारे पास सांगवान के अलावा भी कई नाम थे इसलिए उनका नाम हटाया
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शक्तिराज सिंह
Updated Fri, 12 Nov 2021 04:13 PM IST
सार
2021 द्रोणाचार्य पुरस्कार की सूची से हॉकी कोच संदीप सांगवान का नाम हटाने पर केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब दिया है। सरकार ने कहा कि उनके पास संदीप से ज्यादा योग्य लोगों के नाम थे इसलिए संदीप को यह सम्मान नहीं मिला है।
संदीप सांगवान
– फोटो : सोशल मीडिया
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दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने कहा है कि उनके पास सांगवान के अलावा भी कई नाम थे इसलिए उनका नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार की सूची से हटाया गया। हॉकी कोच संदीप सांगवान ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका लगाकर खेल मंत्रालय के उस फैसले को रद्द करने का आग्रह किया था, जिसमें उन्हें 2021 के द्रोणाचार्य पुरस्कार (नियमित श्रेणी) से बाहर रखा गया था।
सांगवान की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने केंद्र से निर्देश लेने को कहा और मामले को अगली सुनवाई के लिए 12 नवंबर को तय की थी। सांगवान ने दावा किया था कि वो मशहूर हॉकी कोच हैं। खेल पुरस्कार 2021 की चयन समिति ने द्रोणाचार्य के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी, इसके बावजूद खेल मंत्रालय ने उनकी अनदेखी की।
क्या था सरकार का बयान
केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि उनके पास कई ऐसे नाम थे, जिनका काम संदीप सांगवान से ज्यादा सराहनीय था। इसी वजह से उनका नाम दोणाचार्य पुरस्कार की सूची से हटा दिया गया। केन्द्र की तरफ से अनिल सोनी इस सुनवाई में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि इस साल ओलंपिक का आयोजन हुआ था और हमारे खिलाड़ियों ने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया था। इसी वजह से चयन समिति ने मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार की संख्या बढ़ाने की मांग की थी, जो कि उचित है। हालांकि इसके अलावा किसी दूसरे पुरस्कार की संख्या बढ़ाने की कोई वजह नहीं थी।
अनिल सोने ने कहा कि योजना के हिसाब से द्रोणाचार्य पुरस्कार की जो संख्या है उसी के अनुरूप योग्य लोगों को सम्मानित किया गया। इसी वजह से तीन श्रेणी में द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए गए हैं। वहीं कोर्ट ने संबंधित विभागों से कहा है कि जरूरत पड़ने पर उनसे सबूत और कागज मांगे जा सकते हैं, जिनके आधार पर द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए गए और इसके लिए तैयार रहें।
हॉकी के लिए सांगवान का योगदान अहम
संदीप सांगवान ने 15 सालों तक हॉकी कोच के रूप में सेवाएं दी हैं और कई बार भारत की राष्ट्रीय टीम के साथ भी कोच और मैनेजर के रूप में काम किया है। उन्होंने अपनी याचिका में यह मांग की थी कि जिन आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर उनका नाम सूची से बाहर किया गया है वो उन्हें भी दिखाए जाएं। साथ ही उन्होंने कहा था कि जिन लोगों को यह सम्मान दिया गया है, उन्होंने संदीप की तुलना में आधा काम भी नहीं किया है।
विस्तार
हॉकी कोच संदीप सांगवान का नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार की सूची से हटाने पर केन्द्र सरकार ने जवाब दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि उनके पास सांगवान के अलावा भी कई नाम थे। इसलिए उनका नाम सूची से हटाया गया।
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने कहा है कि उनके पास सांगवान के अलावा भी कई नाम थे इसलिए उनका नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार की सूची से हटाया गया। हॉकी कोच संदीप सांगवान ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका लगाकर खेल मंत्रालय के उस फैसले को रद्द करने का आग्रह किया था, जिसमें उन्हें 2021 के द्रोणाचार्य पुरस्कार (नियमित श्रेणी) से बाहर रखा गया था।
सांगवान की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने केंद्र से निर्देश लेने को कहा और मामले को अगली सुनवाई के लिए 12 नवंबर को तय की थी। सांगवान ने दावा किया था कि वो मशहूर हॉकी कोच हैं। खेल पुरस्कार 2021 की चयन समिति ने द्रोणाचार्य के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी, इसके बावजूद खेल मंत्रालय ने उनकी अनदेखी की।
क्या था सरकार का बयान
केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि उनके पास कई ऐसे नाम थे, जिनका काम संदीप सांगवान से ज्यादा सराहनीय था। इसी वजह से उनका नाम दोणाचार्य पुरस्कार की सूची से हटा दिया गया। केन्द्र की तरफ से अनिल सोनी इस सुनवाई में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि इस साल ओलंपिक का आयोजन हुआ था और हमारे खिलाड़ियों ने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया था। इसी वजह से चयन समिति ने मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार की संख्या बढ़ाने की मांग की थी, जो कि उचित है। हालांकि इसके अलावा किसी दूसरे पुरस्कार की संख्या बढ़ाने की कोई वजह नहीं थी।
अनिल सोने ने कहा कि योजना के हिसाब से द्रोणाचार्य पुरस्कार की जो संख्या है उसी के अनुरूप योग्य लोगों को सम्मानित किया गया। इसी वजह से तीन श्रेणी में द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए गए हैं। वहीं कोर्ट ने संबंधित विभागों से कहा है कि जरूरत पड़ने पर उनसे सबूत और कागज मांगे जा सकते हैं, जिनके आधार पर द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए गए और इसके लिए तैयार रहें।
हॉकी के लिए सांगवान का योगदान अहम
संदीप सांगवान ने 15 सालों तक हॉकी कोच के रूप में सेवाएं दी हैं और कई बार भारत की राष्ट्रीय टीम के साथ भी कोच और मैनेजर के रूप में काम किया है। उन्होंने अपनी याचिका में यह मांग की थी कि जिन आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर उनका नाम सूची से बाहर किया गया है वो उन्हें भी दिखाए जाएं। साथ ही उन्होंने कहा था कि जिन लोगों को यह सम्मान दिया गया है, उन्होंने संदीप की तुलना में आधा काम भी नहीं किया है।