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टेस्ला को सरकार की दो टूक: स्थानीय स्तर पर वाहनों के निर्माण के आश्वासन के बिना भारतीय बाजार उपलब्ध नहीं कराए जाएंगे
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 09 Feb 2022 04:18 AM IST
सार
भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि टेस्ला इस समय सिर्फ अपने वाहनों का भारत में निर्यात करना चाहती है। इसके लिए कंपनी कर रियायत भी चाह रही है। जबकि हम चाहते हैं कि कंपनी यहीं फैक्टरी लगाए। फैक्टरी लगी तो यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कम कीमत पर वाहन उपलब्ध होंगे।
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सदन में प्रश्नकाल के दौरान कई सवालों के जवाब में गुर्जर ने कहा कि टेस्ला का हम भारत में उसका स्वागत करेंगे। हालांकि इसके लिए उसे यहां के नियम मानने होंगे। हम नहीं चाहते कि टेस्ला चीन या किसी अन्य देश में निर्मित वाहनों को यहां डंप करे। इसके बदले हम चाहते हैं कि टेस्ला यहीं पर फैक्टरी लगाए और वाहन बनाए।
रोजगार के अवसर और छोटे उद्योगों को होगा लाभ
गुर्जर ने कहा कि टेस्ला इस समय सिर्फ अपने वाहनों का भारत में निर्यात करना चाहती है। इसके लिए कंपनी कर रियायत भी चाह रही है। जबकि हम चाहते हैं कि कंपनी यहीं फैक्टरी लगाए। फैक्टरी लगी तो यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कम कीमत पर वाहन उपलब्ध होंगे। यहीं कलपुर्जे बनेंगे, जिसका लाभ छोटे उद्योगों को होगा। यहां से वाहनों का निर्यात होगा।
मोबाइल निर्माण में सरकार को मिली है सफलता
उल्लेखनीय है कि सरकार ने मोबाइल निर्माण मामले में भी यही नीति अपनाई थी। इसके कारण उत्तर प्रदेश में कई कंपनियों ने फैक्टरी लगाई। प्रदेश में मोबाइल निर्माण का काम कर रही एपल और सैमसंग मोबाइल निर्माता कंपनियों ने बीते एक साल में 40 हजार करोड़ रुपये के मोबाइल का उत्पादन किया है। इनमें से 15,000 करोड़ रुपये के मोबाइल का निर्यात हुआ है।
कर में रियायत चाहते हैं मस्क
टेस्ला के मुखिया एलन मस्क लगातार भारतीय बाजार में कंपनी की पहुंच बनाने में लगे हैं। फिलहाल पूरी तरह से तैयार इलेक्ट्रिक वाहनों पर सौ फीसदी शुल्क लगता है। मस्क इसमें रियायत की मांग कर रहे हैं। हालांकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत का बाजार हासिल करने के लिए टेस्ला को यहां निर्माण फैक्ट्री स्थापित करनी होगी।
विस्तार
सदन में प्रश्नकाल के दौरान कई सवालों के जवाब में गुर्जर ने कहा कि टेस्ला का हम भारत में उसका स्वागत करेंगे। हालांकि इसके लिए उसे यहां के नियम मानने होंगे। हम नहीं चाहते कि टेस्ला चीन या किसी अन्य देश में निर्मित वाहनों को यहां डंप करे। इसके बदले हम चाहते हैं कि टेस्ला यहीं पर फैक्टरी लगाए और वाहन बनाए।
रोजगार के अवसर और छोटे उद्योगों को होगा लाभ
गुर्जर ने कहा कि टेस्ला इस समय सिर्फ अपने वाहनों का भारत में निर्यात करना चाहती है। इसके लिए कंपनी कर रियायत भी चाह रही है। जबकि हम चाहते हैं कि कंपनी यहीं फैक्टरी लगाए। फैक्टरी लगी तो यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कम कीमत पर वाहन उपलब्ध होंगे। यहीं कलपुर्जे बनेंगे, जिसका लाभ छोटे उद्योगों को होगा। यहां से वाहनों का निर्यात होगा।
मोबाइल निर्माण में सरकार को मिली है सफलता
उल्लेखनीय है कि सरकार ने मोबाइल निर्माण मामले में भी यही नीति अपनाई थी। इसके कारण उत्तर प्रदेश में कई कंपनियों ने फैक्टरी लगाई। प्रदेश में मोबाइल निर्माण का काम कर रही एपल और सैमसंग मोबाइल निर्माता कंपनियों ने बीते एक साल में 40 हजार करोड़ रुपये के मोबाइल का उत्पादन किया है। इनमें से 15,000 करोड़ रुपये के मोबाइल का निर्यात हुआ है।
कर में रियायत चाहते हैं मस्क
टेस्ला के मुखिया एलन मस्क लगातार भारतीय बाजार में कंपनी की पहुंच बनाने में लगे हैं। फिलहाल पूरी तरह से तैयार इलेक्ट्रिक वाहनों पर सौ फीसदी शुल्क लगता है। मस्क इसमें रियायत की मांग कर रहे हैं। हालांकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत का बाजार हासिल करने के लिए टेस्ला को यहां निर्माण फैक्ट्री स्थापित करनी होगी।