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खतरों से बचाव: कम ऊंचाई पर उड़ने वाले शत्रु ड्रोन का काल बनेगी पंप एक्शन गन, सुरक्षा बलों ने तैयार किया ब्लूप्रिंट

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सार

ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में एक ब्लूप्रिंट तैयार किया है। इसमें सुरक्षा बलों को पंप एक्शन गनों (पीएजी) के इस्तेमाल को कहा गया है। ये गन पहले से ही सुरक्षा बलों के पास अधिक ऊंचाई पर उड़ने वाले किसी भी यूएवी को ढेर करने के लिए है।   

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महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, एयरपोर्ट और खुद के कैंपों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा बलों को कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोनों को मार गिराने के लिए पंप एक्शन गन का इस्तेमाल करने को कहा गया है। इन गनों से रबर बुलेट दागी जाती हैं।

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि ऐसे हवाई हमलों के खतरों से निपटने के लिए जब तक कोई को उचित तकनीक नहीं मिल जाती है तब तक इन्हीं का इस्तेमाल करना होगा। 

अधिकारियों का कहना है कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जैसे सुरक्षा बलों ने हाल में पाकिस्तान से लगती सीमा पर कुछ जगह पर इम्प्रोवाइज्ड आयरन पोल माउंटेड लाइट मशीन गन (एलएमजी) ऑब्जर्वेशन पोस्ट स्थापित किए हैं ताकि काफी ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले मानवरहित विमानों (यूएवी) या ड्रोन को मार गिराया जा सके और उन पर 360 डिग्री की नजर रखी जा सके।

नक्सल विरोधी अभियानों समेत अन्य संवेदनशील यूनिटों को दी जा रही पीएजी
निर्देशों के तहत आंतरिक सुरक्षा के लिए तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों ने नक्सल विरोधी अभियानों समेत अपनी अन्य संवेदनशील यूनिटों को ड्रोन के खतरे से निपटने के लिए पीएजी देना शुरू कर दिया है।

केंद्रीय गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ड्रोन हमलों को नाकाम करने और इन्हें रोकने के लिए जब तक कोई उचित तकनीक मिल नहीं जाती है तब तक सुरक्षा बलों को पीएजी जैसे उपलब्ध हथियारों का इस्तेमाल करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि जिनके पास ये गैर घातक हथियार नहीं हैं, उन्हें इनकी खरीद करने को कहा गया है। 

कश्मीर में तैनात यूनिटों को उपलब्ध कराए गए ये हथियार
उन्होंने बताया कि कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात सुरक्षा बलों की यूनिटों और एयरपोर्ट की सुरक्षा कर रहे बलों को भी अपने जवानों को ये हथियार देने का निर्देश दिया गया है। साथ ही सुरक्षा बलों के कैंपों की सुरक्षा व निगरानी के लिए तैनात जवानों को भी पीएजी देने को कहा गया है। 

60-100 मीटर पर उड़ने वाले ड्रोन को तबाह करने में सक्षम
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के एक अधिकारी ने कहा कि जमीन से पीएजी से दागी गईं रबर बुलेट 60-100 मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहे ड्रोन को तबाह करने में पूरी तरह से सक्षम है। आमतौर पर दुश्मन इतनी ऊंचाई से ड्रोन से बम गिराने या भी सुरक्षा बलों के कैंप या अहम प्रतिष्ठानों की जासूसी करने की कोशिश करते हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) एयरपोर्ट और बिजली व परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा में तैनात हैं और इन प्रतिष्ठानों के आसपास बड़ी संख्या में लोग रहते हैं या फिर वाहनों की आवाजाही होती है, ऐसे में इंसास राइफल जैसे घातक हथियारों के इस्तेमाल से बड़ा नुकसान या लोग घायल हो सकते हैं। इसलिए कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोनों को गिराने के लिए पीएजी के इस्तेमाल करने को कहा गया है।

विस्तार

महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, एयरपोर्ट और खुद के कैंपों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा बलों को कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोनों को मार गिराने के लिए पंप एक्शन गन का इस्तेमाल करने को कहा गया है। इन गनों से रबर बुलेट दागी जाती हैं।

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि ऐसे हवाई हमलों के खतरों से निपटने के लिए जब तक कोई को उचित तकनीक नहीं मिल जाती है तब तक इन्हीं का इस्तेमाल करना होगा। 

अधिकारियों का कहना है कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जैसे सुरक्षा बलों ने हाल में पाकिस्तान से लगती सीमा पर कुछ जगह पर इम्प्रोवाइज्ड आयरन पोल माउंटेड लाइट मशीन गन (एलएमजी) ऑब्जर्वेशन पोस्ट स्थापित किए हैं ताकि काफी ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले मानवरहित विमानों (यूएवी) या ड्रोन को मार गिराया जा सके और उन पर 360 डिग्री की नजर रखी जा सके।

नक्सल विरोधी अभियानों समेत अन्य संवेदनशील यूनिटों को दी जा रही पीएजी

निर्देशों के तहत आंतरिक सुरक्षा के लिए तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों ने नक्सल विरोधी अभियानों समेत अपनी अन्य संवेदनशील यूनिटों को ड्रोन के खतरे से निपटने के लिए पीएजी देना शुरू कर दिया है।

केंद्रीय गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ड्रोन हमलों को नाकाम करने और इन्हें रोकने के लिए जब तक कोई उचित तकनीक मिल नहीं जाती है तब तक सुरक्षा बलों को पीएजी जैसे उपलब्ध हथियारों का इस्तेमाल करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि जिनके पास ये गैर घातक हथियार नहीं हैं, उन्हें इनकी खरीद करने को कहा गया है। 

कश्मीर में तैनात यूनिटों को उपलब्ध कराए गए ये हथियार

उन्होंने बताया कि कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात सुरक्षा बलों की यूनिटों और एयरपोर्ट की सुरक्षा कर रहे बलों को भी अपने जवानों को ये हथियार देने का निर्देश दिया गया है। साथ ही सुरक्षा बलों के कैंपों की सुरक्षा व निगरानी के लिए तैनात जवानों को भी पीएजी देने को कहा गया है। 

60-100 मीटर पर उड़ने वाले ड्रोन को तबाह करने में सक्षम

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के एक अधिकारी ने कहा कि जमीन से पीएजी से दागी गईं रबर बुलेट 60-100 मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहे ड्रोन को तबाह करने में पूरी तरह से सक्षम है। आमतौर पर दुश्मन इतनी ऊंचाई से ड्रोन से बम गिराने या भी सुरक्षा बलों के कैंप या अहम प्रतिष्ठानों की जासूसी करने की कोशिश करते हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) एयरपोर्ट और बिजली व परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा में तैनात हैं और इन प्रतिष्ठानों के आसपास बड़ी संख्या में लोग रहते हैं या फिर वाहनों की आवाजाही होती है, ऐसे में इंसास राइफल जैसे घातक हथियारों के इस्तेमाल से बड़ा नुकसान या लोग घायल हो सकते हैं। इसलिए कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोनों को गिराने के लिए पीएजी के इस्तेमाल करने को कहा गया है।

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