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उत्तराखंड: त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद भगत सिंह कोश्यारी भी सीएम पद की रेस में

सार

देर शाम को ही भाजपा आलाकमान के साथ हुई बैठक में भगत सिंह कोश्यारी का नाम रहा टॉप पर। हालांकि उत्तराखंड का मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह बुधवार को तय होगा।

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उत्तराखंड में नया मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर अटकलों का बाजार तेजी से गर्म है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान ने मंगलवार की देर रात एक बैठक की। बैठक में जितने नाम चर्चा में चल रहे हैं उनसे इतर एक और महत्वपूर्ण नाम भाजपा के एक कद्दावर नेता सामने रखा और वह नाम है महाराष्ट्र के गवर्नर और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का। हालांकि कोश्यारी समेत किसी भी नेता का नाम भाजपा आला कमान ने अभी आधिकारिक तौर पर फाइनल नहीं किया है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि जिन कद्दावर नेता ने भगत सिंह कोश्यारी के नाम की सिफारिश की है उन्होंने ही गैरसैण को नया मंडल बनाने पर सबसे ज्यादा आपत्ति की थी और उनके विरोध के बाद ही त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा है। 

दरअसल भगत सिंह कोश्यारी का नाम इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कोश्यारी उत्तराखंड भाजपा के ऐसे वरिष्ठ नेता है जो न सिर्फ जमीन से जुड़े हुए कार्यकर्ताओं को बल्कि बड़े-बड़े नेताओं तक को आपस में जोड़कर चलने की हैसियत रखते हैं। इसके अलावा भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भी रहे हैं। उनको प्रशासनिक कार्यों और जनता से सीधे जुड़ने की मजबूत पकड़ का नेता माना जाता है। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी में कोश्यारी का नाम महत्वपूर्ण भी है और बड़ा भी है। कोश्यारी को संघ का मजबूत सिपाही भी माना जाता रहा है। 

हालांकि उत्तराखंड मैं मुख्यमंत्री पद की रेस में जितने भी नाम चल रहे हैं उनमें ज्यादातर लोगों को लेकर प्रदेश की जनता का राजनैतिक नजरिया अलग-अलग है। उत्तराखंड भाजपा से जुड़े एक नेता ने बताया कि इस वक्त जिन नेताओं के नाम सबसे ज्यादा आगे हैं वह भी पार्टी में चल रही गुटबाजी को रोक नहीं सकते। ऐसे में किसी अति वरिष्ठ भाजपा नेता और जनता के सबसे करीब रहने वाले नेता का मुख्यमंत्री बनना ही प्रदेश के लिहाज से सबसे बेहतर होगा। क्योंकि उत्तराखंड में अगले साल चुनाव है इसलिए भारतीय जनता पार्टी भी किसी ऐसे नाम पर दांव नहीं लगाना चाहेगी जिसका खामियाजा उसको आने वाले चुनाव में भुगतना पड़े। पार्टी के सूत्रों का कहना है यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने बहुत ही सोच विचार कर मुख्यमंत्री पद के नाम को तय किया है। हालांकि इसकी घोषणा विधायक दल की बैठक के बाद बुधवार को होगी।

त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद उत्तराखंड के कई मंत्रियों के नाम भी मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे बताए जाते रहे हैं। इसमें एक नाम धन सिंह रावत का भी है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह पर अगर धन सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तब भी प्रदेश की जनता में एक संदेश बेहतर नहीं जाएगा।  क्योंकि धन सिंह रावत तो त्रिवेंद्र सिंह रावत की पसंद हैं। भाजपा के जो बड़े नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत से अंदर ही अंदर नाराज हैं वो यह बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि धन सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया जाए। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भगत सिंह कोश्यारी के नाम को आगे रख दिया है। हालांकि मुख्यमंत्री कौन बनेगा यह आधिकारिक रूप से कल तय होगा। 

उत्तराखंड भाजपा में अभी भी कई नेता पार्टी लाइन से हटकर राजनीति करने में लगे हुए हैं। पार्टी को इस बात का पूरा अंदाजा है और पार्टी ने अपने पर्यवेक्षकों से इस बात की पूरी जांच-पड़ताल तक करवा ली है। सूत्रों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की पूरी कोशिश है कि वहां पर एक ऐसा नेता मुख्यमंत्री बने जो न सिर्फ लोगों को जोड़ कर चले बल्कि राजनैतिक समीकरणों को भी साधता हो। जिससे अगले साल होने वाले चुनाव में वह मजबूती से जनता के बीच जा सके और मजबूती से मैदान में उतर सके।

विस्तार

उत्तराखंड में नया मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर अटकलों का बाजार तेजी से गर्म है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान ने मंगलवार की देर रात एक बैठक की। बैठक में जितने नाम चर्चा में चल रहे हैं उनसे इतर एक और महत्वपूर्ण नाम भाजपा के एक कद्दावर नेता सामने रखा और वह नाम है महाराष्ट्र के गवर्नर और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का। हालांकि कोश्यारी समेत किसी भी नेता का नाम भाजपा आला कमान ने अभी आधिकारिक तौर पर फाइनल नहीं किया है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि जिन कद्दावर नेता ने भगत सिंह कोश्यारी के नाम की सिफारिश की है उन्होंने ही गैरसैण को नया मंडल बनाने पर सबसे ज्यादा आपत्ति की थी और उनके विरोध के बाद ही त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा है। 

दरअसल भगत सिंह कोश्यारी का नाम इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कोश्यारी उत्तराखंड भाजपा के ऐसे वरिष्ठ नेता है जो न सिर्फ जमीन से जुड़े हुए कार्यकर्ताओं को बल्कि बड़े-बड़े नेताओं तक को आपस में जोड़कर चलने की हैसियत रखते हैं। इसके अलावा भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भी रहे हैं। उनको प्रशासनिक कार्यों और जनता से सीधे जुड़ने की मजबूत पकड़ का नेता माना जाता है। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी में कोश्यारी का नाम महत्वपूर्ण भी है और बड़ा भी है। कोश्यारी को संघ का मजबूत सिपाही भी माना जाता रहा है। 

हालांकि उत्तराखंड मैं मुख्यमंत्री पद की रेस में जितने भी नाम चल रहे हैं उनमें ज्यादातर लोगों को लेकर प्रदेश की जनता का राजनैतिक नजरिया अलग-अलग है। उत्तराखंड भाजपा से जुड़े एक नेता ने बताया कि इस वक्त जिन नेताओं के नाम सबसे ज्यादा आगे हैं वह भी पार्टी में चल रही गुटबाजी को रोक नहीं सकते। ऐसे में किसी अति वरिष्ठ भाजपा नेता और जनता के सबसे करीब रहने वाले नेता का मुख्यमंत्री बनना ही प्रदेश के लिहाज से सबसे बेहतर होगा। क्योंकि उत्तराखंड में अगले साल चुनाव है इसलिए भारतीय जनता पार्टी भी किसी ऐसे नाम पर दांव नहीं लगाना चाहेगी जिसका खामियाजा उसको आने वाले चुनाव में भुगतना पड़े। पार्टी के सूत्रों का कहना है यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी ने बहुत ही सोच विचार कर मुख्यमंत्री पद के नाम को तय किया है। हालांकि इसकी घोषणा विधायक दल की बैठक के बाद बुधवार को होगी।

त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद उत्तराखंड के कई मंत्रियों के नाम भी मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे बताए जाते रहे हैं। इसमें एक नाम धन सिंह रावत का भी है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह पर अगर धन सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तब भी प्रदेश की जनता में एक संदेश बेहतर नहीं जाएगा।  क्योंकि धन सिंह रावत तो त्रिवेंद्र सिंह रावत की पसंद हैं। भाजपा के जो बड़े नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत से अंदर ही अंदर नाराज हैं वो यह बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि धन सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया जाए। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भगत सिंह कोश्यारी के नाम को आगे रख दिया है। हालांकि मुख्यमंत्री कौन बनेगा यह आधिकारिक रूप से कल तय होगा। 

उत्तराखंड भाजपा में अभी भी कई नेता पार्टी लाइन से हटकर राजनीति करने में लगे हुए हैं। पार्टी को इस बात का पूरा अंदाजा है और पार्टी ने अपने पर्यवेक्षकों से इस बात की पूरी जांच-पड़ताल तक करवा ली है। सूत्रों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की पूरी कोशिश है कि वहां पर एक ऐसा नेता मुख्यमंत्री बने जो न सिर्फ लोगों को जोड़ कर चले बल्कि राजनैतिक समीकरणों को भी साधता हो। जिससे अगले साल होने वाले चुनाव में वह मजबूती से जनता के बीच जा सके और मजबूती से मैदान में उतर सके।

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