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सुप्रीम कोर्ट: बसपा सांसद के खिलाफ दुष्कर्म मामले में यूपी की अदालत में सुनवाई पर रोक

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सुप्रीम कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद अतुल राय के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में चल रही सुनवाई पर सोमवार को रोक लगा दी। साथ ही, कथित पीड़िता की उस याचिका पर उनसे जवाब मांगा है, जिसमें उसने जान को खतरा सहित अन्य आधार पर मामले को प्रयागराज से दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने महिला की ओर से पेश हुए वकील राकेश मिश्रा की दलीलों पर गौर किया और घोसी से लोकसभा सदस्य को नोटिस जारी करके उनसे चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, अदालत की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की गई है। स्थानांतरण याचिका दायर करने की अनुमति के लिए अर्जी स्वीकार की जाती है। अनुलग्नक का आधिकारिक अनुवाद दाखिल करने से छूट की अनुमति के लिए अर्जी मंजूर की जाती है। चार सप्ताह के अंदर जवाब देने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया जाए।

पीठ ने आदेश में कहा, इस बीच, विशेष न्यायाधीश (सांसद/विधायक) अदालत, इलाहाबाद (प्रयागराज), उत्तर प्रदेश के समक्ष आपराधिक मामले में लंबित सुनवायी पर रोक लगायी जाती है।

वाराणसी के लंका पुलिस थाने में 2019 में महिला द्वारा एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी और बाद में सांसद को गिरफ्तार कर लिया गया था। अधिवक्ता ने कहा, 18 दिसंबर, 2020 को, पीड़िता अपने गवाह के साथ अदालत में सुनवाई के लिए गई थी। दोनों को प्रयागराज में अदालत परिसर के भीतर पीटा गया था और जिस सिलसिले में इलाहाबाद में कर्नलगंज पुलिस थाने में एक और प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी।

वकील ने कहा कि महिला की जान को खतरा है और प्रयागराज की विशेष अदालत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी, इसलिए मुकदमे की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करने के अनुरोध को लेकर अर्जी दायर की गई है।

इससे पहले पिछले साल जनवरी में, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, जिसमें राय को नई दिल्ली में सांसद के रूप में शपथ लेने के लिए दो दिन की पैरोल दी गई थी। राय 2019 का लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश के घोसी संसदीय क्षेत्र से बसपा के टिकट पर जीते थे, वह दुष्कर्म के मामले में जेल में हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद अतुल राय के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में चल रही सुनवाई पर सोमवार को रोक लगा दी। साथ ही, कथित पीड़िता की उस याचिका पर उनसे जवाब मांगा है, जिसमें उसने जान को खतरा सहित अन्य आधार पर मामले को प्रयागराज से दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने महिला की ओर से पेश हुए वकील राकेश मिश्रा की दलीलों पर गौर किया और घोसी से लोकसभा सदस्य को नोटिस जारी करके उनसे चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, अदालत की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की गई है। स्थानांतरण याचिका दायर करने की अनुमति के लिए अर्जी स्वीकार की जाती है। अनुलग्नक का आधिकारिक अनुवाद दाखिल करने से छूट की अनुमति के लिए अर्जी मंजूर की जाती है। चार सप्ताह के अंदर जवाब देने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया जाए।

पीठ ने आदेश में कहा, इस बीच, विशेष न्यायाधीश (सांसद/विधायक) अदालत, इलाहाबाद (प्रयागराज), उत्तर प्रदेश के समक्ष आपराधिक मामले में लंबित सुनवायी पर रोक लगायी जाती है।

वाराणसी के लंका पुलिस थाने में 2019 में महिला द्वारा एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी और बाद में सांसद को गिरफ्तार कर लिया गया था। अधिवक्ता ने कहा, 18 दिसंबर, 2020 को, पीड़िता अपने गवाह के साथ अदालत में सुनवाई के लिए गई थी। दोनों को प्रयागराज में अदालत परिसर के भीतर पीटा गया था और जिस सिलसिले में इलाहाबाद में कर्नलगंज पुलिस थाने में एक और प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी।

वकील ने कहा कि महिला की जान को खतरा है और प्रयागराज की विशेष अदालत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी, इसलिए मुकदमे की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करने के अनुरोध को लेकर अर्जी दायर की गई है।

इससे पहले पिछले साल जनवरी में, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, जिसमें राय को नई दिल्ली में सांसद के रूप में शपथ लेने के लिए दो दिन की पैरोल दी गई थी। राय 2019 का लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश के घोसी संसदीय क्षेत्र से बसपा के टिकट पर जीते थे, वह दुष्कर्म के मामले में जेल में हैं।

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