videsh
अमेरिका: तरणजीत संधू ने कहा- भारत और अमेरिका को जोड़ने वाली डोर गहरी व मजबूत
एजेंसी, वाशिंगटन।
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 07 Oct 2021 12:08 AM IST
सार
भारत के शीर्ष राजदूत तरणजीत संधू ने कहा कि भारत-अमेरिकी रिश्ते लोकतंत्र, आजादी, अहिंसा और कानून के शासन जैसे मूल्यों पर बने है, जो बेहद ही गहरे और मजबूत हैं।
तरणजीत सिंह संधू
– फोटो : सोशल मीडिया
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
संधू ने कहा कि भारत-अमेरिकी रिश्ते लोकतंत्र, आजादी, अहिंसा और कानून के शासन जैसे मूल्यों पर बने है, जो बेहद ही गहरे और मजबूत हैं। इन्हीं मूल्यों की मजबूत नींव पर भारत और अमेरिका के संबंधों की इमारत टिकी है। उन्होंने कहा, भारत को जब आजादी नहीं मिली थी तब आजादी की अलख जगाने वाले कई नेता हार्वर्ड समेत अमेरिका में कई विश्वविद्यालयों में आए थे।
इन नेताओं में लाला लाजपत राय, सरोजनी नायडू, रवीन्द्र नाथ टैगोर और बीआर आंबेडबर भी शामिल हैं। भारतीय राजदूत ने कहा, हमने एक दूसरे से विचार साझा किए और उन्हें आकार दिया। डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने 1963 और 1966 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में गांधी की याद में व्याख्यान दिया था। विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ रिलीजन के डीन वीलियम स्टुअर्ट नीलसन ने 1958 में ‘गांधी मेमोरियल लेक्चर’ की शुरुआत की थी।
विस्तार
संधू ने कहा कि भारत-अमेरिकी रिश्ते लोकतंत्र, आजादी, अहिंसा और कानून के शासन जैसे मूल्यों पर बने है, जो बेहद ही गहरे और मजबूत हैं। इन्हीं मूल्यों की मजबूत नींव पर भारत और अमेरिका के संबंधों की इमारत टिकी है। उन्होंने कहा, भारत को जब आजादी नहीं मिली थी तब आजादी की अलख जगाने वाले कई नेता हार्वर्ड समेत अमेरिका में कई विश्वविद्यालयों में आए थे।
इन नेताओं में लाला लाजपत राय, सरोजनी नायडू, रवीन्द्र नाथ टैगोर और बीआर आंबेडबर भी शामिल हैं। भारतीय राजदूत ने कहा, हमने एक दूसरे से विचार साझा किए और उन्हें आकार दिया। डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने 1963 और 1966 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में गांधी की याद में व्याख्यान दिया था। विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ रिलीजन के डीन वीलियम स्टुअर्ट नीलसन ने 1958 में ‘गांधी मेमोरियल लेक्चर’ की शुरुआत की थी।