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सोशल मीडिया पर नकेल: ऑस्ट्रेलिया में अब ट्रोल्स की खैर नहीं, सरकार बनाएगी कानून

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कैनबरा
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 30 Nov 2021 04:32 PM IST

सार

ऑस्ट्रेलिया में बनाए जाने वाले कानून का मकसद सोशल मीडिया कंपनियों को उन यूजर्स की जानकारी देने के लिए मजबूर करना होगा, जो छद्म नाम से अपना अकाउंट चलाते हैं। ज्यादातर मामलों में ऐसे यूजर ही किसी व्यक्ति को सोशल मीडिया पर भद्दी गालियां देते हैं और लोगों के बारे में झूठा प्रचार करते हैं…

आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन
– फोटो : Agency (File Photo)

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ऑस्ट्रेलिया सरकार ने सोशल मीडिया ट्रोल्स पर लगाम कसने की कवायद शुरू की है। जानकारों का कहना है कि वहां इसके लिए जो नया कानून बनाने का एलान किया गया है, उसमें दुनिया भर की दिलचस्पी होगी। सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की समस्या से दुनिया भर के देश जूझ रहे हैं। उनके बीच ऑस्ट्रेलिया पहला महत्त्वपूर्ण देश बना है, जिसने इस समस्या से निपटने के लिए कानूनी प्रावधान लागू करने का फैसला किया है।

सोशल मीडिया पर छद्म नाम वाले निशाने पर

ऑस्ट्रेलिया में बनाए जाने वाले कानून का मकसद सोशल मीडिया कंपनियों को उन यूजर्स की जानकारी देने के लिए मजबूर करना होगा, जो छद्म नाम से अपना अकाउंट चलाते हैं। ज्यादातर मामलों में ऐसे यूजर ही किसी व्यक्ति को सोशल मीडिया पर भद्दी गालियां देते हैं और लोगों के बारे में झूठा प्रचार करते हैँ। प्रस्तावित कानून में प्रावधान होगा कि जो सोशल मीडिया कंपनी यूजर की पहचान नहीं बताएगी, उसे जुर्माना भरना होगा।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान ये कानून बनाने का एलान किया। इस बारे में सामने आई जानकारियों के मुताबिक कानून में सोशल मीडिया कंपनी को प्रकाशक के रूप में परिभाषित किया जाएगा। इससे उन कंपनियों के प्लैटफॉर्म पर यूजर जो भी सामग्री डालते हैं, उसके लिए उनकी जिम्मेदारी भी बन जाएगी। प्रस्तावित कानून में यह प्रावधान होगा कि कोई भी व्यक्ति किसी आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर शिकायत दर्जा करा सकेगा। वह कानूनी रूप से वैसे पोस्ट को हटाने की मांग सोशल मीडिया कंपनी से कर सकेगा।

सीएनएन ने ऑस्ट्रेलिया में अपना फेसबुक पेज बंद किया

अपमानजनक, डराने-धमकाने वाले, या बदनाम करने वाले पोस्ट को आपत्तिजनक की श्रेणी में रखा जाएगा। कंपनी में यह साफ प्रावधान होगा कि कोई कंपनी यह कह कर नहीं बच सकेगी कि वह किसी यूजर की पहचान करने में नाकाम रही है। अगर कंपनी ऐसा नहीं कर पाई, तब भी उसे उतना ही दोषी समझा जाएगा, जैसा जानबूझ कर पहचान छिपाने के मामलों में होगा।

ऑस्ट्रेलिया की अटार्नी जनरल मिकेलिया कैश ने कहा है कि नया कानून बनाने की पहल पिछले सितंबर में आए हाई कोर्ट के एक फैसले के अनुरूप है। उस फैसले में कहा गया था कि मीडिया कंपनी उस के प्लैटफॉर्म पर प्रकाशित यूजर्स की टिप्पणियों के भी जवाबदेह है। ये फैसला मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया दोनों के लिए आया था। इस निर्णय के बाद अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने ऑस्ट्रेलिया में अपना फेसबुक पेज बंद कर दिया। कैश ने कहा है कि प्रस्तावित कानून से हाई कोर्ट के फैसले के बारे में और स्पष्टता आएगी।

प्रधानमंत्री मॉरीसन ने कहा कि बोलने की आजादी का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी पहचान गोपनीय रख कर दूसरों को गालियां दें और उन्हें परेशान करें। इससे कई लोगों की जिंदगी तबाह हो रही है। उन्होंने कहा- ‘ऑस्ट्रेलिया जैसे मुक्त समाज में हम बोलने की आजादी का सम्मान करते हैं। लेकिन यह तभी तक आजादी है, जब तक संतुलित रहे और आप जो कुछ कहें, उसकी जवाबदेही स्वीकार करेँ।’ पर्यवेक्षकों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया की पहल कारगर हुई, तो उसका कानून दूसरे देशों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।

विस्तार

ऑस्ट्रेलिया सरकार ने सोशल मीडिया ट्रोल्स पर लगाम कसने की कवायद शुरू की है। जानकारों का कहना है कि वहां इसके लिए जो नया कानून बनाने का एलान किया गया है, उसमें दुनिया भर की दिलचस्पी होगी। सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की समस्या से दुनिया भर के देश जूझ रहे हैं। उनके बीच ऑस्ट्रेलिया पहला महत्त्वपूर्ण देश बना है, जिसने इस समस्या से निपटने के लिए कानूनी प्रावधान लागू करने का फैसला किया है।

सोशल मीडिया पर छद्म नाम वाले निशाने पर

ऑस्ट्रेलिया में बनाए जाने वाले कानून का मकसद सोशल मीडिया कंपनियों को उन यूजर्स की जानकारी देने के लिए मजबूर करना होगा, जो छद्म नाम से अपना अकाउंट चलाते हैं। ज्यादातर मामलों में ऐसे यूजर ही किसी व्यक्ति को सोशल मीडिया पर भद्दी गालियां देते हैं और लोगों के बारे में झूठा प्रचार करते हैँ। प्रस्तावित कानून में प्रावधान होगा कि जो सोशल मीडिया कंपनी यूजर की पहचान नहीं बताएगी, उसे जुर्माना भरना होगा।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान ये कानून बनाने का एलान किया। इस बारे में सामने आई जानकारियों के मुताबिक कानून में सोशल मीडिया कंपनी को प्रकाशक के रूप में परिभाषित किया जाएगा। इससे उन कंपनियों के प्लैटफॉर्म पर यूजर जो भी सामग्री डालते हैं, उसके लिए उनकी जिम्मेदारी भी बन जाएगी। प्रस्तावित कानून में यह प्रावधान होगा कि कोई भी व्यक्ति किसी आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर शिकायत दर्जा करा सकेगा। वह कानूनी रूप से वैसे पोस्ट को हटाने की मांग सोशल मीडिया कंपनी से कर सकेगा।

सीएनएन ने ऑस्ट्रेलिया में अपना फेसबुक पेज बंद किया

अपमानजनक, डराने-धमकाने वाले, या बदनाम करने वाले पोस्ट को आपत्तिजनक की श्रेणी में रखा जाएगा। कंपनी में यह साफ प्रावधान होगा कि कोई कंपनी यह कह कर नहीं बच सकेगी कि वह किसी यूजर की पहचान करने में नाकाम रही है। अगर कंपनी ऐसा नहीं कर पाई, तब भी उसे उतना ही दोषी समझा जाएगा, जैसा जानबूझ कर पहचान छिपाने के मामलों में होगा।

ऑस्ट्रेलिया की अटार्नी जनरल मिकेलिया कैश ने कहा है कि नया कानून बनाने की पहल पिछले सितंबर में आए हाई कोर्ट के एक फैसले के अनुरूप है। उस फैसले में कहा गया था कि मीडिया कंपनी उस के प्लैटफॉर्म पर प्रकाशित यूजर्स की टिप्पणियों के भी जवाबदेह है। ये फैसला मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया दोनों के लिए आया था। इस निर्णय के बाद अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने ऑस्ट्रेलिया में अपना फेसबुक पेज बंद कर दिया। कैश ने कहा है कि प्रस्तावित कानून से हाई कोर्ट के फैसले के बारे में और स्पष्टता आएगी।

प्रधानमंत्री मॉरीसन ने कहा कि बोलने की आजादी का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी पहचान गोपनीय रख कर दूसरों को गालियां दें और उन्हें परेशान करें। इससे कई लोगों की जिंदगी तबाह हो रही है। उन्होंने कहा- ‘ऑस्ट्रेलिया जैसे मुक्त समाज में हम बोलने की आजादी का सम्मान करते हैं। लेकिन यह तभी तक आजादी है, जब तक संतुलित रहे और आप जो कुछ कहें, उसकी जवाबदेही स्वीकार करेँ।’ पर्यवेक्षकों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया की पहल कारगर हुई, तो उसका कानून दूसरे देशों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।

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