न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Tue, 10 Aug 2021 11:16 AM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के तहत अब सभी राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवारों के एलान के 48 घंटे के भीतर मुकदमों की जानकारी जारी करनी होगी।
सर्वोच्च न्यायालय
– फोटो : पीटीआई
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विस्तार
शीर्ष अदालत के इस फैसले का उद्देश्य राजनीति में अपराधीकरण को कम करना है। जस्टिस आरएफ नरीमन और बीआर गवई की पीठ ने इस संबंध में अपने 13 फरवरी, 2020 के फैसले में निर्देश को संशोधित किया है। बता दें कि पीठ बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को प्रकाशित करने में विफलता का आरोप लगाते हुए दायर अवमानना याचिकाओं में अपना फैसला सुना रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनाए गए फैसले में बिहार चुनाव के दौरान अपने प्रत्याशियों द्वारा पिछले आपराधिक रिकॉर्ड को सार्वजनिक नहीं करने पर भाजपा व कांग्रेस पर एक-एक लाख रुपये और एनसीपी और माकपा पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इन दलों के प्रत्याशियों ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्ववर्ती आदेश के बाद भी अपने आपराधिक रिकॉर्ड का ब्योरा जनता के सामने नहीं रखा था।
Supreme Court in its judgment today slapped a fine of Rs 1 Lakh each on BJP & Congress and Rs 5 Lakh on NCP and CPM for failing to comply with the Court’s earlier directions on making criminal antecedents of election candidates public, during Bihar polls. pic.twitter.com/O1rOIZLGQL
— ANI (@ANI) August 10, 2021
गौरतलब है कि फरवरी 2020 के फैसले के पैरा 4.4 में, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक पार्टियों को आदेश दिया था कि उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटों के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले उनका विवरण प्रकाशित करना होगा। लेकिन आज के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवारों के एलान के 48 घंटे के भीतर मुकदमों की जानकारी देनी होगी।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से की सख्त कदम उठाने की मांग
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं करने वाली पार्टियों के चुनाव चिन्ह को फ्रीज या निलंबित रखा जाए। आयोग ने यह सुझाव सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का उल्लंघन के मामले में दिया है।