केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार के एक मामले में एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के पूर्व अधिकारी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। वहीं, रिश्वत के मामले में सीबीआई ने ईपीएफओ के एक प्रवर्तन अधिकारी को गिरफ्तार किया है।
सीबीआई ने एनआईए के अधिकारी जलज श्रीवास्तव के खिलाफ भ्रष्टाचार जांच का सामना कर रहे आईआरएस अधिकारी संसार चंद की मदद करने के मामले में आरोपपत्र पेश किया है। श्रीवास्तव ने संसार चंद के लिए कथित तौर पर कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) रिपोर्ट मुहैया कराई थी। सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश (120-बी) और आपराधिक विश्वासघात (409) के आरोप लगाए हैं।
दक्षिण दिल्ली के एंड्रयूज गंज इलाके में रहने वाले संसार चंद और श्रीवास्तव पड़ोसी हैं। 2018 में चंद कानपुर के जीएसटी आयुक्त थे, तब उनकी पत्नी अविनाश कौर को सीबीआई ने भ्रष्टाचार के एक मामले में कानपुर के एक व्यवसायी से 1.5 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था। मामला दर्ज होने के बाद चंद व कौर ने सुदेश सैनी के एक नंबर की सीडीआर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए श्रीवास्तव से संपर्क किया था।
दोनों की गतिविधियां पहले से ही सीबीआई की विशेष इकाई की जांच के दायरे में थीं, जिसने अविनाश कौर और श्रीवास्तव के बीच कॉल को इंटरसेप्ट किया गया और एनआईए को सूचित किया गया।
एनआईए की आंतरिक जांच में सामने आया कि श्रीवास्तव ने 2017 से 2018 के दौरान तीन नंबरों के कॉल रिकॉर्ड की मांग की थी। श्रीवास्तव ने एक आईपीएस अधिकारी के अधीनस्थ से सीडीआर की मांग के संबंध में सेवा प्रदाता को ई-मेल भेजने के लिए कहा था, जिसकी एनआईए के लिए जांच में जरूरत बताई गई। जांच के मुताबिक जलज श्रीवास्तव ने दो नंबरों की सीडीआर अविनाश कौर को सौंपी थी।
दूसरी ओर रिश्वत के एक मामले में सीबीआई ने मंगलवार को ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) के प्रवर्तन अधिकारी को गिरफ्तार किया है। अधिकारी पर कथित तौर पर एक लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है। यह कार्रवाई हरियाणा के जगधारी में नियुक्त प्रवर्तन अधिकारी अनिल कुमार के खिलाफ एक शिकायत के बाद की गई।
आयकर विभाग ने मंगलवार को गुजरात की दो प्रमुख कंपनियों एस्ट्रल पाइप्स और रत्नमणि मेटल्स के चार राज्यों में 40 ठिकानों पर छापे मारे। इसमें गुजरात के अहमदाबाद में 25 और महाराष्ट्र, दिल्ली व राजस्थान के 15 ठिकाने शामिल हैं। एस्ट्रल पाइप्स के चेयरमैन संदीप इंजीनियर और रत्नमणि के चेयरमैन प्रकाश सांघवी की आयकर विभाग जांच कर रहा है। इसके अलावा दोनों कंपनियों के अन्य निदेशकों की भी जांच की जा रही है।
प्रवर्तन निदेशालय ने तेलंगाना में इंश्योरेंश मेडिकल स्कीम (आईएमएस) चिकित्सा बीमा योजना में घोटाला मामले में 144 करोड़ की संपत्ति जब्त की है। जांच एजेंसी ने सोमवार को इस मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में 131 अचल संपत्ति को जब्त करने का अस्थायी आदेश जारी किया था। इनमें 97 प्लॉट, छह विला, 18 दुकानें, छह कृषि भूमि और चार फ्लैट शामिल हैं। ये संपत्तियां तेलंगाना के हैदराबाद व कुछ अन्य ठिकाने, बेंगलुरु और नोएडा में हैं।
जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ईडी ने सावधि जमा और प्रतिभूति के रूप में चल संपत्तियों को भी जब्त किया है। उन्होंने बताया कि इन संपत्तियों का कुल मूल्य 144.4 करोड़ रुपये हैं। ईडी ने तेलंगाना भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो (एसीबी) द्वारा योजना से जुड़े अधिकारियों, मेडिकल सप्लायर और अन्य लोगों के खिलाफ आठ एफआईआर के अध्ययन के बाद मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। इस मामले में टेंडर प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन, सरकारी धन के गबन से खजाने को 211 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
बताया जाता है कि आईएमएस की तत्कालीन निदेशक डॉ. देविका रानी ने संयुक्त निदेशक और अन्य कर्मियों के की मिलीभगत से सभी सरकारी नियमों की अनदेखी करते हुए खरीद का आदेश उन कंपनियों को जारी कर दिया, जो ज्यादातर सप्लायर के श्रीहरि बाबू की और डॉ. रानी की बेनामी कंपनियां थीं।
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सीबीआई ने एनआईए के अधिकारी जलज श्रीवास्तव के खिलाफ भ्रष्टाचार जांच का सामना कर रहे आईआरएस अधिकारी संसार चंद की मदद करने के मामले में आरोपपत्र पेश किया है। श्रीवास्तव ने संसार चंद के लिए कथित तौर पर कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) रिपोर्ट मुहैया कराई थी। सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश (120-बी) और आपराधिक विश्वासघात (409) के आरोप लगाए हैं।
दक्षिण दिल्ली के एंड्रयूज गंज इलाके में रहने वाले संसार चंद और श्रीवास्तव पड़ोसी हैं। 2018 में चंद कानपुर के जीएसटी आयुक्त थे, तब उनकी पत्नी अविनाश कौर को सीबीआई ने भ्रष्टाचार के एक मामले में कानपुर के एक व्यवसायी से 1.5 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था। मामला दर्ज होने के बाद चंद व कौर ने सुदेश सैनी के एक नंबर की सीडीआर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए श्रीवास्तव से संपर्क किया था।
दोनों की गतिविधियां पहले से ही सीबीआई की विशेष इकाई की जांच के दायरे में थीं, जिसने अविनाश कौर और श्रीवास्तव के बीच कॉल को इंटरसेप्ट किया गया और एनआईए को सूचित किया गया।
एनआईए की आंतरिक जांच में सामने आया कि श्रीवास्तव ने 2017 से 2018 के दौरान तीन नंबरों के कॉल रिकॉर्ड की मांग की थी। श्रीवास्तव ने एक आईपीएस अधिकारी के अधीनस्थ से सीडीआर की मांग के संबंध में सेवा प्रदाता को ई-मेल भेजने के लिए कहा था, जिसकी एनआईए के लिए जांच में जरूरत बताई गई। जांच के मुताबिक जलज श्रीवास्तव ने दो नंबरों की सीडीआर अविनाश कौर को सौंपी थी।