न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हैदराबाद
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 16 Oct 2021 05:15 AM IST
सार
असदुद्दीन ओवैसी ने मोहन भागवत के भाषण पर कहा कि उनको सामाजिक बुराइयों के बारे में चिंता करने की जरूरत है।
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विस्तार
ओवैसी ने एक के बाद एक ट्वीट करके भागवत द्वारा भाषण में जनसंख्या नीति, अनुच्छेद 370 पर की गई बातों की आलोचना की। उन्होंने ट्वीट में कहा कि हमेशा की तरह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का आज का भाषण झूठ और अर्धसत्य से भरा था। उन्होंने जनसंख्या नीति की बात की और इस झूठ को दोहराया कि मुस्लिम और ईसाई आबादी में वृद्धि हुई है। मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर में सबसे तेज गिरावट आई है। कोई जनसांख्यिकीय असंतुलन नहीं है।
सामाजिक बुराइयों के बारे में चिंता करने की जरूरत
उन्होंने कहा कि उनको बाल विवाह और लिंग के आधार पर होने वाले गर्भपात जैसी सामाजिक बुराइयों के बारे में चिंता करने की जरूरत है। उन्होंने दावा किया कि शादीशुदा बच्चों में 84 फीसदी हिंदू हैं। 2001-2011 के बीच, मुस्लिम महिला-पुरुष अनुपात प्रति 1000 मुस्लिम पुरुषों के लिए 936 से बढ़कर 951 महिलाओं तक पहुंच गया। लेकिन, हिंदू अनुपात केवल 931 से बढ़कर 939 हो गया,
भारत की सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर जम्मू-कश्मीर में
ओवैसी ने कहा कि भारत में ज्यादातर युवा हैं, उनके पास नौकरी कमी है, शिक्षा नहीं है। ऐसे देश का भविष्य क्या है जिसके पीएम कुछ पकोड़े स्टालों से ज्यादा कुछ वादा नहीं कर सकते हैं। साथ ही कहा कि भागवत दावा करते हैं कि कश्मीर में लोग अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का लाभ उठा रहे हैं लेकिन भारत की सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर 21.6 फीसदी जम्मू-कश्मीर में है।
एनआरसी नागरिकों को परेशान करने का एक हथियार
मोहन भागवत के एनआरसी की मांग पर ओवैशी ने कहा कि एनआरसी और कुछ नहीं बल्कि नागरिकों की भारतीयता पर संदेह करने और उन्हें परेशान करने का एक हथियार है। एक सरकार जिसके पास ऑक्सीजन से होने वाली मौतों, फ्रंटलाइन वर्कर्स की मौत, प्रवासी श्रमिकों की मौत या किसान आत्महत्याओं की गिनती नहीं है, वह सोचती है कि यह 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की नागरिकता का सत्यापन करेगी।
