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सहमति से लगेगी डूरंड लाइन पर बाड़: तालिबान के आगे क्यों घुटने टेक दिए पाकिस्तान ने?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 15 Jan 2022 04:26 PM IST

सार

अफगानिस्तान और तत्कालीन भारत (अब पाकिस्तान) के बीच सीमा का निर्धारण ब्रिटिश राज के समय हुआ था। तालिबान का कहना है कि ये सरहद इस तरह तय की गई, जिससे उस इलाके में रहने वाले कबीलाई परिवार बंट गए। परिवार के कुछ हिस्से अफगानिस्तान में रह गए, जबकि कुछ दूसरे लोगों के घर पाकिस्तान में चले गए…

डूरंड लाइन पर पाकिस्तान की फेंसिंग
– फोटो : Agency (File Photo)

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अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर बाड़ लगाने के सवाल पर पहले सख्त तेवर दिखाने के बाद पाकिस्तान ने फिर क्यों अपना रुख नरम कर लिया, यह अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के बीच कयास का विषय बना हुआ है। पांच जनवरी को पाकिस्तान की सेना के जनसंपर्क विभाग- इंटरसर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल बाबर इफ्तिकार ने दो टूक एलान किया था कि बाड़ लगाने का काम किसी कीमत पर नहीं रोका जाएगा। उन्होंने कहा था- ‘बाड़ लगाने के काम में पाकिस्तान के सैनिक शहीद हुए हैं और उनकी शहादत को बेकार नहीं जाने दिया जाएगा।’ लेकिन शुक्रवार को पाकिस्तान का नया रूप सामने आया।

तालिबान ने थी दी चेतावनी

पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद ने कहा कि सरहद पर बाड़ लगाने के बचे काम को पड़ोसी देश की सहमति से पूरा किया जाएगा। राशिद ने कहा- ‘वे हमारे भाई हैं।’ अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच सीमा को डूरंड लाइन कहा जाता है। अफगान तालिबान इस सरहद को मान्यता नहीं देता। इसलिए बीते अगस्त में काबुल पर कब्जा करने के बाद से उसने बाड़ लगाने के काम पर एतराज शुरू कर दिया। पिछले महीने एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें तालिबान लड़ाके जबरन बाड़ लगाने का काम रोकते और इस काम के लिए लाई गई सामग्रियों को जब्त करते देखे गए। उस वीडियो में उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को आगे बाड़ न लगाने की चेतावनी दी थी। उसके बाद ही आईएसपीआर के महानिदेशक का सख्त बयान आया था।

इस्लामाबाद में एक प्रेस कांफ्रेंस में राशिद ने कहा कि सहरद पर 2,600 किलोमीटर से अधिक दूरी तक बाड़ लगाने का काम पूरा हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बाकी 21 किलोमीटर क्षेत्र में ये काम ‘हमारे भाइयों की सहमति से पूरा होगा।’ जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान ने सीमा के ज्यादातर क्षेत्र में बाड़ लगाने का काम तालिबान के काबुल पर काबिज होने तक ही पूरा कर लिया था।

अफगानिस्तान और तत्कालीन भारत (अब पाकिस्तान) के बीच सीमा का निर्धारण ब्रिटिश राज के समय हुआ था। तालिबान का कहना है कि ये सरहद इस तरह तय की गई, जिससे उस इलाके में रहने वाले कबीलाई परिवार बंट गए। परिवार के कुछ हिस्से अफगानिस्तान में रह गए, जबकि कुछ दूसरे लोगों के घर पाकिस्तान में चले गए।

झगड़े का संदेश नहीं देना चाहता पाकिस्तान

पिछले महीने काम रोकने का वीडियो वायरल होने के बाद हाल में एक और वीडियो ट्विटर पर आया। उसमें अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह ख्वार्जमी यह कहते सुने गए कि पाकिस्तान को बाड़ लगा कर सीमा पर विभाजन खड़ा करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा- ऐसा कानून के खिलाफ और अनुचित है।

पांच जनवरी को आईएसपीआर के बयान के दो रोज पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ये स्वीकार किया था कि अफगानिस्तान- पाकिस्तान सीमा पर ‘कुछ पेचीदगियां’ हैं। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर तालिबान सरकार से बातचीत चल रही है। बाद में तालिबान ने कहा था कि सीमा विवाद को कूटनीतिक माध्यमों से हल किया जाएगा। इस बीच अब पाकिस्तान का नरम रुख सामने आया है। बताया जाता है कि इसके पीछे कारण यह है कि पाकिस्तान ये संदेश देने से बचना चाहता है कि उसकी अब तालिबान से ठन गई है।

विस्तार

अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर बाड़ लगाने के सवाल पर पहले सख्त तेवर दिखाने के बाद पाकिस्तान ने फिर क्यों अपना रुख नरम कर लिया, यह अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के बीच कयास का विषय बना हुआ है। पांच जनवरी को पाकिस्तान की सेना के जनसंपर्क विभाग- इंटरसर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल बाबर इफ्तिकार ने दो टूक एलान किया था कि बाड़ लगाने का काम किसी कीमत पर नहीं रोका जाएगा। उन्होंने कहा था- ‘बाड़ लगाने के काम में पाकिस्तान के सैनिक शहीद हुए हैं और उनकी शहादत को बेकार नहीं जाने दिया जाएगा।’ लेकिन शुक्रवार को पाकिस्तान का नया रूप सामने आया।

तालिबान ने थी दी चेतावनी

पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद ने कहा कि सरहद पर बाड़ लगाने के बचे काम को पड़ोसी देश की सहमति से पूरा किया जाएगा। राशिद ने कहा- ‘वे हमारे भाई हैं।’ अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच सीमा को डूरंड लाइन कहा जाता है। अफगान तालिबान इस सरहद को मान्यता नहीं देता। इसलिए बीते अगस्त में काबुल पर कब्जा करने के बाद से उसने बाड़ लगाने के काम पर एतराज शुरू कर दिया। पिछले महीने एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें तालिबान लड़ाके जबरन बाड़ लगाने का काम रोकते और इस काम के लिए लाई गई सामग्रियों को जब्त करते देखे गए। उस वीडियो में उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को आगे बाड़ न लगाने की चेतावनी दी थी। उसके बाद ही आईएसपीआर के महानिदेशक का सख्त बयान आया था।

इस्लामाबाद में एक प्रेस कांफ्रेंस में राशिद ने कहा कि सहरद पर 2,600 किलोमीटर से अधिक दूरी तक बाड़ लगाने का काम पूरा हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बाकी 21 किलोमीटर क्षेत्र में ये काम ‘हमारे भाइयों की सहमति से पूरा होगा।’ जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान ने सीमा के ज्यादातर क्षेत्र में बाड़ लगाने का काम तालिबान के काबुल पर काबिज होने तक ही पूरा कर लिया था।

अफगानिस्तान और तत्कालीन भारत (अब पाकिस्तान) के बीच सीमा का निर्धारण ब्रिटिश राज के समय हुआ था। तालिबान का कहना है कि ये सरहद इस तरह तय की गई, जिससे उस इलाके में रहने वाले कबीलाई परिवार बंट गए। परिवार के कुछ हिस्से अफगानिस्तान में रह गए, जबकि कुछ दूसरे लोगों के घर पाकिस्तान में चले गए।

झगड़े का संदेश नहीं देना चाहता पाकिस्तान

पिछले महीने काम रोकने का वीडियो वायरल होने के बाद हाल में एक और वीडियो ट्विटर पर आया। उसमें अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह ख्वार्जमी यह कहते सुने गए कि पाकिस्तान को बाड़ लगा कर सीमा पर विभाजन खड़ा करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा- ऐसा कानून के खिलाफ और अनुचित है।

पांच जनवरी को आईएसपीआर के बयान के दो रोज पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ये स्वीकार किया था कि अफगानिस्तान- पाकिस्तान सीमा पर ‘कुछ पेचीदगियां’ हैं। उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर तालिबान सरकार से बातचीत चल रही है। बाद में तालिबान ने कहा था कि सीमा विवाद को कूटनीतिक माध्यमों से हल किया जाएगा। इस बीच अब पाकिस्तान का नरम रुख सामने आया है। बताया जाता है कि इसके पीछे कारण यह है कि पाकिस्तान ये संदेश देने से बचना चाहता है कि उसकी अब तालिबान से ठन गई है।

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