न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस, वाशिंगटन।
Published by: Jeet Kumar
Updated Tue, 10 Aug 2021 06:57 AM IST
सार
पांच हजार लोगों के इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड के अध्ययन के बाद पता चला है कि एक तिहाई लोगों को थकान, कमजोरी और बिस्तर से उठने के साथ चलने- फिरने में दिक्कत महसूस होती है।
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विस्तार
प्रमुख शोधकर्ता और हेल्थ साइकोलॉजिस्ट एलिसन मारजिलियानो का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण बुजुर्गों में बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ को छोड़ दूसरी तरह की स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ हो सकती है।
उम्र के अनुसार असमान्य लक्षण अधिक..
शोधकर्ताओं के अनुसार उम्र के हिसाब से असामान्य लक्षण के मामले अधिक देखे गए हैं । 65 से 74 वर्ष के 31 फीसदी बुजुर्गों में इस तरह के मामले अधिक है। 85 वर्ष से अधिक उम्र के 44 फीसदी लोगों में ऐसी तकलीफ देखने को मिली है । मधुमेह और डिमेंशिया के मरीजों में ऐसे लक्षण अधिक दिखे हैं।
11% को ऐसी तकलीफ
वैज्ञानिकों ने पाया है कि अध्ययन में शामिल 11% मरीजों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी तकलीफ भी महसूस हुई। भ्रमित रहने, घबराहट, भूलने के साथ सुस्ती भी महसूस हुई। शोध में ये भी स्पष्ट किया है कि आधे लोगों को बुखार, सांस लेने में तकलीफ के साथ खांसी की भी दिक्कत महसूस हुई है।
ऐसे लोग आईसीयू-वेंटिलेटर से बचे …
कोरोना से सबसे अधिक खतरा बुजुर्गों को है, लेकिन रिपोर्ट में दावा किया गया है कि असामान्य लक्षण से ग्रसित बुजुर्गों को आईसीयू व वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ी है। हालांकि, ऐसे रोगी को औसतन 10 दिन तक अस्पताल में रहना पड़ा है। कुछ की मौत भी हुई है।
संक्रमण से बुखार जरूरी नहीं …
ब्राउन यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक सर्वे में पता चला था कि बुजुर्गों में संक्रमण के बाद पाचन में दिक्कत थकान व डायरिया की तकलीफ देखी गई। डॉ. मारिया कार्नेका कहना है कि जरूरी नहीं की बुजुर्गों में संक्रमण के कारण बुखार ही हो। उन्हें पाचन संबंधी तकलीफ भी हो सकती है।