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वायुसेना प्रमुख बोले: बालाकोट हमलों और गलवां घाटी झड़प के बाद अपनी क्षमताएं बढ़ाने पर जोर

एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Wed, 11 Aug 2021 04:23 AM IST

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया
– फोटो : ANI

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वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर. के. एस. भदौरिया ने मंगलवार को कहा कि बालाकोट हमलों और गलवां घाटी झड़प के बाद से भारतीय वायुसेना की लक्ष्यों को भेदने और नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के संदर्भ में क्षमताएं काफी बढ़ी हैं।

वायुसेना प्रमुख ने एक प्रमुख थिंक टैंक में अपने संबोधन में कहा कि पश्चिमी और उत्तरी मोर्चों पर तेजी से प्रतिक्रिया करने, जवाब देने और तीव्रता के साथ हमला करने में भारत के पास अब बढ़त हासिल है। उन्होंने कहा कि राफेल लड़ाकू विमानों को सेना के बेड़े में शामिल किए जाने के बाद से अगले मुकाम को हासिल करने में मदद की है।

जम्मू एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले के बारे में उन्होंने कहा कि वायुसेना इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए अगली पीढ़ी के ‘जैमर’ खरीदने सहित कई सारी पहल कर रही है और कहा कि यदि यह हमला दो-तीन महीने बाद किया जाता तो यह संभव नहीं होता।

चीन के साथ पारंपरिक युद्ध संभव नहीं, लेकिन भारत को ताकत बढ़ाने की जरूरत: भदौरिया 
एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने मंगलवार को कहा कि चीन के साथ पारंपरिक युद्ध की संभावना नहीं है, लेकिन भारत को अपनी क्षमताओं को विकसित करना होगा और अपनी ताकत बढ़ानी होगी।

एक प्रमुख थिंक-टैंक की परिचर्चा में उन्होंने यह भी कहा कि चीन ने तिब्बत क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को काफी मजबूत किया है, लेकिन सुझाव दिया कि हवा में प्रभुत्व ऐसे उपायों से स्वतंत्र है। चीन की ओर से विवादित स्थलों से सैनिकों की वापसी के सवाल पर उन्होंने कहा कि चीन ने क्षेत्र से कुछ अंग्रिम पंक्ति के विमानों को हटाया है मगर धरती से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और रडार को कुछ जगहों से नहीं हटाया है।

वायु सेना प्रमुख ने कहा कि वायु सेना स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिहाज से बेहतर स्थिति में है। वायु सेना प्रमुख ने कहा कि इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि पारंपरिक संघर्ष के लिए तैयारी नहीं करनी है। इसे एक स्तर तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान से संभावित खतरों के लिए भी तैयार रहना होगा।

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वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर. के. एस. भदौरिया ने मंगलवार को कहा कि बालाकोट हमलों और गलवां घाटी झड़प के बाद से भारतीय वायुसेना की लक्ष्यों को भेदने और नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के संदर्भ में क्षमताएं काफी बढ़ी हैं।

वायुसेना प्रमुख ने एक प्रमुख थिंक टैंक में अपने संबोधन में कहा कि पश्चिमी और उत्तरी मोर्चों पर तेजी से प्रतिक्रिया करने, जवाब देने और तीव्रता के साथ हमला करने में भारत के पास अब बढ़त हासिल है। उन्होंने कहा कि राफेल लड़ाकू विमानों को सेना के बेड़े में शामिल किए जाने के बाद से अगले मुकाम को हासिल करने में मदद की है।

जम्मू एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले के बारे में उन्होंने कहा कि वायुसेना इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए अगली पीढ़ी के ‘जैमर’ खरीदने सहित कई सारी पहल कर रही है और कहा कि यदि यह हमला दो-तीन महीने बाद किया जाता तो यह संभव नहीं होता।

चीन के साथ पारंपरिक युद्ध संभव नहीं, लेकिन भारत को ताकत बढ़ाने की जरूरत: भदौरिया 

एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने मंगलवार को कहा कि चीन के साथ पारंपरिक युद्ध की संभावना नहीं है, लेकिन भारत को अपनी क्षमताओं को विकसित करना होगा और अपनी ताकत बढ़ानी होगी।

एक प्रमुख थिंक-टैंक की परिचर्चा में उन्होंने यह भी कहा कि चीन ने तिब्बत क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को काफी मजबूत किया है, लेकिन सुझाव दिया कि हवा में प्रभुत्व ऐसे उपायों से स्वतंत्र है। चीन की ओर से विवादित स्थलों से सैनिकों की वापसी के सवाल पर उन्होंने कहा कि चीन ने क्षेत्र से कुछ अंग्रिम पंक्ति के विमानों को हटाया है मगर धरती से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और रडार को कुछ जगहों से नहीं हटाया है।

वायु सेना प्रमुख ने कहा कि वायु सेना स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिहाज से बेहतर स्थिति में है। वायु सेना प्रमुख ने कहा कि इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि पारंपरिक संघर्ष के लिए तैयारी नहीं करनी है। इसे एक स्तर तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान से संभावित खतरों के लिए भी तैयार रहना होगा।

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