दरअसल, राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी थी कि तीन मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा दिए जाने चाहिए नहीं तो उनके कार्यकर्ता मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाएंगे। इस चेतावनी पर महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार के नेताओं ने राज ठाकरे की खिंचाई की थी, लेकिन लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए पुलिस की अनुमति अनिवार्य कर दी।
वहीं, ध्वनि प्रदूषण को लेकर लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को लेकर चिंता के बीच विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने भी इसके इस्तेमाल को लेकर निर्देश जारी किए हैं। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, “लाउडस्पीकर को रात 10 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले संचालित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और सभी लाउडस्पीकरों में ‘साउंड लिमिटर’ लगे होने चाहिए।”
हालांकि, भारत अकेला देश नहीं है जहां धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की बात हो रही है। कुछ देश ऐसे भी हैं जहां पहले से ही धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को लेकर प्रतिबंध लगा हुआ है। नीदरलैंड, जर्मनी, स्विटजरलैंड, फ्रांस, यूके, ऑस्ट्रिया, नॉर्वे और बेल्जियम सहित कई देशों में धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के उपयोग की सीमाएं तय हैं। इतना ही नहीं नाइजीरिया में लागोस जैसे कुछ शहरों ने मस्जिदों में लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हम यहां पांच ऐसे देशों के बारे में बता रहे हैं जहां लाउडस्पीकरों के उपयोग को लेकर विवाद हुआ या इसे लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए।
1. इंडोनेशिया: दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले मुस्लिम देश ने महसूस किया है कि धार्मिक स्थलों द्वारा ध्वनि प्रवर्धन का अत्यधिक उपयोग एक पर्यावरणीय मुद्दा है और इसके उपयोग पर दिशानिर्देश जारी किए हैं। मस्जिदों से इसका प्रसारण कब और कैसे किया जाए, इसे लेकर इंडोनेशिया ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। द स्ट्रेट्स टाइम्स के अनुसार, ‘मस्जिदों, लंगर और मुशोला (प्रार्थना घरों) में लाउडस्पीकरों का उपयोग’ को लेकर जारी सर्कुलर धार्मिक संस्थानों से मुस्लिम मार्गदर्शन के महानिदेशक के निर्देशों का पालन करने का आग्रह करता है।
2. सऊदी अरब: पिछले साल जून में, सऊदी अरब ने आदेश दिया था कि सभी धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों को उनकी अधिकतम मात्रा के केवल एक तिहाई पर सेट किया जाना चाहिए। इस्लामिक मामलों के मंत्री अब्दुल्लातिफ अल-शेख ने कहा कि यह उपाय जनता की शिकायतों के जवाब में उठाया गया है। इसके बाद रूढ़िवादी मुस्लिम राष्ट्र में इस कदम को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आई थीं और रेस्तरां और कैफे में तेज संगीत पर प्रतिबंध लगाने का की मांग वाला हैशटैग ट्रेंड करने लगा था।
3. ब्रिटेन: मई 2020 में वाल्थम फॉरेस्ट काउंसिल, लंदन ने आठ मस्जिदों को रमजान के दौरान नमाज के लिए अपनी कॉल को सार्वजनिक रूप से प्रसारित करने की अनुमति दी थी। इसके बाद, एक अन्य नगर परिषद ने लंदन नगर के भीतर उन्नीस मस्जिदों को रमजान के दौरान प्रार्थना करने के लिए सार्वजनिक रूप से अपनी कॉल प्रसारित करने की अनुमति दी थी। इसके बाद न्यूहैम क्षेत्र के कई निवासियों ने निर्णय के खिलाफ मेयर रोक्सना फियाज के कार्यालय को पत्र लिखा था।
4. अमेरिका: इसी तरह 2004 में अमेरिका के मिशिगन के हैमट्रैक में अल-इस्लाह मस्जिद ने अजान को प्रसारित करने के लिए लाउडस्पीकर की अनुमति का अनुरोध किया था। इसने क्षेत्र के कई गैर-मुस्लिम निवासियों को परेशान किया, जिन्होंने बताया कि शहर पहले से ही स्थानीय चर्च से जोरदार घंटी बजने से परेशान है, जबकि कुछ ने तर्क दिया कि चर्च की घंटी का उद्देश्य गैर-धार्मिक है। उस साल के बाद शहर में सभी धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों की मात्रा को सीमित करने के लिए अपने शोर नियमों में संशोधन किया गया।
5. नाइजीरिया का लागोस राज्य: 2016 में लागोस के अधिकारियों ने उच्च-शोर के स्तरों को कम करने के प्रयास में 70 चर्चों और 20 मस्जिदों को बंद कर दिया था। करीब 10 होटल, पब और क्लब हाउस भी बंद रहे। ऐसा अनुमान है कि 20 लाख की आबादी वाला यह शहर, लगातार कार के हॉर्न बजाने से लेकर प्रार्थना और जोरदार धार्मिक गायन को लेकर शोर से प्रभावित रही है। 2019 में लागोस राज्य सरकार ने शांत और आरामदायक वातावरण में अच्छे जीवन के लिए नागरिकों के अधिकारों और विशेषाधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता के मद्देनजर इस महानगर में ध्वनि प्रदूषण को प्रबंधित करने और कम करने को लेकर आदेश जारी किए।