स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ओम. प्रकाश
Updated Wed, 11 Aug 2021 11:00 AM IST
सार
टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने कहा है कि उनका अगला लक्ष्य विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतना है। नीरज ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में भारत का पहले एथलीट हैं जिन्होंने ओलंपिक में स्वर्ण पद जीता है।
ओलंपिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण अब इसके आगे क्या बाकी रह जाता है। नीरज चोपड़ा ने इसका भी जवाब दे दिया है। साथ में बैठी देश की एकमात्र विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता अंजू बॉबी जॉर्ज को देखकर कहते हैं, मैम की तरह विश्व चैंपियनशिप का पदक जीतना बाकी है। वह कहते हैं कि विश्व चैंपियनशिप, ओलंपिक से भी कठिन है और अगला लक्ष्य यही है। हालांकि उनके एजेंडे में सबसे पहले अगले वर्ष राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के अपने खिताब को बचाव करना प्रमुख है। उन्होंने कहा कि स्वर्ण जीतने के बाद काफी समय तक उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। सब कुछ सपने की तरह लग रहा था। हाथ में स्वर्ण देखता हूं तो विश्वास हो जाता है, हां जीता हूं।
शिविर में आकर अच्छा खाना मिला
नीरज के मुताबिक 2014 राष्ट्रीय खेलों में पांचवें स्थान पर रहने के बाद उन्हें राष्ट्रीय शिविर में शामिल कर लिया गया। यहां आकर लगा कि जिंदगी बदल गई है। पहले वह खुद खाना बनाते थे। भाला भी स्तरीय नहीं था, लेकिन शिविर में अच्छा खाना और भाला मिला तो वहीं से बुलंदियों का सफर शुरू हो गया।
चीफ कोच पहली बार लेकर गए थे झंडे
एथलेटिक्स के चीफ कोच राधाकृष्णन ने कहा कि इस बार जिस तरह से विदाई समारोह आयोजित किए जा रहे थे, अलग माहौल लग रहा था। उन्हें तभी लगा कि इस बार ओलंपिक में कुछ खास होगा। एथलेटिक्स में पदक नहीं आते हैं तो कोई चीफ कोच अपने साथ तिरंगा झंडा लेकर नहीं जाता है, लेकिन वह चार तिरंगे लेकर गए। उन्हें लग रहा था कि एथलेटिक्स में तीन तिरंगों की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने एक और अतिरिक्त झंडा रख लिया। नीरज ने इनका मान रख लिया।
भाला फेंक दिवस के रूप में मनाया जाएगा सात अगस्त
नीरज के लिए नहीं सात अगस्त का दिन हर देशवासी के लिए खास हो गया है। एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) ने इस दिन को पूरी तरह नीरज को समर्पित कर दिया है। एएफआई प्लानिंग कमीशन के चेयरमैन डॉ. ललित भनोट ने सात अगस्त को भाला फेंक दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इस दिन पूरे देश में भाला फेंक की राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं करवाई जाएगी। बाद में इन्हें जिला स्तर तक बढ़ाया जाएगा। नीरज ने कहा कि सुनकर अच्छा लग रहा है कि एएफआई ने उनके लिए यह दिन ऐतिहासिक बना दिया है।
विस्तार
ओलंपिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण अब इसके आगे क्या बाकी रह जाता है। नीरज चोपड़ा ने इसका भी जवाब दे दिया है। साथ में बैठी देश की एकमात्र विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता अंजू बॉबी जॉर्ज को देखकर कहते हैं, मैम की तरह विश्व चैंपियनशिप का पदक जीतना बाकी है। वह कहते हैं कि विश्व चैंपियनशिप, ओलंपिक से भी कठिन है और अगला लक्ष्य यही है। हालांकि उनके एजेंडे में सबसे पहले अगले वर्ष राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के अपने खिताब को बचाव करना प्रमुख है। उन्होंने कहा कि स्वर्ण जीतने के बाद काफी समय तक उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। सब कुछ सपने की तरह लग रहा था। हाथ में स्वर्ण देखता हूं तो विश्वास हो जाता है, हां जीता हूं।
शिविर में आकर अच्छा खाना मिला
नीरज के मुताबिक 2014 राष्ट्रीय खेलों में पांचवें स्थान पर रहने के बाद उन्हें राष्ट्रीय शिविर में शामिल कर लिया गया। यहां आकर लगा कि जिंदगी बदल गई है। पहले वह खुद खाना बनाते थे। भाला भी स्तरीय नहीं था, लेकिन शिविर में अच्छा खाना और भाला मिला तो वहीं से बुलंदियों का सफर शुरू हो गया।
चीफ कोच पहली बार लेकर गए थे झंडे
एथलेटिक्स के चीफ कोच राधाकृष्णन ने कहा कि इस बार जिस तरह से विदाई समारोह आयोजित किए जा रहे थे, अलग माहौल लग रहा था। उन्हें तभी लगा कि इस बार ओलंपिक में कुछ खास होगा। एथलेटिक्स में पदक नहीं आते हैं तो कोई चीफ कोच अपने साथ तिरंगा झंडा लेकर नहीं जाता है, लेकिन वह चार तिरंगे लेकर गए। उन्हें लग रहा था कि एथलेटिक्स में तीन तिरंगों की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने एक और अतिरिक्त झंडा रख लिया। नीरज ने इनका मान रख लिया।
भाला फेंक दिवस के रूप में मनाया जाएगा सात अगस्त
नीरज के लिए नहीं सात अगस्त का दिन हर देशवासी के लिए खास हो गया है। एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) ने इस दिन को पूरी तरह नीरज को समर्पित कर दिया है। एएफआई प्लानिंग कमीशन के चेयरमैन डॉ. ललित भनोट ने सात अगस्त को भाला फेंक दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इस दिन पूरे देश में भाला फेंक की राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं करवाई जाएगी। बाद में इन्हें जिला स्तर तक बढ़ाया जाएगा। नीरज ने कहा कि सुनकर अच्छा लग रहा है कि एएफआई ने उनके लिए यह दिन ऐतिहासिक बना दिया है।
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