स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Published by: मुकेश कुमार झा
Updated Sat, 10 Jul 2021 11:19 PM IST
सार
इंग्लैंड 1966 में विश्व चैंपियन बना था और टीम उसके बाद किसी बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने में नाकाम रही है। फाइनल में उनके सामने यूरोप की सबसे सफल टीमों में से एक है, जिसने विश्व कप का खिताब चार बार जीता है।
इंग्लैंड की फुटबॉल टीम रविवार को जब यूरो फाइनल 2020 मुकाबले में इटली के खिलाफ अपने घरेलू मैदान पर उतरेगी तो उसकी कोशिश 55 साल के खिताबी सूखे को खत्म करने की होगी। इंग्लैंड 1966 में विश्व चैंपियन बना था और टीम उसके बाद किसी बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने में नाकाम रही है। फाइनल में उनके सामने यूरोप की सबसे सफल टीमों में से एक है, जिसने विश्व कप का खिताब चार बार जीता है।
इटली की चार विश्व कप जीत में से आखिरी सफलता 2006 में मिली थी। चिलिनी ने उससे पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण कर लिया था लेकिन वह विश्व कप की टीम का हिस्सा नहीं थे। टीम का हालांकि यूरोपीय चैम्पियनशिप में प्रदर्शन उतना दमदार नहीं रहा है, जहां उन्होंने इकलौता खिताब 1968 में जीता।
इटली का टूर्नामेंट का पिछला रिकॉर्ड हालांकि इंग्लैंड से बेहतर रहा है। हाल के वर्षों में टीम दो बार 2000 और 2012 में फाइनल में पहुंचने में सफल रही है। इंग्लैंड इस खिताब के इतने करीब पहली बार पहुंचा है। महामारी के कारण लंदन की यात्रा पर प्रतिबंध होने के कारण वेम्बली स्टेडियम में स्थानीय दर्शकों की संख्या ज्यादा होगी। मैच के लिए 66,000 दर्शकों को अनुमति मिली है जो 1966 के बाद अपनी राष्ट्रीय टीम (इंग्लैंड) के सबसे सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल क्षण को देखेंगे।
टीम 1966 में जब विश्व विजेता बनी थी तक कोच गैरेथ साउथगेट का जन्म भी नहीं हुआ था। यूरो 2020 जीतना साउथगेट के लिए पुरानी चूक को सुधारने का मौका भी होगा। 1996 में वह जर्मनी के खिलाफ पेनल्टी को गोल में बदलने से चूक गए थे, जिससे इंग्लैंड को फाइनल में जगह बनाने का मौका नहीं मिला। इटली ने 2018 विश्व कप के लिए भी क्वालीफाई नहीं किया था, लेकिन तब से कोच रॉबर्टो मैनसिनी के नेतृत्व में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है और 33 मैचों में अजेय है।
विस्तार
इंग्लैंड की फुटबॉल टीम रविवार को जब यूरो फाइनल 2020 मुकाबले में इटली के खिलाफ अपने घरेलू मैदान पर उतरेगी तो उसकी कोशिश 55 साल के खिताबी सूखे को खत्म करने की होगी। इंग्लैंड 1966 में विश्व चैंपियन बना था और टीम उसके बाद किसी बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने में नाकाम रही है। फाइनल में उनके सामने यूरोप की सबसे सफल टीमों में से एक है, जिसने विश्व कप का खिताब चार बार जीता है।
इटली की चार विश्व कप जीत में से आखिरी सफलता 2006 में मिली थी। चिलिनी ने उससे पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण कर लिया था लेकिन वह विश्व कप की टीम का हिस्सा नहीं थे। टीम का हालांकि यूरोपीय चैम्पियनशिप में प्रदर्शन उतना दमदार नहीं रहा है, जहां उन्होंने इकलौता खिताब 1968 में जीता।
इटली का टूर्नामेंट का पिछला रिकॉर्ड हालांकि इंग्लैंड से बेहतर रहा है। हाल के वर्षों में टीम दो बार 2000 और 2012 में फाइनल में पहुंचने में सफल रही है। इंग्लैंड इस खिताब के इतने करीब पहली बार पहुंचा है। महामारी के कारण लंदन की यात्रा पर प्रतिबंध होने के कारण वेम्बली स्टेडियम में स्थानीय दर्शकों की संख्या ज्यादा होगी। मैच के लिए 66,000 दर्शकों को अनुमति मिली है जो 1966 के बाद अपनी राष्ट्रीय टीम (इंग्लैंड) के सबसे सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल क्षण को देखेंगे।
टीम 1966 में जब विश्व विजेता बनी थी तक कोच गैरेथ साउथगेट का जन्म भी नहीं हुआ था। यूरो 2020 जीतना साउथगेट के लिए पुरानी चूक को सुधारने का मौका भी होगा। 1996 में वह जर्मनी के खिलाफ पेनल्टी को गोल में बदलने से चूक गए थे, जिससे इंग्लैंड को फाइनल में जगह बनाने का मौका नहीं मिला। इटली ने 2018 विश्व कप के लिए भी क्वालीफाई नहीं किया था, लेकिन तब से कोच रॉबर्टो मैनसिनी के नेतृत्व में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है और 33 मैचों में अजेय है।
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