सार
भारतीय जनता पार्टी ने अब तक घोषित 295 प्रत्याशियों में से 60 फीसदी के करीब ओबीसी और दलितों को टिकट दिया है।
भाजपा के यूपी प्रभारी राधामोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष व महामंत्री संगठन सुनील बंसल।
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भाजपा ने 60 फीसदी ओबीसी और दलितों को टिकट दिया
भारतीय जनता पार्टी ने अब तक 295 प्रत्याशियों की लिस्ट कोशिश की है। इसमें से तकरीबन 58 फीसदी टिकट ओबीसी और दलितों को दिया गया है। जिसमें 107 टिकट पिछड़ी जातियों को और 64 टिकट दलित वर्ग सेप दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी के घोषित टिकटों को अगर जातिगत समीकरणों के आधार पर बहुत बारीकी से समझे तो उसमें बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के एक बड़े तबके के कोर वोट बैंक को साधने की रणनीतिक कोशिश है। भारतीय जनता पार्टी में अब तक 97 टिकट गैर यादव ओबीसी को दिए हैं। इसमें 22 कुर्मी, 18 लोधी, 14 कुशवाहा, 5 सैनी, 4 निषाद और 2 कुम्हार शामिल हैं। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने सुनार, पाल, राजभर, चौरसिया, कलवार, कश्यप और अलख जातियों के एक प्रत्याशी को भी मैदान में उतारा है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने अब तक घोषित अपने टिकट में सात टिकट यादवों को भी दिए हैं।
राजनीतिक विश्लेषक पीएन आर्य के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी को 2017 में मिली बड़ी जीत में इन्हीं जाति विशेष के वोटरों का अहम योगदान रहा था। वह कहते हैं कि पिछड़ों को टिकट देने के मामले में वैसे तो सब सभी दल आगे आ रहे हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरीके से केंद्र में हाल में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलितों को साधकर बड़ा संदेश दिया था। उसी राह पर उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव में इसी तरह से जातिगत समीकरणों के आधार पर टिकट बांट कर सत्ता की राह आसान करने की कोशिश मानी जा रही है।
भाजपा ने अब तक 64 दलित प्रत्याशी उतारा
भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ गैर यादव पिछड़ों पर ही बड़ा दांव नहीं लगाया है बल्कि गैर जाटव दलितों को भी भाजपा में टिकट देकर साधा है। भारतीय जनता पार्टी ने अब तक घोषित टिकटों में 64 दलित प्रत्याशियों को अपना उम्मीदवार बनाया है। 18 जाटव के अलावा 46 गैर जाटव शामिल है। भारतीय जनता पार्टी ने 18 पासी, 8 कोरी, 6 खटिक, 6 धोबी, 2 बाल्मीकि और 2 बेलदार को टिकट दिया है। इसके अलावा नट, कोली, धानुक, धनकर को भी एक एक टिकट दिया गया है।
कानपुर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के रिटायर प्रोफेसर एचएन सिंह कहते हैं जातिगत समीकरणों को साधे बगैर चुनाव में सत्ता हासिल करना मुश्किल होता है। इसके अलावा समाज में एक बैलेंस बना रहे इसकी जिम्मेदारी भी राजनीतिक पार्टियों की होती है। वह कहते हैं सभी राजनीतिक पार्टियां इसी जातिगत आधार पर टिकट देने की कोशिश करती हैं ताकि एक बैलेंस बना रहे। भारतीय जनता पार्टी में केंद्रीय नेतृत्व के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि उनकी पार्टी सभी लोगों को साथ में लेकर चलती है। इस बार अब तक दिए गए टिकटों में इसकी झलक साफ दिख रही है। वो कहते हैं उनकी कोशिश है समाज के हर तबके को नेतृत्व मिले और उस नेतृत्व के लिए जरूरी है कि सभी जाति और समुदाय के लोगों को हिस्सेदारी दी जाए। उनका कहना है कि आने वाले विधानसभा चुनावों के परिणाम समाज के इन्हीं सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व के साथ भारतीय जनता पार्टी को वापस सत्ता में लेकर आएंगे।