न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Mon, 09 Aug 2021 09:49 PM IST
सार
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सोमवार को समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर खुली बैठक का आयोजन हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक की अध्यक्षता की और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पांच मूल सिद्धांत बताए। इस बैठक के बाद यूएनएससी ने पहली बार समुद्री सुरक्षा पर अध्यक्ष का बयान जारी किया।
यूएनएससी की बैठक को संबोधित करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
– फोटो : यूट्यूब स्क्रीनग्रैब
अगस्त के लिए यूएनएससी के अध्यक्ष भारत ने बयान में समुद्री सुरक्षा पर खतरे का उल्लेख किया। इसके साथ ही सदस्य देशों से अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, 2000 को लागू करने पर विचार करने का आह्वान किया। समुद्री सुरक्षा को लेकर हुई खुली बहस की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि समुद्र हमारी साझा धरोहर हैं और पांच सूत्रीय सिद्धांत से हम इसकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय शांति एवं समुद्री सुरक्षा के रखरखाव पर खुली बहस को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने समुद्री कारोबार से प्रतिबंध हटाने और विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे समेत पांच सिद्धांत गिनाए। उन्होंने कहा कि इन सिद्धांतों की मदद से वैश्विक समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की रूपरेखा तैयार की जा सकती है। पीएम मोदी ने कहा कि समुद्र का इस्तेमाल आतंकवाद और समुद्री डकैती को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कारोबार समुद्री मार्ग के जरिये ही फलता फूलता है। लेकिन हमारी इसी धरोहर के सामने इस समय कई गंभीर चुनौतियां हैं, जिनसे निपटना बेहद जरूरी है। आपसी सहयोग के जरिए हम समुद्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत ने क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं।
- समुद्र के रास्ते कानूनी कारोबार के प्रतिबंधों को हटाएं। इससे वैश्विक समृद्धि के रास्ते खुलेंगे और सभी देश समुद्री मार्ग की सुरक्षा में भागीदारी करेंगे।
- सभी समुद्री विवादों का अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत शांतिपूर्ण निपटारा किया जाए। इससे आपसी भरोसा और विश्वास बढ़ेगा। इस तरह वैश्विक शांति और स्थिरता कायम होगी।
- प्राकृतिक आपदाओं एवं समुद्री चुनौतियों से निपटने में दुनिया एकजुटता दिखाए।
- समुद्री पर्यावरण एवं संसाधनों का संरक्षण किया जाए।
- समुद्री संपर्क को प्रोत्साहित करने में सभी देश अपनी अपनी जिम्मेदारी समझें।
विस्तार
अगस्त के लिए यूएनएससी के अध्यक्ष भारत ने बयान में समुद्री सुरक्षा पर खतरे का उल्लेख किया। इसके साथ ही सदस्य देशों से अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, 2000 को लागू करने पर विचार करने का आह्वान किया। समुद्री सुरक्षा को लेकर हुई खुली बहस की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि समुद्र हमारी साझा धरोहर हैं और पांच सूत्रीय सिद्धांत से हम इसकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय शांति एवं समुद्री सुरक्षा के रखरखाव पर खुली बहस को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने समुद्री कारोबार से प्रतिबंध हटाने और विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे समेत पांच सिद्धांत गिनाए। उन्होंने कहा कि इन सिद्धांतों की मदद से वैश्विक समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने की रूपरेखा तैयार की जा सकती है। पीएम मोदी ने कहा कि समुद्र का इस्तेमाल आतंकवाद और समुद्री डकैती को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कारोबार समुद्री मार्ग के जरिये ही फलता फूलता है। लेकिन हमारी इसी धरोहर के सामने इस समय कई गंभीर चुनौतियां हैं, जिनसे निपटना बेहद जरूरी है। आपसी सहयोग के जरिए हम समुद्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत ने क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने दिए ये पांच मंत्र
- समुद्र के रास्ते कानूनी कारोबार के प्रतिबंधों को हटाएं। इससे वैश्विक समृद्धि के रास्ते खुलेंगे और सभी देश समुद्री मार्ग की सुरक्षा में भागीदारी करेंगे।
- सभी समुद्री विवादों का अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत शांतिपूर्ण निपटारा किया जाए। इससे आपसी भरोसा और विश्वास बढ़ेगा। इस तरह वैश्विक शांति और स्थिरता कायम होगी।
- प्राकृतिक आपदाओं एवं समुद्री चुनौतियों से निपटने में दुनिया एकजुटता दिखाए।
- समुद्री पर्यावरण एवं संसाधनों का संरक्षण किया जाए।
- समुद्री संपर्क को प्रोत्साहित करने में सभी देश अपनी अपनी जिम्मेदारी समझें।
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