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मद्रास हाईकोर्ट के जज ने पेश की मिसाल, स्वतः संज्ञान लेकर दुखी पिता को दिलाया न्याय

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चेन्नई

Updated Wed, 04 Nov 2020 12:08 PM IST

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मद्रास हाईकोर्ट के एक जज ने एक सामान्य पिता की मदद कर मिसाल पेश की है। करंट लगने से अपना बेटा खो चुके पिता को कानूनी पेंचों में ना फंसाकर कोर्ट के जज ने पिता को जल्द न्याय दिलाने पर जोर दिया और उसे न्याय भी दिलाया। हाईकोर्ट ने सोमवार को दिए एक फैसले में तमिलनाडु डिस्ट्रीब्यूशन और कॉरपोरेशन लिमिटेड 13.86 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

दरअसल, इस कंपनी में काम करने वाले 22 वर्षीय युवक की करंट लगने से मौत हो गई, जिसके बाद युवक के पिता ने हाईकोर्ट में न्याय के लिए याचिका दायर की। यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कोर्ट ने करंट से मौत के मामले में मुआवजे के संबंध में अनूठी विधि अपनाई है।

जस्टिस स्वामीनाथन ने कोर्ट में मृत लड़के के पिता और उनके दुखी मन को देखकर इस मामला का स्वतः संज्ञान ले लिया। पिता कोर्ट में याचिका लेकर आए थे। जब पिता से पूछताछ की तो पता चला कि उसने रजिस्ट्रार (न्यायिक), मदुरै बेंच, मद्रास हाईकोर्ट को पत्र लिखकर न्याय की मांग की थी।

जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि उनके पास कलेजा नहीं था कि वह दुख में डूबे पिता से कहते कि वह एक वकील से सलाह लें और हाईकोर्ट में उचित तरह से रिट याचिका दायर करें या फिर सिविल कोर्ट के समक्ष मुआवजे के लिए मुकदमा दायर करें।

मद्रास हाईकोर्ट के एक जज ने एक सामान्य पिता की मदद कर मिसाल पेश की है। करंट लगने से अपना बेटा खो चुके पिता को कानूनी पेंचों में ना फंसाकर कोर्ट के जज ने पिता को जल्द न्याय दिलाने पर जोर दिया और उसे न्याय भी दिलाया। हाईकोर्ट ने सोमवार को दिए एक फैसले में तमिलनाडु डिस्ट्रीब्यूशन और कॉरपोरेशन लिमिटेड 13.86 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

दरअसल, इस कंपनी में काम करने वाले 22 वर्षीय युवक की करंट लगने से मौत हो गई, जिसके बाद युवक के पिता ने हाईकोर्ट में न्याय के लिए याचिका दायर की। यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कोर्ट ने करंट से मौत के मामले में मुआवजे के संबंध में अनूठी विधि अपनाई है।

जस्टिस स्वामीनाथन ने कोर्ट में मृत लड़के के पिता और उनके दुखी मन को देखकर इस मामला का स्वतः संज्ञान ले लिया। पिता कोर्ट में याचिका लेकर आए थे। जब पिता से पूछताछ की तो पता चला कि उसने रजिस्ट्रार (न्यायिक), मदुरै बेंच, मद्रास हाईकोर्ट को पत्र लिखकर न्याय की मांग की थी।

जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि उनके पास कलेजा नहीं था कि वह दुख में डूबे पिता से कहते कि वह एक वकील से सलाह लें और हाईकोर्ट में उचित तरह से रिट याचिका दायर करें या फिर सिविल कोर्ट के समक्ष मुआवजे के लिए मुकदमा दायर करें।

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