एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Sun, 19 Dec 2021 05:57 AM IST
सार
तकनीकी मुद्रा किसी भी अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों से लेकर उत्पादकता तक पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होगा।
आरबीआई ने अपने निदेशकों के केंद्रीय बोर्ड से कहा है कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। लखनऊ में शुक्रवार को हुई बोर्ड की 592वीं बैठक में क्रिप्टोकरेंसी और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पर विस्तृत चर्चा हुई। इसमें आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास भी मौजूद थे।
सूत्रों ने बताया कि आरबीआई ने एक प्रजेंटेशन के जरिए बोर्ड को क्रिप्टोकरेंसी के खतरे समझाने का प्रयास किया। उसने कहा कि यह तकनीकी मुद्रा किसी भी अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों से लेकर उत्पादकता तक पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होगा। इसकी दो वजहें सामने रखीं, पहली कि यह विदेशों में पैदा की जा रही है और दूसरी कि इसे मापा नहीं जा सकता।
चिंता बढ़ाने वाला एक फैक्टर यह भी है कि यह विदेशी एक्सचेंजों में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हो रही हैं, इससे लेन-देन करने वालों का पता नहीं लग पाता। पहले भी आरबीआई ने ऐसी चिंताएं जताई थीं। गवर्नर शशिकांत दास ने तो यहां तक कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय स्थायित्व के लिए गंभीर खतरा हैं।
कुछ सदस्यों ने कहा प्रगति पर रखें नजर
हालांकि ताजा बैठक में कुछ बोर्ड सदस्यों ने संतुलित नजरिया रखा और कहा कि तकनीक के दौर में क्रिप्टोकरेंसी पूरे वित्तीय क्षेत्र में असर डाल सकती हैं। ऐसे में नए विकास और प्रगति पर नजर रखनी चाहिए। इस बैठक में डिप्टी गवर्नर महेश कुमार जैन, डॉ. माइकल देबब्रता पात्रा, एम राजेश्वर राव, टी रबि शंकर व वित्तीय सेवा विभाग के सचिव देबाशीष पांडा भी शामिल थे।
भारत की स्थिति
- सरकार क्रिप्टोकरेंसी के नियंत्रित उपयोग के लिए शीत सत्र में एक विधेयक पर विचार कर रही है। इसके जरिए आरबीआई की डिजिटल करेंसी लाई जा सकती है।
- संसद में बताया गया कि बैंक नोटों की परिभाषा में बदलाव कर इसमें डिजिटल करेंसी को भी शामिल करने के लिए आरबीआई एक्ट 1934 में संशोधन के लिए अक्तूबर में आरबीआई ने एक प्रस्ताव दिया था।
- सूत्रों के अनुसार आरबीआई इस संशोधन के जरिए अपनी सीबीडीसी उतारने की तैयारी कर रहा है। भले ही वह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सकारात्मक नहीं है।
विस्तार
आरबीआई ने अपने निदेशकों के केंद्रीय बोर्ड से कहा है कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। लखनऊ में शुक्रवार को हुई बोर्ड की 592वीं बैठक में क्रिप्टोकरेंसी और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पर विस्तृत चर्चा हुई। इसमें आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास भी मौजूद थे।
सूत्रों ने बताया कि आरबीआई ने एक प्रजेंटेशन के जरिए बोर्ड को क्रिप्टोकरेंसी के खतरे समझाने का प्रयास किया। उसने कहा कि यह तकनीकी मुद्रा किसी भी अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों से लेकर उत्पादकता तक पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होगा। इसकी दो वजहें सामने रखीं, पहली कि यह विदेशों में पैदा की जा रही है और दूसरी कि इसे मापा नहीं जा सकता।
चिंता बढ़ाने वाला एक फैक्टर यह भी है कि यह विदेशी एक्सचेंजों में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हो रही हैं, इससे लेन-देन करने वालों का पता नहीं लग पाता। पहले भी आरबीआई ने ऐसी चिंताएं जताई थीं। गवर्नर शशिकांत दास ने तो यहां तक कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय स्थायित्व के लिए गंभीर खतरा हैं।
कुछ सदस्यों ने कहा प्रगति पर रखें नजर
हालांकि ताजा बैठक में कुछ बोर्ड सदस्यों ने संतुलित नजरिया रखा और कहा कि तकनीक के दौर में क्रिप्टोकरेंसी पूरे वित्तीय क्षेत्र में असर डाल सकती हैं। ऐसे में नए विकास और प्रगति पर नजर रखनी चाहिए। इस बैठक में डिप्टी गवर्नर महेश कुमार जैन, डॉ. माइकल देबब्रता पात्रा, एम राजेश्वर राव, टी रबि शंकर व वित्तीय सेवा विभाग के सचिव देबाशीष पांडा भी शामिल थे।
भारत की स्थिति
- सरकार क्रिप्टोकरेंसी के नियंत्रित उपयोग के लिए शीत सत्र में एक विधेयक पर विचार कर रही है। इसके जरिए आरबीआई की डिजिटल करेंसी लाई जा सकती है।
- संसद में बताया गया कि बैंक नोटों की परिभाषा में बदलाव कर इसमें डिजिटल करेंसी को भी शामिल करने के लिए आरबीआई एक्ट 1934 में संशोधन के लिए अक्तूबर में आरबीआई ने एक प्रस्ताव दिया था।
- सूत्रों के अनुसार आरबीआई इस संशोधन के जरिए अपनी सीबीडीसी उतारने की तैयारी कर रहा है। भले ही वह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सकारात्मक नहीं है।
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