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भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता से बढ़ रहे हैं द्विपक्षीय संबंध : रिपोर्ट

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यूरोप स्थित थिंक टैंक के अनुसार चीन से युद्ध की आवश्यकता को लेकर अमेरिका में द्विदलीय मान्यता है। इसके पीछे का तथ्य यह है कि राष्ट्रपति चुनाव से ठीक एक सप्ताह पहले टू प्लस टू वार्ता आयोजित की गई, जो इस विश्वास को दर्शाती है कि भारत और अमेरिका ने अपने संबंधों को मजबूत किया है।

यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) ने एक टिप्पणी में कहा कि तीसरी भारत-यूएस टू प्लस टू वार्ता का समय इस बारे में बहुत कुछ बताता है कि इस समय दोनों देशों के बीच के संबंधों में और अधिक घनिष्ठता आ रही है।

ईएफएसएएस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में लगातार सुधार हुआ है। अमेरिका में तीन नवंबर को होने वाले चुनावों से ठीक एक हफ्ते पहले टू प्लस टू वार्ता यह विश्वास दर्शाता है कि दोनों पक्षों के बीच संबंध मजबूत हैं। इस चुनाव में कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित हो भारत के साथ उसके रिश्ते बेहतर रहेंगे।

इस वार्ता के बाद चीन की बेचैनी बढ़ गई है। चीन ने इस बैठक को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अमेरिका चीन के खतरे का तथाकथित भय दिखाकर अन्य देशों को गुमराह कर रहा है। चीन ने अन्य देशों से अमेरिका के गुमराह करने वाले इन प्रयासों को रोकना होगा।

प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका द्वारा प्रस्तावित इंडो-पैसिफिक रणनीति दुनिया में शीत युद्ध को बढ़ावा देगा। इससे टकराव की स्थिति पैदा होगी। यह शीत युद्ध की मानसिकता है।

यूरोप स्थित थिंक टैंक के अनुसार चीन से युद्ध की आवश्यकता को लेकर अमेरिका में द्विदलीय मान्यता है। इसके पीछे का तथ्य यह है कि राष्ट्रपति चुनाव से ठीक एक सप्ताह पहले टू प्लस टू वार्ता आयोजित की गई, जो इस विश्वास को दर्शाती है कि भारत और अमेरिका ने अपने संबंधों को मजबूत किया है।

यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) ने एक टिप्पणी में कहा कि तीसरी भारत-यूएस टू प्लस टू वार्ता का समय इस बारे में बहुत कुछ बताता है कि इस समय दोनों देशों के बीच के संबंधों में और अधिक घनिष्ठता आ रही है।

ईएफएसएएस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में लगातार सुधार हुआ है। अमेरिका में तीन नवंबर को होने वाले चुनावों से ठीक एक हफ्ते पहले टू प्लस टू वार्ता यह विश्वास दर्शाता है कि दोनों पक्षों के बीच संबंध मजबूत हैं। इस चुनाव में कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित हो भारत के साथ उसके रिश्ते बेहतर रहेंगे।

इस वार्ता के बाद चीन की बेचैनी बढ़ गई है। चीन ने इस बैठक को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अमेरिका चीन के खतरे का तथाकथित भय दिखाकर अन्य देशों को गुमराह कर रहा है। चीन ने अन्य देशों से अमेरिका के गुमराह करने वाले इन प्रयासों को रोकना होगा।

प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका द्वारा प्रस्तावित इंडो-पैसिफिक रणनीति दुनिया में शीत युद्ध को बढ़ावा देगा। इससे टकराव की स्थिति पैदा होगी। यह शीत युद्ध की मानसिकता है।

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