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पूंजी: बैंकों को जल्द मिलेगी राहत की डोज, बैलेंस शीट सुधारने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये देगी सरकार

पूंजी: बैंकों को जल्द मिलेगी राहत की डोज, बैलेंस शीट सुधारने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये देगी सरकार

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Fri, 22 Oct 2021 02:11 AM IST

सार

सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक में डाले गए थे।

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बैंकों की बैलेंस शीट सुधारने और नियामकीय जरूरतों पूरी करने के लिए सरकार अगली तिमाही में 20 हजार करोड़ की पूंजी डालेगी। 2021-22 के बजट में सरकारी बैंकों के लिए इस पूंजी का प्रावधान किया गया था। जनवरी-मार्च तिमाही में जरूरत के हिसाब से 12 सरकारी बैंकों को राशि दी जाएगी। 

वित्त मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि चालू वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में सभी बैंकों की समीक्षा के आधार पर राशि का आवंटन किया जाएगा। महामारी के दबाव में भी इस साल सभी सरकारी बैंकों ने मुनाफा दर्ज किया है, जिससे बैंकों की बैलेंस शीट में एक बार फिर से मजबूती आ रही है।

हालांकि, आने वाली तिमाहियों में संकटग्रस्त पूंजी में इजाफा होगा जिसके लिए और पूंजी की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी सरकारी बैंक आरबीआई की त्वरित सुधार कार्रवाई (पीसीए) ढांचे से बाहर आ चुके हैं। सितंबर में ही आरबीआई ने यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को पीसीए ढांचे से बाहर किया था।  

11 साल में 3.15 लाख करोड़ डाले
सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक में डाले गए थे। पिछले 11 साल में सरकारी बैंकों में 3.15 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली जा चुकी है। इसमें से 70 हजार करोड़ महज दो वित्तवर्ष (2018-19 व 2019-20) में दिए गए हैं। सरकार अर्थव्यवस्था और कर्ज बांटने की दर मजबूत बनाने के लिए बार-बार बैंकों को वित्तीय मदद देती है।

10.5 फीसदी से ज्यादा रहेगी विकास दर : नीति आयोग
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने चालू वित्तवर्ष में दहाई अंकों से ज्यादा की विकास दर का अनुमान लगाया है। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि 2021-22 में भारत 10.5 फीसदी से भी ज्यादा की दर से विकास करेगा। उन्होंने कहा, देश का सेवा और विनिर्माण पीएमआई पिछले महीने काफी मजबूत रहा। पहली तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 फीसदी की विकास हासिल भी की है। इससे पहले आरबीआई ने भी इस साल 9.5 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था।

विस्तार

बैंकों की बैलेंस शीट सुधारने और नियामकीय जरूरतों पूरी करने के लिए सरकार अगली तिमाही में 20 हजार करोड़ की पूंजी डालेगी। 2021-22 के बजट में सरकारी बैंकों के लिए इस पूंजी का प्रावधान किया गया था। जनवरी-मार्च तिमाही में जरूरत के हिसाब से 12 सरकारी बैंकों को राशि दी जाएगी। 

वित्त मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि चालू वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में सभी बैंकों की समीक्षा के आधार पर राशि का आवंटन किया जाएगा। महामारी के दबाव में भी इस साल सभी सरकारी बैंकों ने मुनाफा दर्ज किया है, जिससे बैंकों की बैलेंस शीट में एक बार फिर से मजबूती आ रही है।

हालांकि, आने वाली तिमाहियों में संकटग्रस्त पूंजी में इजाफा होगा जिसके लिए और पूंजी की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी सरकारी बैंक आरबीआई की त्वरित सुधार कार्रवाई (पीसीए) ढांचे से बाहर आ चुके हैं। सितंबर में ही आरबीआई ने यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को पीसीए ढांचे से बाहर किया था।  

11 साल में 3.15 लाख करोड़ डाले

सरकार ने बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए पिछले वित्तवर्ष में भी पांच सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ की पूंजी डाली थी। इसमें से 11,500 करोड़ तो सिर्फ यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक में डाले गए थे। पिछले 11 साल में सरकारी बैंकों में 3.15 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली जा चुकी है। इसमें से 70 हजार करोड़ महज दो वित्तवर्ष (2018-19 व 2019-20) में दिए गए हैं। सरकार अर्थव्यवस्था और कर्ज बांटने की दर मजबूत बनाने के लिए बार-बार बैंकों को वित्तीय मदद देती है।

10.5 फीसदी से ज्यादा रहेगी विकास दर : नीति आयोग

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने चालू वित्तवर्ष में दहाई अंकों से ज्यादा की विकास दर का अनुमान लगाया है। उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा कि 2021-22 में भारत 10.5 फीसदी से भी ज्यादा की दर से विकास करेगा। उन्होंने कहा, देश का सेवा और विनिर्माण पीएमआई पिछले महीने काफी मजबूत रहा। पहली तिमाही में रिकॉर्ड 20.1 फीसदी की विकास हासिल भी की है। इससे पहले आरबीआई ने भी इस साल 9.5 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था।

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