वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लाहौर
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Tue, 19 Apr 2022 09:38 PM IST
सार
पुलिस को शक है कि चरमपंथी इस्लामवादी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) से जुड़ा कोई शख्स धमकी भरे पत्र भेजने के पीछे शामिल हो सकता है।
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विस्तार
आतंकवाद निरोधक अदालत लाहौर की न्यायाधीश नताशा नसीम ने श्रीलंकाई नागरिक प्रियंता कुमारा की पीट-पीटकर हत्या और ईशनिंदा के आरोप में सोमवार को छह मुख्य संदिग्धों को मौत की सजा सुनाई थी। उन्होंने नौ लोगों को उम्रकैद, एक को पांच साल कैद और 72 अन्य को दो-दो साल कैद की सजा सुनाई।
पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया, ‘अभियोजन पक्ष के सदस्यों- वकीलों अब्दुर रऊफ वाटू, असमतुल्ला खान, असगर अली, जाहिद सरफराज खान, नदीम सरवर और उमर फारूक को अज्ञात लोगों से धमकी भरे खत मिले हैं कि कुमारा हत्याकांड के संदिग्धों को सजा सुनाए जाने के मद्देनजर वे और उनके परिजन सुरक्षित नहीं रहेंगे।’
पत्र में लिखा है, ‘हमारे कार्यकर्ताओं ने एक ईशनिंदक को जहन्नुम भेजकर शानदार काम किया है। अगर हमारे कार्यकर्ताओं को सजा दी जाती है तो तुम और तुम्हारे परिवार महफूज नहीं रहेंगे।’
धमकी के पीछे तहरीक-ए-लब्बैक का हो सरका है हाथ
अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस को शक है कि चरमपंथी इस्लामवादी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) से जुड़ा कोई शख्स धमकी भरे पत्र भेजने के पीछे शामिल हो सकता है।
टीएलपी के समर्थकों समेत 800 से अधिक लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर एक कपड़ा कारखाने पर हमला कर दिया था और उसके महाप्रबंधक प्रियंता कुमारा (47) की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। भीड़ ने कुमारा के शरीर को जला भी दिया था।
उनका आरोप था कि कुमारा ने लाहौर से करीब 100 किलोमीटर दूर सियालकोट जिले में तीन दिसंबर, 2021 को कुरान की आयतें लिखे एक पोस्टर को हटा दिया था।