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नासा के पर्सेवरेंस रोवर ने की मंगल की सतह पर लैंडिंग, जानिए सब कुछ


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अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सेवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड कर लिया है। इसकी लैंडिंग के साथ ही नासा के वैज्ञानिकों व कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। दरअसल, नासा की ये कोशिश लाल ग्रह पर मनुष्य को बसाने की उम्मीदों को लेकर बेहद अहम कदम है। 220 करोड़ डॉलर की कुल लागत वाले इस कार के आकार के स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग का नासा ने सजीव प्रसारण किया। 

भारतीय समयानुसार शुक्रवार-शनिवार की देर रात यह प्रसारण शुरू हुआ, जिसमें यह रोवर ने उस कठिन स्थिति का सामना किया जिसे ‘सात मिनट का आतंक’ कहा जाता है। इसका मतलब उन कठिन परिस्थितियों से है जिनका सामना मंगल के वायुमंडल में प्रवेश करने और सतह तक पहुंचने के लिए करना होता है।
 

12 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से सफर कर रहे इस रोवर की गति को धीमा करने के लिए एक सुपरसॉनिक पैराशूट का इस्तेमाल किया गया। बता दें कि इस गति से लंदन से न्यूयॉर्क तक महज 15 मिनट की अवधि में पहुंचा जा सकता है।

यह पर्सेवेरेंस रोवर जेजेरो (Jezero) नामक एक 820 फुट गहरे क्रेटर के आधार को छुएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि जेजेरो पहले एक झील हुआ करती थी, जिसमें करीब 350 करोड़ साल पहले पानी हुआ करता था।

यह रोवर मंगल ग्रह की सतह पर ड्रिल करेगा और भूवैज्ञानिक नमूनों को क्रेटर के संपर्क में आने से पहले ही एकत्र करेगा। इन नमूनों को आने वाले समय में एक और अभियान के जरिए धरती पर वापस लाया जाएगा। जानकारी के अनुसार इस दूसरे अभियान के माध्यम से इन नमूनों को साल 2031 में धरती पर लाया जाएगा।

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सेवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड कर लिया है। इसकी लैंडिंग के साथ ही नासा के वैज्ञानिकों व कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। दरअसल, नासा की ये कोशिश लाल ग्रह पर मनुष्य को बसाने की उम्मीदों को लेकर बेहद अहम कदम है। 220 करोड़ डॉलर की कुल लागत वाले इस कार के आकार के स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग का नासा ने सजीव प्रसारण किया। 

भारतीय समयानुसार शुक्रवार-शनिवार की देर रात यह प्रसारण शुरू हुआ, जिसमें यह रोवर ने उस कठिन स्थिति का सामना किया जिसे ‘सात मिनट का आतंक’ कहा जाता है। इसका मतलब उन कठिन परिस्थितियों से है जिनका सामना मंगल के वायुमंडल में प्रवेश करने और सतह तक पहुंचने के लिए करना होता है।

 

12 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से सफर कर रहे इस रोवर की गति को धीमा करने के लिए एक सुपरसॉनिक पैराशूट का इस्तेमाल किया गया। बता दें कि इस गति से लंदन से न्यूयॉर्क तक महज 15 मिनट की अवधि में पहुंचा जा सकता है।

यह पर्सेवेरेंस रोवर जेजेरो (Jezero) नामक एक 820 फुट गहरे क्रेटर के आधार को छुएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि जेजेरो पहले एक झील हुआ करती थी, जिसमें करीब 350 करोड़ साल पहले पानी हुआ करता था।

यह रोवर मंगल ग्रह की सतह पर ड्रिल करेगा और भूवैज्ञानिक नमूनों को क्रेटर के संपर्क में आने से पहले ही एकत्र करेगा। इन नमूनों को आने वाले समय में एक और अभियान के जरिए धरती पर वापस लाया जाएगा। जानकारी के अनुसार इस दूसरे अभियान के माध्यम से इन नमूनों को साल 2031 में धरती पर लाया जाएगा।

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