न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Wed, 20 Oct 2021 11:31 AM IST
सार
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दुष्कर्म के मामले में दोषी, आसाराम बापू के बेटे नारायण साई को दो सप्ताह का फरलो देने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया है।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दुष्कर्म के मामले में दोषी, आसाराम बापू के बेटे नारायण साई को 14 दिन की फरलो दिए जाने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि फरलो कोई पूर्ण अधिकार नहीं है और इसे देना कई कारकों पर निर्भर करता है। अदालत ने कहा कि साई की कोठरी से एक मोबाइल फोन मिला था, इसलिए जेल अधीक्षक ने राय दी थी कि उसे फरलो नहीं दी जानी चाहिए।
एक अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
बता दें कि इससे पहले एक अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के बेटे और दुष्कर्म के दोषी नारायण साई को दो हफ्ते की ‘फरलो’ दिए जाने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ गुजरात सरकार की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि नारायण साई को फरलो नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि वह जेल में रहते हुए भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है।
पिता आसाराम की देखरेख करने के लिए की थी फरलो की मांग
नारायण साई ने कोरोना वायरस से संक्रमित रहे अपने पिता आसाराम की देखरेख करने के लिए फरलो की मांग की है। प्रदेश सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि आसाराम उपचार के बाद अब फिर से जेल में है। नारायण साई और उसके पिता आसाराम को दुष्कर्म के अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है तथा वे आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
विस्तार
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दुष्कर्म के मामले में दोषी, आसाराम बापू के बेटे नारायण साई को 14 दिन की फरलो दिए जाने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि फरलो कोई पूर्ण अधिकार नहीं है और इसे देना कई कारकों पर निर्भर करता है। अदालत ने कहा कि साई की कोठरी से एक मोबाइल फोन मिला था, इसलिए जेल अधीक्षक ने राय दी थी कि उसे फरलो नहीं दी जानी चाहिए।
एक अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
बता दें कि इससे पहले एक अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के बेटे और दुष्कर्म के दोषी नारायण साई को दो हफ्ते की ‘फरलो’ दिए जाने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ गुजरात सरकार की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि नारायण साई को फरलो नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि वह जेल में रहते हुए भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है।
पिता आसाराम की देखरेख करने के लिए की थी फरलो की मांग
नारायण साई ने कोरोना वायरस से संक्रमित रहे अपने पिता आसाराम की देखरेख करने के लिए फरलो की मांग की है। प्रदेश सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि आसाराम उपचार के बाद अब फिर से जेल में है। नारायण साई और उसके पिता आसाराम को दुष्कर्म के अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है तथा वे आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
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