वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 15 Jan 2022 03:50 PM IST
सार
एसएलपीपी के अध्यक्ष और विदेश मंत्री जीएल पीरिस ने कोलंबों के सांसद सुशील प्रेमजयंता का समर्थन करने के लिए फ्रीडम पार्टी की कड़ी आलोचना की है। प्रेम जयंता एसएलपीपी के सदस्य हैं, जिन्हें पार्टी ने उनके सभी पदों से पिछले हफ्ते हटा दिया था…
श्रीलंका के सत्ताधारी गठबंधन के दो सबसे प्रमुख घटक दलों में टकराव की स्थिति बन गई है। सत्ताधारी श्रीलंका पोडुजना पेरामुना (एसएलपीपी) और दूसरे बड़े दल श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के नेताओं में बढ़ा अविश्वास इस टकराव की वजह है। एसएलपीपी राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे की पार्टी है।
एसएलपीपी के अध्यक्ष और विदेश मंत्री जीएल पीरिस ने कोलंबों के सांसद सुशील प्रेमजयंता का समर्थन करने के लिए फ्रीडम पार्टी की कड़ी आलोचना की है। प्रेम जयंता एसएलपीपी के सदस्य हैं, जिन्हें पार्टी ने उनके सभी पदों से पिछले हफ्ते हटा दिया था। उसके पहले जयंता ने सरकार की आलोचना की थी। फ्रीडम पार्टी ने उनका समर्थन किया है। पार्टी नेता और पूर्व राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने एक बयान में कहा कि जयंता पर कार्रवाई करने के बजाय सरकार को चाहिए कि वह अपनी गलतियों और खामियों को सुधारना चाहिए। फ्रीडम पार्टी के संसद में 14 सदस्य हैँ।
सार्वजनिक आलोचना बर्दाश्त नहीं
जीएल पीरिस ने एक प्रेस कांफ्रेंस में स्वीकार किया कि फ्रीडम पार्टी को असहमत होने का अधिकार है। लेकिन उन्होंने जोर दिया कि एसएलपीपी की सार्वजनिक आलोचना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी गठबंधन में अगर किसी का किसी खास मुद्दे पर अलग रुख है, तो उसे संसदीय समूह, कैबिनेट, या पार्टी नेताओं के स्तर पर उठाना चाहिए।
प्रेम जयंता ने बीती चार जनवरी को सरकार की कड़ी आलोचना की थी। दो दिन बाद उन्हें उनके सभी पदों से हटा दिया गया। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि जयंता सरकार की आलोचना करने वाले अकेले सांसद नहीं हैं। बल्कि ऐसे कई सांसद हैं, जिन्होंने अलग-अलग मुद्दों पर सरकार की आलोचना की है।
पीरिस के बयान पर श्रीलंका फ्रीडम पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। पार्टी के वरिष्ठ अध्यक्ष रोहना लक्ष्मण पियदसा ने कहा है कि एसएलपीपी उस स्थिति में नहीं है कि सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दूसरे दलों को आदेश दे। उन्होंने कहा कि एसएलपीपी का व्यवहार अनुचित रहा है, जिससे अपूरणीय क्षति हुई है। अब ये पार्टी फिर से अपना नियंत्रण कायम करने की कोशिश कर रही है।
युगडानवी सौदे की कड़ी आलोचना
पियदसा ने दो टूक कहा कि उनकी पार्टी दबाव के आगे नहीं झुकेगी। पियदसा पहले फ्रीडम पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैँ। वे अतीत में भी एसएलपीपी की कड़ी आलोचना कर चुके हैं। प्रेम जयंता ने युगडानवी सौदे की कड़ी आलोचना की थी। श्रीलंका की मौजूदा सरकार ने युगडानवी स्थित एक बिजली संयंत्र को बेचने का फैसला किया था। पियदसा ने ध्यान दिलाया कि अलग-अलग पार्टियों के तकरीबन दो दर्जन सदस्यों ने इस सौदे की आलोचना की है और तीन सांसदों ने तो इसके खिलाफ कोर्ट में अर्जी दे दी है।
एसएलपीपी का कहना है कि इस मुद्दे पर सत्ताधारी गठबंधन को सार्वजनिक मंचों पर एक स्वर में बोलना चाहिए। पीरिस ने कहा कि ऐसा ना करने की वजह से देश के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विवाद खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि खुलेआम असहमति जताने के लिए विदेशी मुद्रा लाने की सरकार की कोशिशों के सामने रुकावट खड़ी होगी। इन दिनों श्रीलंका विदेशी मुद्रा की कमी के कारण गहरे आर्थिक संकट में फंसा हुआ है।
विस्तार
श्रीलंका के सत्ताधारी गठबंधन के दो सबसे प्रमुख घटक दलों में टकराव की स्थिति बन गई है। सत्ताधारी श्रीलंका पोडुजना पेरामुना (एसएलपीपी) और दूसरे बड़े दल श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के नेताओं में बढ़ा अविश्वास इस टकराव की वजह है। एसएलपीपी राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे की पार्टी है।
एसएलपीपी के अध्यक्ष और विदेश मंत्री जीएल पीरिस ने कोलंबों के सांसद सुशील प्रेमजयंता का समर्थन करने के लिए फ्रीडम पार्टी की कड़ी आलोचना की है। प्रेम जयंता एसएलपीपी के सदस्य हैं, जिन्हें पार्टी ने उनके सभी पदों से पिछले हफ्ते हटा दिया था। उसके पहले जयंता ने सरकार की आलोचना की थी। फ्रीडम पार्टी ने उनका समर्थन किया है। पार्टी नेता और पूर्व राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने एक बयान में कहा कि जयंता पर कार्रवाई करने के बजाय सरकार को चाहिए कि वह अपनी गलतियों और खामियों को सुधारना चाहिए। फ्रीडम पार्टी के संसद में 14 सदस्य हैँ।
सार्वजनिक आलोचना बर्दाश्त नहीं
जीएल पीरिस ने एक प्रेस कांफ्रेंस में स्वीकार किया कि फ्रीडम पार्टी को असहमत होने का अधिकार है। लेकिन उन्होंने जोर दिया कि एसएलपीपी की सार्वजनिक आलोचना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी गठबंधन में अगर किसी का किसी खास मुद्दे पर अलग रुख है, तो उसे संसदीय समूह, कैबिनेट, या पार्टी नेताओं के स्तर पर उठाना चाहिए।
प्रेम जयंता ने बीती चार जनवरी को सरकार की कड़ी आलोचना की थी। दो दिन बाद उन्हें उनके सभी पदों से हटा दिया गया। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि जयंता सरकार की आलोचना करने वाले अकेले सांसद नहीं हैं। बल्कि ऐसे कई सांसद हैं, जिन्होंने अलग-अलग मुद्दों पर सरकार की आलोचना की है।
पीरिस के बयान पर श्रीलंका फ्रीडम पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। पार्टी के वरिष्ठ अध्यक्ष रोहना लक्ष्मण पियदसा ने कहा है कि एसएलपीपी उस स्थिति में नहीं है कि सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दूसरे दलों को आदेश दे। उन्होंने कहा कि एसएलपीपी का व्यवहार अनुचित रहा है, जिससे अपूरणीय क्षति हुई है। अब ये पार्टी फिर से अपना नियंत्रण कायम करने की कोशिश कर रही है।
युगडानवी सौदे की कड़ी आलोचना
पियदसा ने दो टूक कहा कि उनकी पार्टी दबाव के आगे नहीं झुकेगी। पियदसा पहले फ्रीडम पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैँ। वे अतीत में भी एसएलपीपी की कड़ी आलोचना कर चुके हैं। प्रेम जयंता ने युगडानवी सौदे की कड़ी आलोचना की थी। श्रीलंका की मौजूदा सरकार ने युगडानवी स्थित एक बिजली संयंत्र को बेचने का फैसला किया था। पियदसा ने ध्यान दिलाया कि अलग-अलग पार्टियों के तकरीबन दो दर्जन सदस्यों ने इस सौदे की आलोचना की है और तीन सांसदों ने तो इसके खिलाफ कोर्ट में अर्जी दे दी है।
एसएलपीपी का कहना है कि इस मुद्दे पर सत्ताधारी गठबंधन को सार्वजनिक मंचों पर एक स्वर में बोलना चाहिए। पीरिस ने कहा कि ऐसा ना करने की वजह से देश के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विवाद खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि खुलेआम असहमति जताने के लिए विदेशी मुद्रा लाने की सरकार की कोशिशों के सामने रुकावट खड़ी होगी। इन दिनों श्रीलंका विदेशी मुद्रा की कमी के कारण गहरे आर्थिक संकट में फंसा हुआ है।
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