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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर संसद की स्थायी समिति ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा, देश में कोरोना के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। नए मरीज मिलने के बाद उसके संपर्क में आने वालों की समय रहते निगरानी नहीं की गई, जिसके कारण और भी संक्रमित मरीज सरकार की पहुंच के बाहर रहे।
एंटीजन जांच पर सरकार ने जोर दिया , जबकि यह जांच कम विश्वसनीय है। समिति ने सरकार से अपील की है कि आरटी-पीसीआर जांच को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए। ताकि सही तस्वीर सामने आ सके। समिति ने रैपिड एंटीजन जांच की सत्यता का मूल्यांकन करने की मांग भी की है।
समिति ने देश में किए गए लॉकडाउन को लेकर सरकार की सराहना की है। समिति का मानना है कि समय पर लॉकडाउन की घोषणा होने से लाखों लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकी हैं। हालांकि, महामारी से लड़ने में कई खामियां भी रहीं।
लॉकडाउन के दौरान आपात वस्तुओं की आपूर्ति, लालफीताशाही, जांच कम और घरेलू उत्पादन में देरी इत्यादि की वजह से काफी गंभीर परिणाम भी देखने को मिले हैं। समिति ने मंत्रालय से कहा है कि वो एक नोट पेश करे कि महामारी के शुरुआती दिनों में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए इतने कम बिस्तर क्यों आरक्षित किए गए?
टीकाकरण पर संसदीय समिति करेगी जांच
कोरोना से राहत पाने के लिए दुनिया को इसके टीके का इंतजार है। भारत में पहली बार व्यापक स्तर पर व्यस्क टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने वाला है। ऐसे में संसदीय समिति ने टीका से जुड़ी सभी गतिविधियों नजर रखने का फैसला लिया है।
वैक्सीन के उत्पादन को लेकर सोमवार को एक अहम बैठक भी होनी है। टीका परीक्षण पर प्रधानमंत्री कार्यालय से सीधे निगरानी रखी जा रही है। अभी देश में टीकाकरण से जुड़ी तैयारियां चल रही थीं, लेकिन अब सरकार का पूरा ध्यान टीका के अंतिम परीक्षण परिणामों पर है।
इसी को लेकर रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की निगरानी में यह बैठक होगी, जिसमें दवा निर्माता कंपनियों से जुड़े प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अलावा विज्ञान मंत्रालय की समितियां इससे जुड़ी गतिविधियों पर नजर रख रही हैं