टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रदीप पाण्डेय
Updated Mon, 17 May 2021 12:37 PM IST
सार
विश्व न्याय परियोजना के अध्ययन के अनुसार, लगभग 5 बिलियन लोग ऐसे हैं जिनकी बुनियादी न्याय आवश्यकताओं तक पहुंच नहीं है।
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विस्तार
ज्यूपिटिस के संस्थापक और सीईओ रमन अग्रवाल कहते हैं, ‘यह एक नया न्याय आदेश है जिसमें शामिल सभी पक्ष खुश हैं। मुकदमेबाजी प्रक्रिया के विपरीत, एडीआर तंत्र के माध्यम से त्वरित, कम तनावपूर्ण, कम लागत वाला न्याय मिलता है और परिणाम यह होता है कि एक स्वस्थ कारोबारी संबंध बनाते हुए परस्पर समझौता होता है।’
ज्यूपिटिस का निजी डिजिटल कोर्ट दुनिया के पहले एंड-टू-एंड डिजिटल न्याय वितरण प्लेटफॉर्म का एक संयोजन है जो विवाद में शामिल सभी प्रतिभागियों को ऑनलान और सिंगल प्लेटफॉर्म पर कार्य (केस फाइलिंग से लेकर निपटान तक के कार्य) करने की सुविधा देता है। ज्यूपिटिस ने दुनिया भर के एडीआर पेशेवरों को अपना ‘मार्केटप्लेस’ बनाने के लिए भी एकत्रित किया है जिससे न्याय चाहने वालों के लिए न्याय प्रदाताओं से जुडना और भी आसान हो गया है।
ज्यूपिटिस के सह-संस्थापक, श्रेय अग्रवाल भी कहते हैं, ‘जुपिटिस में, न्याय एक सेवा है और किसी भी अन्य सेवा की तरह, आप एडीआर पेशेवरों की खोज कर सकते हैं, उनके साथ जुड़ सकते हैं, मंच पर अपनी पसंद के विवाद समाधान तंत्र (जैसे आर्बीटरेशन या मिडीएशन) का चयन कर सकते हैं और सेवाओं के लिए भुगतान अंत में कर सकते हैं।’
वर्तमान कोविड-19 परिदृश्य के संदर्भ में, डिजिटल न्याय की आवश्यकता पर पहले से कहीं अधिक चर्चा की गई है। नीति आयोग की ओडीआर हैंडबुक जारी करते हुए, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने ऑनलाइन विवाद समाधान की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और कहा, ‘किफायती ओडीआर सेवाओं का प्रभावी उपयोग विवाद में शामिल पक्षों की धारणा में एक बड़ा बदलाव ला सकता है- प्रक्रिया को अत्याधिक सुलभ, किफायती और सहभागी बनाते हुए। अंतत: यह अधिक कुशल विवाद समाधान की ओर ले जाएगा।’
