अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Sat, 22 Jan 2022 06:31 AM IST
सार
जिस हिसाब से चांदी की मांग बढ़ रही है, उतनी तेजी से इसका खनन नहीं हो रहा है। लंदन स्थित सिल्वर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2020 को छोड़कर पिछले पांच साल से चांदी की मांग बढ़ रही है। इसके उलट, 2017 से चांदी के खनन में लगातार गिरावट जारी है।
वैश्विक महंगाई के कारण भारत समेत दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ने की आशंका है। इससे इक्विटी मार्केट की तेजी पर लगाम लग सकती है। महामारी के बाद सोने को भी समर्थन मिलना बंद जाएगा। इन हालातों को देखते हुए चांदी में निवेश बेहतर विकल्प हो सकता है। तीन साल में यानी 2024 तक चांदी 1.50 लाख रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच सकती है।
सोना 60,000 से 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम रहने का अनुमान है। केडिया एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया ने कहा, फेडरल रिजर्व इस साल तीन बार दरें बढ़ा सकता है। इसकी आशंका से भू-राजनीतिक तनाव के कारण इक्विटी मार्केट में जारी तेजी थम सकती है। कोरोना के बाद अनिश्चितता कम होगी, जिससे सोने का आकर्षण भी घटेगा।
तीन साल में सफेद धातु ने दिया है ज्यादा रिटर्न
धातु |
रिटर्न |
सोना |
50.88 फीसदी |
चांदी |
65.85 फीसदी |
धातु के अलावा अन्य चीजें
कच्चा तेल |
64.96 फीसदी |
प्राकृतिक गैस |
30.28 फीसदी |
कॉपर |
78.14 फीसदी |
इस साल 80,000 पहुंचने का अनुमान
अभी चांदी 65,000 के आसपास है। इस साल इसके 80,000 रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इस लिहाज से चांदी 2022 में 33 फीसदी और 2024 तक 250% तक रिटर्न दे सकती है। उन्होंने बताया कि 1 जनवरी से 20 जनवरी, 2022 तक चांदी 3% रिटर्न दे चुकी है, जबकि सोना 0.5% ही चढ़ा है।
इन प्रमुख वजहों से बढ़ेगी चमक
- जिस हिसाब से चांदी की मांग बढ़ रही है, उतनी तेजी से इसका खनन नहीं हो रहा है। लंदन स्थित सिल्वर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2020 को छोड़कर पिछले पांच साल से चांदी की मांग बढ़ रही है। इसके उलट, 2017 से चांदी के खनन में लगातार गिरावट जारी है।
- वाहन, सौर ऊर्जा, ई-वाहन उद्योग से चांदी की मांग निकल रही है, जो सालाना बढ़ रही है।
- अमेरिका ग्रीन टेक्नोलॉजी पर जोर दे रहा है। पर्यावरण के अनुकूल इस टेक्नोलॉजी में चांदी का ज्यादा इस्तेमाल होता है।
- ग्लोबल डाटा के आंकड़ों के मुताबिक, 2022-24 के बीच चांदी की मांग 25-30% बढ़ेगी।
- इसके विपरीत, इस अवधि में चांदी के खनन में महज 8 फीसदी तेजी का अनुमान है।
विस्तार
वैश्विक महंगाई के कारण भारत समेत दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ने की आशंका है। इससे इक्विटी मार्केट की तेजी पर लगाम लग सकती है। महामारी के बाद सोने को भी समर्थन मिलना बंद जाएगा। इन हालातों को देखते हुए चांदी में निवेश बेहतर विकल्प हो सकता है। तीन साल में यानी 2024 तक चांदी 1.50 लाख रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच सकती है।
सोना 60,000 से 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम रहने का अनुमान है। केडिया एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया ने कहा, फेडरल रिजर्व इस साल तीन बार दरें बढ़ा सकता है। इसकी आशंका से भू-राजनीतिक तनाव के कारण इक्विटी मार्केट में जारी तेजी थम सकती है। कोरोना के बाद अनिश्चितता कम होगी, जिससे सोने का आकर्षण भी घटेगा।
तीन साल में सफेद धातु ने दिया है ज्यादा रिटर्न
धातु |
रिटर्न |
सोना |
50.88 फीसदी |
चांदी |
65.85 फीसदी |
धातु के अलावा अन्य चीजें
कच्चा तेल |
64.96 फीसदी |
प्राकृतिक गैस |
30.28 फीसदी |
कॉपर |
78.14 फीसदी |
इस साल 80,000 पहुंचने का अनुमान
अभी चांदी 65,000 के आसपास है। इस साल इसके 80,000 रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इस लिहाज से चांदी 2022 में 33 फीसदी और 2024 तक 250% तक रिटर्न दे सकती है। उन्होंने बताया कि 1 जनवरी से 20 जनवरी, 2022 तक चांदी 3% रिटर्न दे चुकी है, जबकि सोना 0.5% ही चढ़ा है।
इन प्रमुख वजहों से बढ़ेगी चमक
- जिस हिसाब से चांदी की मांग बढ़ रही है, उतनी तेजी से इसका खनन नहीं हो रहा है। लंदन स्थित सिल्वर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2020 को छोड़कर पिछले पांच साल से चांदी की मांग बढ़ रही है। इसके उलट, 2017 से चांदी के खनन में लगातार गिरावट जारी है।
- वाहन, सौर ऊर्जा, ई-वाहन उद्योग से चांदी की मांग निकल रही है, जो सालाना बढ़ रही है।
- अमेरिका ग्रीन टेक्नोलॉजी पर जोर दे रहा है। पर्यावरण के अनुकूल इस टेक्नोलॉजी में चांदी का ज्यादा इस्तेमाल होता है।
- ग्लोबल डाटा के आंकड़ों के मुताबिक, 2022-24 के बीच चांदी की मांग 25-30% बढ़ेगी।
- इसके विपरीत, इस अवधि में चांदी के खनन में महज 8 फीसदी तेजी का अनुमान है।
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