एएनआई, अगरतला
Published by: देव कश्यप
Updated Mon, 27 Sep 2021 03:36 AM IST
सार
राजमाता बिभु कुमारी ने 2012 में ही सक्रिय राजनीति छोड़ दी थी, मगर उनका नाम नवगठित पीसीसी कार्यकारी सदस्यों में शामिल था। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह अब और कांग्रेस का हिस्सा नहीं रहना चाहतीं। उनके बेटे की त्रिपुरा में अपनी अलग पार्टी है।
कांग्रेस (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
त्रिपुरा में अपनी खोई जमीन की तलाश में जुटी कांग्रेस राजमाता बिभु कुमारी देवी को त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस की नई कमेटी में शामिल कर जिस बढ़त की आस लगाए थी, वह पूरी होती नहीं दिख रही क्योंकि राजमाता ने नए प्रदेश अध्यक्ष बीरजीत सिन्हा के नेतृत्व में गठित नई पीसीसी से दूरी बना ली है।
राजमाता बिभु कुमारी ने 2012 में ही सक्रिय राजनीति छोड़ दी थी, मगर उनका नाम नवगठित पीसीसी कार्यकारी सदस्यों में शामिल था। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह अब और कांग्रेस का हिस्सा नहीं रहना चाहतीं। उनके बेटे की त्रिपुरा में अपनी अलग पार्टी है।
उन्होंने अपने एक विश्वासपात्र से कहा, मैं 2012 में ही सक्रिय राजनीति छोड़ चुकी हूं और समाज सेवा कर रही हूं। ऐसे में किसी राजनीतिक दल का मेरे नाम को अपने साथ जोड़ना गलत है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बीते शुक्रवार को पीयूष बिस्वास की जगह बीरजीत सिन्हा को पार्टी की त्रिपुरा इकाई का प्रमुख नियुक्त किया था। कांग्रेस ने त्रिपुरा इकाई के लिए पांच कार्यकारी प्रमुख भी नियुक्त किए, जिनमें मोहम्मद बिलाल मिया, प्रोफेसर माणिक देब, सुशांतो चक्रवर्ती, पुरनीता चकमा और डॉ. प्रदीप वर्धन शामिल हैं।
सोनिया गांधी ने 10 उपाध्यक्षों, 18 महासचिवों और 29 सचिवों के साथ प्रदेश कांग्रेस समिति के गठन को भी मंजूरी दी है। पूर्व मुख्यमंत्री समीर रंजन बर्मन, पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रमुख गोपाल राय और महारानी बिभू कुमारी देवी सहित कई पूर्व विधायकों को त्रिपुरा की कार्यकारिणी समिति का सदस्य बनाया गया है।
विस्तार
त्रिपुरा में अपनी खोई जमीन की तलाश में जुटी कांग्रेस राजमाता बिभु कुमारी देवी को त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस की नई कमेटी में शामिल कर जिस बढ़त की आस लगाए थी, वह पूरी होती नहीं दिख रही क्योंकि राजमाता ने नए प्रदेश अध्यक्ष बीरजीत सिन्हा के नेतृत्व में गठित नई पीसीसी से दूरी बना ली है।
राजमाता बिभु कुमारी ने 2012 में ही सक्रिय राजनीति छोड़ दी थी, मगर उनका नाम नवगठित पीसीसी कार्यकारी सदस्यों में शामिल था। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह अब और कांग्रेस का हिस्सा नहीं रहना चाहतीं। उनके बेटे की त्रिपुरा में अपनी अलग पार्टी है।
उन्होंने अपने एक विश्वासपात्र से कहा, मैं 2012 में ही सक्रिय राजनीति छोड़ चुकी हूं और समाज सेवा कर रही हूं। ऐसे में किसी राजनीतिक दल का मेरे नाम को अपने साथ जोड़ना गलत है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बीते शुक्रवार को पीयूष बिस्वास की जगह बीरजीत सिन्हा को पार्टी की त्रिपुरा इकाई का प्रमुख नियुक्त किया था। कांग्रेस ने त्रिपुरा इकाई के लिए पांच कार्यकारी प्रमुख भी नियुक्त किए, जिनमें मोहम्मद बिलाल मिया, प्रोफेसर माणिक देब, सुशांतो चक्रवर्ती, पुरनीता चकमा और डॉ. प्रदीप वर्धन शामिल हैं।
सोनिया गांधी ने 10 उपाध्यक्षों, 18 महासचिवों और 29 सचिवों के साथ प्रदेश कांग्रेस समिति के गठन को भी मंजूरी दी है। पूर्व मुख्यमंत्री समीर रंजन बर्मन, पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रमुख गोपाल राय और महारानी बिभू कुमारी देवी सहित कई पूर्व विधायकों को त्रिपुरा की कार्यकारिणी समिति का सदस्य बनाया गया है।
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