वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Thu, 16 Sep 2021 08:14 AM IST
सार
अफगानिस्तान के उप प्रधानमंत्री और तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का एक वीडियो जारी हुआ है जिसमें वह खुद के घायल होने की खबरों का खंडन करता नजर आ रहा है। बरादर ने सरकार के अंदर आंतरिक कलह होने की बात से भी इनकार किया है।
अफगानिस्तान के उप प्रधानमंत्री और तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का एक वीडियो जारी हुआ है जिसमें वह खुद के घायल होने की खबरों का खंडन करता नजर आ रहा है। वीडियो में वह कह रहा है कि नहीं, यह सच नहीं है, मैं ठीक हूं और बिल्कुल स्वस्थ हूं। बरादर ने सरकार के अंदर आंतरिक कलह होने की बात से भी इनकार किया है। बरादर ने कहा कि सरकार में सबकुछ ठीक चल रहा है। आरटीए राज्य टेलीविजन के वीडियो में वह साक्षात्कारकर्ता के बगल में एक सोफे पर बैठा दिख रहा है और उसके हाथ में कागज की एक शीट थी जिसे देखकर वह जवाब दे रहा था।
इससे पहले ऑडियो भी हुआ था जारी
बता दें कि इससे पहले उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने सोमवार को एक ऑडियो बयान जारी किया था। इसके जरिए उसने सोशल मीडिया पर खुद के निधन की खबर को झूठा करार दिया। उसने कहा कि वह जिंदा है और बिल्कुल ठीक है। अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार में नंबर दो का ओहदा रखने वाले अब्दुल गनी बरादर ने तालिबान द्वारा पोस्ट किए गए एक ऑडियो में मौत की अफवाहों को फर्जी प्रचार करार दिया।
तालिबानी सरकार में आपसी फूट की खबर
तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि तालिबानी अंतरिम सरकार में आपसी फूट चरम पर है। उसने बताया कि राष्ट्रपति भवन में तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला गनी बरादर के गुट और एक कैबिनेट सदस्य में जबरदस्त कहासुनी भी हुई है। मुल्ला बरादर भी सार्वजनिक रूप से नहीं दिख रहे हैं। कयास है कि तालिबान में नेतृत्व को लेकर असहमति तेज है।
तालिबान के एक वरिष्ठ सूत्र ने बीबीसी पश्तो से बात करते हुए कहा कि बरादर और खलील उर-रहमान के बीच आपसी कहासुनी हुई है। इसके बाद दोनों नेताओं के समर्थक आपस में भिड़ गए।
जानिए मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का इतिहास
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उन चार लोगों में से एक है जिन्होंने तालिबान का गठन किया था। वह तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का खास था। 2001 में अमेरिकी हमले के वक्त वो देश का रक्षामंत्री था। 2010 में अमेरिका और पाकिस्तान ने एक ऑपरेशन में बरादर को गिरफ्तार किया था। उस वक्त शांति वार्ता के लिए अफगानिस्तान सरकार ने बरादर की रिहाई की मांग की थी। सितंबर 2013 में उसे रिहा कर दिया गया। 2018 में जब तालिबान ने कतर के दोहा में अपना राजनीतिक दफ्तर खोला तो वहां अमेरिका से शांति वार्ता के लिए जाने वाले लोगों में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर प्रमुख था। उसने हमेशा अमेरिका के साथ बातचीत का समर्थन किया है।
विस्तार
अफगानिस्तान के उप प्रधानमंत्री और तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का एक वीडियो जारी हुआ है जिसमें वह खुद के घायल होने की खबरों का खंडन करता नजर आ रहा है। वीडियो में वह कह रहा है कि नहीं, यह सच नहीं है, मैं ठीक हूं और बिल्कुल स्वस्थ हूं। बरादर ने सरकार के अंदर आंतरिक कलह होने की बात से भी इनकार किया है। बरादर ने कहा कि सरकार में सबकुछ ठीक चल रहा है। आरटीए राज्य टेलीविजन के वीडियो में वह साक्षात्कारकर्ता के बगल में एक सोफे पर बैठा दिख रहा है और उसके हाथ में कागज की एक शीट थी जिसे देखकर वह जवाब दे रहा था।
इससे पहले ऑडियो भी हुआ था जारी
बता दें कि इससे पहले उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने सोमवार को एक ऑडियो बयान जारी किया था। इसके जरिए उसने सोशल मीडिया पर खुद के निधन की खबर को झूठा करार दिया। उसने कहा कि वह जिंदा है और बिल्कुल ठीक है। अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार में नंबर दो का ओहदा रखने वाले अब्दुल गनी बरादर ने तालिबान द्वारा पोस्ट किए गए एक ऑडियो में मौत की अफवाहों को फर्जी प्रचार करार दिया।
तालिबानी सरकार में आपसी फूट की खबर
तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि तालिबानी अंतरिम सरकार में आपसी फूट चरम पर है। उसने बताया कि राष्ट्रपति भवन में तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला गनी बरादर के गुट और एक कैबिनेट सदस्य में जबरदस्त कहासुनी भी हुई है। मुल्ला बरादर भी सार्वजनिक रूप से नहीं दिख रहे हैं। कयास है कि तालिबान में नेतृत्व को लेकर असहमति तेज है।
तालिबान के एक वरिष्ठ सूत्र ने बीबीसी पश्तो से बात करते हुए कहा कि बरादर और खलील उर-रहमान के बीच आपसी कहासुनी हुई है। इसके बाद दोनों नेताओं के समर्थक आपस में भिड़ गए।
जानिए मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का इतिहास
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उन चार लोगों में से एक है जिन्होंने तालिबान का गठन किया था। वह तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का खास था। 2001 में अमेरिकी हमले के वक्त वो देश का रक्षामंत्री था। 2010 में अमेरिका और पाकिस्तान ने एक ऑपरेशन में बरादर को गिरफ्तार किया था। उस वक्त शांति वार्ता के लिए अफगानिस्तान सरकार ने बरादर की रिहाई की मांग की थी। सितंबर 2013 में उसे रिहा कर दिया गया। 2018 में जब तालिबान ने कतर के दोहा में अपना राजनीतिक दफ्तर खोला तो वहां अमेरिका से शांति वार्ता के लिए जाने वाले लोगों में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर प्रमुख था। उसने हमेशा अमेरिका के साथ बातचीत का समर्थन किया है।
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