न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Mon, 16 Aug 2021 05:40 AM IST
तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद
– फोटो : twitter
अफगानिस्तान में फैली दहशतगर्दी के बीच तालिबानी प्रवक्ता
जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हम भारत के साथ अच्छे और मजबूत रिश्ते बनाना चाहते हैं। तमाम राजनयिक भी यहां पर सुरक्षित रहेंगे। किसी को भी देश छोड़कर छोड़ने की जरूरत नहीं है।
भारत संग अच्छे रिश्ते चाहता है तालिबान
तालिबानी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हमें भारत संग अच्छे और मजबूत रिश्ते चाहिए। तमाम राजनयिक भी यहा पर सुरक्षित रहेंगे। किसी को भी देश छोड़ने की जरूरत नहीं है।
एक तरफ तालिबान को भारत संग अच्छे रिश्ते चाहिए, वहीं दूसरी तरफ भारत की पाकिस्तान संग चल रही तल्खी पर उसे कुछ नहीं कहना है। तालिबान ने जोर देकर कहा है कि उसे भारत-पाकिस्तान विवाद में हस्तक्षेप नहीं करना है। दोनों देशों की आपसी समस्या है। तालिबान इसमें कोई भी भूमिका नहीं निभाएगा।
क्या भारत तालिबान पर भरोसा कर सकता है या नहीं?
पड़ोसी होने के नाते भारत ने हमेशा कहा है कि वो अफगानिस्तान में लोकतंत्र को सशक्त करने में और शांति स्थापित करने में अहम योगदान निभा सकता है। लेकिन तालिबान ने लगातार इस पहल का विरोध किया है। इसी वजह से जब तालिबान भारत संग अच्छे रिश्तों की बात करता है, तब उसकी नीयत पर कई तरह के सवाल खड़े हो जाते हैं।
मीडिया से बातचीत के दौरान तालिबान ने अफगानिस्तान के भविष्य पर भी विस्तार से बात की है। कहा कि तालिबान राज में भी महिलाओं को पढ़ने लिखने का मौका दिया जाएगा। वे बाहर जाकर काम भी कर पाएंगी। बस शर्तें हैं कि वे सभी महिलाएं शरिया कानून का सख्ती से पालन करेंगी। साथ ही उन्हें हिजाब जरूर पहनना होगा।
विस्तार
अफगानिस्तान में फैली दहशतगर्दी के बीच तालिबानी प्रवक्ता
जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हम भारत के साथ अच्छे और मजबूत रिश्ते बनाना चाहते हैं। तमाम राजनयिक भी यहां पर सुरक्षित रहेंगे। किसी को भी देश छोड़कर छोड़ने की जरूरत नहीं है।
भारत संग अच्छे रिश्ते चाहता है तालिबान
तालिबानी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हमें भारत संग अच्छे और मजबूत रिश्ते चाहिए। तमाम राजनयिक भी यहा पर सुरक्षित रहेंगे। किसी को भी देश छोड़ने की जरूरत नहीं है।
एक तरफ तालिबान को भारत संग अच्छे रिश्ते चाहिए, वहीं दूसरी तरफ भारत की पाकिस्तान संग चल रही तल्खी पर उसे कुछ नहीं कहना है। तालिबान ने जोर देकर कहा है कि उसे भारत-पाकिस्तान विवाद में हस्तक्षेप नहीं करना है। दोनों देशों की आपसी समस्या है। तालिबान इसमें कोई भी भूमिका नहीं निभाएगा।
क्या भारत तालिबान पर भरोसा कर सकता है या नहीं?
पड़ोसी होने के नाते भारत ने हमेशा कहा है कि वो अफगानिस्तान में लोकतंत्र को सशक्त करने में और शांति स्थापित करने में अहम योगदान निभा सकता है। लेकिन तालिबान ने लगातार इस पहल का विरोध किया है। इसी वजह से जब तालिबान भारत संग अच्छे रिश्तों की बात करता है, तब उसकी नीयत पर कई तरह के सवाल खड़े हो जाते हैं।
मीडिया से बातचीत के दौरान तालिबान ने अफगानिस्तान के भविष्य पर भी विस्तार से बात की है। कहा कि तालिबान राज में भी महिलाओं को पढ़ने लिखने का मौका दिया जाएगा। वे बाहर जाकर काम भी कर पाएंगी। बस शर्तें हैं कि वे सभी महिलाएं शरिया कानून का सख्ती से पालन करेंगी। साथ ही उन्हें हिजाब जरूर पहनना होगा।
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