एजेंसी, वाशिंगटन।
Published by: योगेश साहू
Updated Thu, 03 Mar 2022 07:29 AM IST
सार
पृथ्वी के पास ही अंतरिक्ष में तैर रहे कचरे पर नजर रखना तुलनात्मक रूप से आसान होता है। गहरे अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली चीजों के किसी दूसरी चीज से टकराने की संभावना भी कम होती है और उन्हें अक्सर जल्दी ही भुला भी दिया जाता है। लेकिन यह रॉकेट चांद की उस दिशा में है जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है।
एक टूटे चीनी रॉकेट का 3 टन वजनी कचरा 9,300 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ चांद की सतह से टकराने वाला है। इस दौरान चांद पर इतना बड़ा गड्ढा हो सकता है, जिसमें ट्रैक्टर जितने बड़े कई वाहन समा सकते हैं। चांद की यह सतह ऐसी जगह पर मौजूद है जहां धरती की दूरबीनों की नजर तक नहीं पड़ सकती है। यहां तक कि उपग्रह से लिए गए चित्रों की पुष्टि में भी कई हफ्ते या माह लग सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह रॉकेट करीब एक दशक पहले अंतरिक्ष में छोड़ा गया था और तभी से यह अंतरिक्ष में इधर-उधर भटक रहा है। हालांकि चीनी अधिकारियों ने इस रॉकेट के चीन का होने पर संदेह जताया है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इस टक्कर से चांद की सतह पर 10 से 20 मीटर का गड्ढा हो जाएगा और चांद की धूल उड़कर सतह पर सैकड़ों किलोमीटर दूर तक फैल जाएगी।
पृथ्वी के पास ही अंतरिक्ष में तैर रहे कचरे पर नजर रखना तुलनात्मक रूप से आसान होता है। गहरे अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली चीजों के किसी दूसरी चीज से टकराने की संभावना भी कम होती है और उन्हें अक्सर जल्दी ही भुला भी दिया जाता है। लेकिन यह रॉकेट चांद की उस दिशा में है जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है। चीन ने इस सतह पर तीन वर्ष पहले एक सैटेलाइट लांच करने में सफलता पाई है।
बिल ग्रे ने लगाया इस कचरे का पता
सिर्फ शौकिया तौर पर खगोलीय जासूस की भूमिका निभा रहे मुट्ठी भर अंतरिक्ष पर्यवेक्षक ऐसे कचरे पर नजर रखते हैं। इसी तरह के एक पर्यवेक्षक बिल ग्रे ने जनवरी में इस रॉकेट के चांद से टकराने के मार्ग का पता लगाया। ग्रे एक गणितज्ञ और एक भौतिकशास्त्री हैं। शुरू में उन्होंने स्पेसएक्स को इसका जिम्मेदार माना था, लेकिन बाद में ग्रे ने एक माह बाद बताया कि अब वे जान चुके हैं कि वह रहस्यमयी चीज कुछ और है।
चीन बोला- वह रॉकेट जल चुका है
बिल ग्रे ने बताया, संभव है कि वो एक चीनी रॉकेट का तीसरा चरण है जिसने 2014 में चांद पर एक परीक्षण कैप्सूल भेजा था। कैप्सूल वापस आ गया लेकिन रॉकेट उसके बाद भटकता ही रहा। हालांकि चीनी अफसरों ने कहा, वह रॉकेट पृथ्वी के वायुमंडल में लौटने के बाद जल गया था।
लेकिन एक जैसे नाम वाले दो चीनी मिशन थे जिनमें एक यह परीक्षण उड़ान थी और दूसरी 2020 का चांद की सतह से पत्थरों के सैंपल लाने वाला मिशन। इस संबंध में धरती के पास अंतरिक्षीय कचरे पर नजर रखने वाले अमेरिकी कमांड ने बुधवार को बताया कि 2014 के मिशन वाला चीनी रॉकेट कभी धरती के वायुमंडल में लौटा ही नहीं।
विस्तार
एक टूटे चीनी रॉकेट का 3 टन वजनी कचरा 9,300 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ चांद की सतह से टकराने वाला है। इस दौरान चांद पर इतना बड़ा गड्ढा हो सकता है, जिसमें ट्रैक्टर जितने बड़े कई वाहन समा सकते हैं। चांद की यह सतह ऐसी जगह पर मौजूद है जहां धरती की दूरबीनों की नजर तक नहीं पड़ सकती है। यहां तक कि उपग्रह से लिए गए चित्रों की पुष्टि में भी कई हफ्ते या माह लग सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह रॉकेट करीब एक दशक पहले अंतरिक्ष में छोड़ा गया था और तभी से यह अंतरिक्ष में इधर-उधर भटक रहा है। हालांकि चीनी अधिकारियों ने इस रॉकेट के चीन का होने पर संदेह जताया है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इस टक्कर से चांद की सतह पर 10 से 20 मीटर का गड्ढा हो जाएगा और चांद की धूल उड़कर सतह पर सैकड़ों किलोमीटर दूर तक फैल जाएगी।
पृथ्वी के पास ही अंतरिक्ष में तैर रहे कचरे पर नजर रखना तुलनात्मक रूप से आसान होता है। गहरे अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली चीजों के किसी दूसरी चीज से टकराने की संभावना भी कम होती है और उन्हें अक्सर जल्दी ही भुला भी दिया जाता है। लेकिन यह रॉकेट चांद की उस दिशा में है जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है। चीन ने इस सतह पर तीन वर्ष पहले एक सैटेलाइट लांच करने में सफलता पाई है।
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